शोभना शर्मा। शहर में पिछले दस दिनों से धूमधाम से मनाया जा रहा गणेश उत्सव आज अनंत चतुर्दशी के मौके पर गणेशजी के विसर्जन के साथ समाप्त हो जाएगा। गणेश पंडालों में श्रद्धालुओं ने भगवान गणेश की विशेष पूजा और आरती की। इसके अलावा भगवान गणेश को 56 भोग अर्पित करने की परंपरा का भी पालन किया गया, जिसमें विशेष प्रकार के व्यंजन अर्पित किए गए। इस अवसर पर शहर के कई हिस्सों में भव्य आयोजन और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए गए।
विशेष रूप से श्री राम हिंदुस्तान युवा सेना द्वारा वैशाली नगर, राजू कॉलोनी शिवपाल लखन सोसाइटी में गणपति बप्पा की विशेष पूजा की गई और उनका विशेष शृंगार किया गया। गणेशजी को छप्पन भोग अर्पित करने के बाद महिलाओं ने पारंपरिक डांडिया खेला। इस अवसर पर पूरा माहौल उल्लास और उत्साह से भरा हुआ था। ढोल और डीजे की धुन पर श्रद्धालुओं ने जमकर नृत्य किया और भगवान गणेश को विदाई देने की तैयारियां शुरू कर दीं।
श्री राम हिंदुस्तान युवा सेना के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष देवीलाल सोनी ने बताया कि हर साल की तरह इस साल भी गणेश उत्सव को बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया गया। गणेशजी की स्थापना के समय से लेकर विसर्जन तक पूरे दस दिनों तक विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए गए। सोनी ने यह भी बताया कि अनंत चतुर्दशी से एक दिन पहले भगवान गणेश का जन्मदिन मनाया गया, जिसमें गणेशजी के समक्ष केक भी काटा गया। इस अनूठे आयोजन ने भक्तों में और भी उत्साह भर दिया।
56 भोग की परंपरा
गणेशजी को अर्पित किया जाने वाला 56 भोग भारतीय परंपरा में बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। इस भोग में विभिन्न प्रकार के व्यंजन जैसे मिठाइयां, फल, मेवे और अन्य स्वादिष्ट पकवान शामिल होते हैं। श्रद्धालु इसे भगवान गणेश की कृपा प्राप्त करने के लिए अर्पित करते हैं। गणेश उत्सव के इस खास दिन पर भक्तगण अपने आराध्य देव को यह भोग अर्पित कर सुख-समृद्धि की कामना करते हैं।
डीजे और ढोल की धुन पर होगी विदाई
आज गणेशजी की विदाई ढोल-डीजे की धुन और नृत्य के साथ होगी। विसर्जन जुलूस में भक्तगण पारंपरिक वेशभूषा में सज-धज कर शामिल होंगे और भगवान गणेश को धूमधाम से विदा करेंगे। पूरे शहर में जगह-जगह गणेश प्रतिमाओं के विसर्जन के लिए तैयारी की गई है, जहां गणेश भक्त अपने आराध्य देव को जल में विसर्जित करेंगे।
पर्यावरण के प्रति जागरूकता
इस साल कई स्थानों पर पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए इको-फ्रेंडली गणेश प्रतिमाओं का उपयोग किया गया है, ताकि जल स्रोतों को प्रदूषण से बचाया जा सके। शहर के प्रमुख जलाशयों में विसर्जन की व्यवस्था की गई है, जहां प्रशासन ने विसर्जन को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए विशेष इंतजाम किए हैं।