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एकल पट्टा प्रकरण में शांति धारीवाल को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका

एकल पट्टा प्रकरण में शांति धारीवाल को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका

मनीषा शर्मा। राजस्थान के बहुचर्चित एकल पट्टा प्रकरण में पूर्व मंत्री शांति धारीवाल को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। धारीवाल द्वारा दायर विशेष अनुमति याचिका (SLP) को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस विजय विश्नोई की बेंच ने 1 नवंबर को राजस्थान हाईकोर्ट द्वारा दिए गए आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने साफ कहा कि हाईकोर्ट के आदेश पर रोक नहीं लगाई जाएगी।

हालांकि, बेंच ने धारीवाल को फौरी राहत देते हुए उनकी गिरफ्तारी पर अंतरिम रोक लगा दी है। यह रोक तब तक प्रभावी रहेगी जब तक एसीबी कोर्ट में लंबित प्रोटेस्ट पेटिशन का निस्तारण नहीं हो जाता। इससे पहले हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को धारीवाल के खिलाफ अग्रिम जांच करने और एसीबी कोर्ट को लंबित प्रोटेस्ट पेटिशन पर सुनवाई की अनुमति दी थी, जिसे धारीवाल ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।

अब आगे क्या होगा?

एकल पट्टा प्रकरण में पूर्व की गहलोत सरकार के दौरान एसीबी ने धारीवाल और अन्य अधिकारियों को क्लीन चिट देते हुए ट्रायल कोर्ट में क्लोजर रिपोर्ट पेश की थी। इस क्लोजर रिपोर्ट के खिलाफ परिवादी ने प्रोटेस्ट पेटिशन दाखिल की।

हाईकोर्ट के आदेश के बाद अब एसीबी ने क्लोजर रिपोर्ट वापस लेने का अनुरोध किया है। इस पर 4 दिसंबर को सुनवाई होनी है। यदि ट्रायल कोर्ट एसीबी को क्लोजर रिपोर्ट वापस लेने की अनुमति देता है, तो सरकार नए सिरे से जांच शुरू कर सकती है और नई रिपोर्ट पेश कर सकती है।

दूसरी ओर, क्लोजर रिपोर्ट के खिलाफ दाखिल प्रोटेस्ट पेटिशन पर भी अब ट्रायल कोर्ट में सुनवाई आगे बढ़ेगी। इससे मामले की कानूनी प्रक्रिया एक बार फिर तेज होने की संभावना है।

धारीवाल पक्ष के तर्क

धारीवाल की ओर से कहा गया कि प्रारंभिक शिकायत में उनका नाम तो था, लेकिन बाद में एसीबी ने निष्पक्ष जांच कर उन्हें क्लीन चिट दे दी थी। इसके बाद ट्रायल कोर्ट में क्लोजर रिपोर्ट पेश हुई, जिसे ट्रायल कोर्ट ने खारिज कर दिया।

हाईकोर्ट ने पहले इस आदेश पर रोक लगा दी थी, लेकिन अब एक बार फिर हाईकोर्ट ने एसीबी और ट्रायल कोर्ट को आगे की कार्रवाई की छूट दे दी है। धारीवाल पक्ष का कहना है कि यह निर्णय न्यायसंगत नहीं है क्योंकि पहले ही विस्तृत जांच की जा चुकी है।

एकल पट्टा मामले की पृष्ठभूमि

यह विवाद वर्ष 2011 में शुरू हुआ जब जयपुर विकास प्राधिकरण (JDA) ने 29 जून 2011 को गणपति कंस्ट्रक्शन के प्रोपराइटर शैलेंद्र गर्ग के नाम एकल पट्टा जारी किया। इसकी शिकायत रामशरण सिंह ने 2013 में एसीबी में की।

जांच में तत्कालीन एसीएस जीएस संधू, डिप्टी सचिव निष्काम दिवाकर, जोन उपायुक्त ओंकारमल सैनी, शैलेंद्र गर्ग सहित छह लोगों को गिरफ्तार किया गया और एसीबी कोर्ट में चालान पेश किया गया। इस बीच, विवाद बढ़ने पर विभाग ने 25 मई 2013 को पट्टा निरस्त कर दिया।

वसुंधरा राजे सरकार के दौरान 3 दिसंबर 2014 को एसीबी ने मामला दर्ज किया और आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई जारी रखी। लेकिन सरकार बदलने पर गहलोत सरकार के दौरान एसीबी ने तीन अलग-अलग क्लोजर रिपोर्ट पेश कीं जिनमें सभी अधिकारियों और धारीवाल को क्लीन चिट दे दी गई थी।

सुप्रीम कोर्ट में पहले भी हुई थी सुनवाई

एकल पट्टा प्रकरण में मौजूदा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में धारीवाल और अधिकारियों को दी गई क्लीन चिट पर आपत्ति जताई थी। नए हलफनामे में सरकार ने कहा कि धारीवाल सहित अन्य अधिकारियों के खिलाफ मामला बनता है।

इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 5 नवंबर 2024 को हाईकोर्ट के 15 नवंबर 2022 और 17 जनवरी 2023 के आदेश रद्द कर दिए और निर्देश दिया कि इस मामले की सुनवाई हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस स्वयं करें। इसके बाद हाईकोर्ट ने एकल पट्टा केस की सुनवाई दोबारा शुरू की।

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