मनीषा शर्मा । केंद्र सरकार ने अनुसूचित जाति और जनजातियों (SC/ST) के आरक्षण में क्रीमी लेयर लागू न करने का फैसला लिया है। 9 अगस्त को पीएम नरेंद्र मोदी ने संसद भवन में उनसे मिलने आए 100 दलित सांसदों को यह आश्वासन दिया। इस फैसले के पीछे सुप्रीम कोर्ट की 1 अगस्त को दी गई टिप्पणी है, जिसमें जस्टिस बीआर गवई ने सुझाव दिया था कि SC/ST आरक्षण में भी क्रीमी लेयर लागू करने पर विचार किया जाना चाहिए।
इसके बाद दलित सांसदों ने प्रधानमंत्री से मिलकर अपनी चिंता जाहिर की, जिसके जवाब में पीएम मोदी ने उन्हें आश्वस्त किया कि क्रीमी लेयर को SC/ST आरक्षण में लागू नहीं किया जाएगा। देर शाम, कैबिनेट मीटिंग के बाद, केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान इस फैसले की घोषणा की और कहा कि NDA सरकार बीआर अंबेडकर के बनाए संविधान के प्रति प्रतिबद्ध है, जिसमें SC/ST आरक्षण में क्रीमी लेयर का कोई प्रावधान नहीं है।
ओडिशा से भाजपा सांसद रबींद्र नारायण बेहरा ने बताया कि सभी दलित सांसदों ने एक स्वर से पीएम मोदी से सुप्रीम कोर्ट के इस सुझाव को न लागू करने की मांग की। प्रधानमंत्री ने सांसदों को आश्वस्त किया कि सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले का अध्ययन कर रही है, और क्रीमी लेयर को SC/ST आरक्षण में लागू नहीं किया जाएगा। इस पर सांसद बृजलाल और डॉ. सिकंदर कुमार ने भी सहमति जताई और प्रधानमंत्री से संतोषजनक उत्तर मिलने पर संतोष व्यक्त किया।
सुप्रीम कोर्ट ने 1 अगस्त को 20 साल पुराने अपने फैसले को पलटते हुए यह भी कहा था कि राज्य सरकारें अनुसूचित जाति (SC) के आरक्षण में कोटे में कोटा दे सकती हैं। यह निर्णय संविधान के अनुच्छेद-341 के तहत SC के रिजर्वेशन में शामिल जातियों को अलग-अलग कैटेगरी में बांटने के खिलाफ नहीं है। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के इस सुझाव पर अभी कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया है।