शोभना शर्मा। राजस्थान और हरियाणा के बीच लंबे समय से चले आ रहे दो प्रमुख जल संबंधित मुद्दों—भिवाड़ी जल निकासी और यमुना जल बंटवारे—को लेकर अब समाधान की दिशा में ठोस प्रगति हो रही है। सोमवार को राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी के बीच फोन पर बातचीत हुई, जिसमें दोनों नेताओं ने परस्पर सहयोग और समन्वय से इन विषयों पर सहमति जताई।
मुख्यमंत्री कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार, यह संवाद दोनों राज्यों के बीच लंबे समय से लंबित समस्याओं के समाधान की दृष्टि से निर्णायक माना जा रहा है। यह वार्ता केवल प्रशासनिक स्तर पर नहीं, बल्कि राज्य स्तर पर एक ठोस राजनीतिक इच्छाशक्ति की अभिव्यक्ति भी है।
भिवाड़ी जल निकासी की पुरानी समस्या अब समाधान की ओर
भिवाड़ी, राजस्थान का एक प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र है, जिसका भौगोलिक स्वरूप ऐसा है कि वहां का बारिश का पानी स्वाभाविक रूप से हरियाणा की सीमा की ओर बहता है। मानसून के दौरान यहां पानी की निकासी बाधित होती रही है, जिससे उद्योगों और रिहायशी इलाकों में जलभराव की गंभीर समस्या खड़ी हो जाती है।
दोनों मुख्यमंत्रियों ने इस विषय पर तकनीकी और प्रशासनिक स्तर पर स्थायी समाधान निकालने के लिए आपसी सहयोग पर सहमति जताई है। यह भी स्पष्ट किया गया कि किसी भी समाधान में स्थानीय नागरिकों और उद्योगों की हितों को प्राथमिकता दी जाएगी।
अब केवल शोधित जल ही छोड़ा जाएगा
राजस्थान सरकार ने इस दिशा में पहले ही कदम बढ़ाते हुए भिवाड़ी क्षेत्र के सभी इंडस्ट्रियल जल को शुद्ध करने की व्यवस्था सुनिश्चित कर दी है।
हर उद्योग इकाई से निकलने वाला अपशिष्ट जल अब शोधन संयंत्रों के माध्यम से प्रोसेस होकर निकलेगा।
इसके बाद ही इस जल की निकासी हरियाणा सीमा की ओर होगी।
राज्य सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि इस व्यवस्था की सख्त निगरानी की जाएगी और किसी भी अनियमितता पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
इस व्यवस्था से न केवल पर्यावरणीय नुकसान में कमी आएगी, बल्कि हरियाणा की ओर बहने वाले जल की गुणवत्ता भी सुनिश्चित होगी।
यमुना जल बंटवारे पर भी बनी सहमति
फोन वार्ता के दौरान एक अन्य अहम मुद्दा यमुना जल बंटवारा भी चर्चा का केंद्र रहा।
राजस्थान और हरियाणा के बीच यमुना जल बंटवारे से जुड़ा ऐतिहासिक समझौता वर्षों से विचाराधीन रहा है।
अब दोनों राज्यों की सरकारें संयुक्त रूप से विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) तैयार कर रही हैं।
इस परियोजना के तहत यमुना जल के उपयोग, आपूर्ति, वितरण और भंडारण के लिए एक ठोस आधारभूत ढांचा तैयार किया जाएगा।
राज्य सरकार के अनुसार, इसी महीने इस परियोजना के लिए पाइपलाइन अलाइनमेंट का जमीनी सर्वे शुरू किया जाएगा।
परियोजना के लाभ और जल सुरक्षा की दिशा में पहल
यमुना जल बंटवारे पर बन रही यह परियोजना दोनों राज्यों के लिए जल सुरक्षा की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल होगी। राजस्थान, जो सामान्यतः जल संकट से जूझता है, इस परियोजना से दीर्घकालिक राहत प्राप्त कर सकता है।
इस परियोजना के लागू होने से राजस्थान के भरतपुर, अलवर, धौलपुर, करौली, झुंझुनूं जैसे पूर्वी जिलों को सीधे लाभ मिलेगा।
हरियाणा के भी मेवात, रेवाड़ी और फरीदाबाद क्षेत्रों में पेयजल और सिंचाई की समस्या काफी हद तक हल हो सकती है।
यह समझौता दर्शाता है कि जब राज्य सरकारें राजनीतिक मतभेद से ऊपर उठकर आपसी समन्वय से कार्य करती हैं, तो जटिल समस्याएं भी हल की जा सकती हैं।
संयुक्त प्रयासों की दिशा में बड़ा कदम
यह संवाद इस बात का प्रमाण है कि भारत में अंतरराज्यीय सहयोग और साझा प्रशासनिक दृष्टिकोण से नीतिगत समस्याएं सुलझाई जा सकती हैं।