मनीषा शर्मा। राजस्थान ATS ने गुरुवार को राज्य में एक बड़े फर्जीवाड़े का पर्दाफाश करते हुए 28 फर्जी पूर्व सैनिकों को गिरफ्तार किया। सभी आरोपी फर्जी आर्मी सर्टिफिकेट बनवाकर Food Corporation of India (FCI) में सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी कर रहे थे। ये आरोपी पिछले तीन से चार साल से सुरक्षा एजेंसियों के जरिए नौकरी कर रहे थे और हर महीने दलालों को कमीशन भी देते थे। ATS ने इन सभी को मॉक ड्रिल के बहाने एक जगह बुलाकर दस्तावेज़ की जांच के बाद गिरफ्तार किया।
मॉक ड्रिल के नाम पर पकड़े गए फर्जी जवान
ATS को सूचना मिली थी कि FCI में सिक्योरिटी गार्ड के पदों पर कई ऐसे लोग काम कर रहे हैं जिन्होंने खुद को फर्जी तरीके से रिटायर्ड आर्मी जवान बताकर नौकरी हासिल की है। ATS की जांच में पाया गया कि FCI में सिक्योरिटी गार्ड की भर्ती में 90 प्रतिशत पद रिटायर्ड सैनिकों के लिए आरक्षित हैं। इसी का फायदा उठाते हुए आरोपियों ने फर्जी प्रमाण पत्र बनवाकर नौकरी प्राप्त की।
ATS ने इनपुट के आधार पर कोटा, भीलवाड़ा और उदयपुर व बांसवाड़ा के 31 ठिकानों पर दबिश दी। इस दौरान मॉक ड्रिल की बात कहकर सभी सिक्योरिटी गार्ड्स को एकत्रित किया गया। उनसे उनके आर्मी से जुड़े मूल दस्तावेज़ मांगे गए। जांच में 28 लोगों के दस्तावेज़ फर्जी पाए गए, जिसके बाद सभी को गिरफ्तार कर लिया गया।
दलालों के जरिए चलता था पूरा नेटवर्क
ATS की प्रारंभिक जांच में सामने आया कि आरोपियों ने फर्जी आर्मी सर्टिफिकेट बनवाने के लिए 30 से 50 हजार रुपये प्रति व्यक्ति खर्च किया था। इन सर्टिफिकेट्स की मदद से वे 21 हजार रुपये से अधिक मासिक वेतन पर नौकरी कर रहे थे। नौकरी लगने के बाद ये आरोपी हर महीने अपनी तनख्वाह में से 3 से 5 हजार रुपये दलालों को कमीशन के रूप में दिया करते थे। इस पूरी प्रक्रिया में एक बड़ा नेटवर्क शामिल था जो फर्जी प्रमाण पत्र बनवाकर लोगों को सुरक्षा एजेंसियों के जरिए नौकरी दिला रहा था।
ATS ने कई जिलों में एक साथ मारा छापा
IG ATS Vikas Kumar (आईजी (ATS) विकास कुमार) ने बताया कि ATS को इनपुट मिला था कि बड़ी संख्या में फर्जी पूर्व सैनिक FCI में काम कर रहे हैं। इस सूचना के आधार पर ATS ने एक सुनियोजित रणनीति बनाई। टीमों को विभिन्न जिलों में भेजा गया और मॉक ड्रिल के बहाने सभी को एक साथ इकट्ठा किया गया। इस दौरान हर गार्ड के प्रमाण पत्र और पहचान पत्रों की गहन जांच की गई। जांच में सामने आया कि 28 सिक्योरिटी गार्ड्स के दस्तावेज़ फर्जी हैं।
ATS ने सभी को मौके पर ही गिरफ्तार कर लिया और इनके पास से फर्जी प्रमाण पत्र व अन्य दस्तावेज़ जब्त किए। अधिकारियों का कहना है कि यह मामला बहुत बड़ा है और इसमें कई दलालों की भूमिका भी सामने आ सकती है।
ATS कर रही है गहन जांच
ATS ने इस फर्जीवाड़े में शामिल 28 लोगों के खिलाफ कुल तीन प्रकरण दर्ज किए हैं। जांच में यह भी सामने आया है कि इस नेटवर्क के जरिए और भी कई लोग फर्जी दस्तावेज़ बनवाकर नौकरी कर रहे हो सकते हैं। ATS अब इस गैंग के सरगना और इसके पीछे के पूरे तंत्र की तलाश में जुटी है। इसके लिए कई जगहों पर छापेमारी की तैयारी की जा रही है।
IG विकास कुमार ने कहा कि फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नौकरी पाना न केवल कानूनन अपराध है बल्कि इससे राष्ट्रीय सुरक्षा पर भी खतरा हो सकता है। इस मामले में शामिल सभी लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। साथ ही उन सुरक्षा एजेंसियों की भी जांच की जाएगी जिन्होंने बिना सही वेरिफिकेशन के इन लोगों को नौकरी पर रखा।
FCI में भर्ती प्रक्रिया पर उठे सवाल
इस खुलासे के बाद FCI की भर्ती प्रक्रिया पर भी सवाल उठने लगे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर ATS मॉक ड्रिल के बहाने यह जांच न करती तो यह फर्जीवाड़ा वर्षों तक चलता रहता। सुरक्षा से जुड़ी नौकरियों में ऐसे फर्जी लोगों का होना सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा है। अब ATS की रिपोर्ट के बाद FCI को भी अपनी भर्ती और वेरिफिकेशन प्रणाली में बदलाव करना पड़ सकता है।
दलालों का नेटवर्क हो सकता है बड़ा
ATS को संदेह है कि इस पूरे फर्जीवाड़े में एक संगठित गिरोह काम कर रहा है जो फर्जी प्रमाण पत्र तैयार कर लोगों से मोटी रकम वसूलता है। आरोपियों ने पूछताछ में यह स्वीकार किया है कि उन्होंने दलालों के जरिए ही फर्जी सर्टिफिकेट बनवाए और ATS से बचने के लिए हर महीने उन्हें कमीशन दिया करते थे। अब ATS इस नेटवर्क के बड़े सिरों तक पहुंचने के लिए तकनीकी और फिजिकल जांच में जुटी हुई है।
आने वाले दिनों में और गिरफ्तारियां संभव
ATS अधिकारियों का कहना है कि यह तो शुरुआती कार्रवाई है। आगामी दिनों में इस नेटवर्क से जुड़े और लोग सामने आ सकते हैं। जांच के बाद एजेंसी पूरे नेटवर्क को ध्वस्त करने के लिए बड़े पैमाने पर कार्रवाई करेगी।