शोभना शर्मा। भारत में सोना केवल आभूषण नहीं, बल्कि सम्मान, परंपरा और आर्थिक सुरक्षा का प्रतीक माना जाता है। हर त्यौहार, शादी या शुभ अवसर पर लोग सोना खरीदना शुभ मानते हैं। लेकिन जब ग्राहक अलग-अलग ज्वैलरी दुकानों पर जाते हैं, तो अक्सर यह देखते हैं कि एक ही डिजाइन की ज्वैलरी की कीमत दो जगहों पर अलग-अलग होती है। इसका कारण केवल सोने का रेट नहीं होता, बल्कि उससे जुड़े कई अतिरिक्त शुल्क — जैसे मेकिंग चार्ज, वेस्टेज चार्ज, और GST भी होते हैं। इसलिए यह समझना जरूरी है कि ज्वैलरी की असली कीमत कैसे तय होती है।
मेकिंग चार्ज क्या होता है?
मेकिंग चार्ज यानी वह शुल्क जो सोने को गहने का रूप देने के लिए लिया जाता है। जब कोई ज्वैलर कच्चे सोने को पिघलाकर, काटकर, मोड़कर और नक्काशी कर सुंदर डिजाइन में बदलता है, तो उसमें कारीगर की मेहनत, समय और कौशल लगता है। यह प्रक्रिया पूरी तरह हस्तकला पर निर्भर होती है — और यही लागत ग्राहक से मेकिंग चार्ज के रूप में वसूली जाती है। यानी सोने की कीमत अलग होती है और उसे गहना बनाने की मेहनत अलग। यही मेहनत मेकिंग चार्ज कहलाती है।
भारत में मेकिंग चार्ज कितना होता है?
आमतौर पर भारत में 22 कैरेट गोल्ड ज्वैलरी पर मेकिंग चार्ज 5% से 25% के बीच होता है। अगर डिजाइन साधारण है, तो चार्ज कम (5%–10%) होता है। अगर डिजाइन जटिल, बारीक या कस्टमाइज्ड है, तो चार्ज अधिक (20%–25%) तक हो सकता है। कुछ ब्रांडेड ज्वैलर्स अपनी प्रतिष्ठा और डिजाइन क्वालिटी के कारण मेकिंग चार्ज ज्यादा रखते हैं, जबकि स्थानीय ज्वैलर्स में ये दरें थोड़ी कम होती हैं।
मेकिंग चार्ज कैसे कैलकुलेट किया जाता है?
मेकिंग चार्ज दो प्रमुख तरीकों से तय किया जाता है —
1. प्रति ग्राम के आधार पर (Fixed Charge per Gram)
इस पद्धति में हर ग्राम सोने पर एक तय राशि के अनुसार चार्ज लिया जाता है।
उदाहरण के लिए –
अगर मेकिंग चार्ज ₹500 प्रति ग्राम है और ज्वैलरी का वजन 10 ग्राम है,
तो कुल मेकिंग चार्ज = 10 × 500 = ₹5,000।यह तरीका पारदर्शी और ग्राहकों के लिए फायदेमंद माना जाता है, क्योंकि इसमें चार्ज सोने के वजन के अनुसार तय होता है, न कि उसकी कीमत के अनुसार।
2. प्रतिशत के आधार पर (Percentage Method)
इस तरीके में सोने की कुल कीमत पर एक निश्चित प्रतिशत के रूप में मेकिंग चार्ज लिया जाता है।
उदाहरण के लिए –
अगर ज्वैलरी की कीमत ₹7,00,000 है और मेकिंग चार्ज 10% है,
तो अतिरिक्त राशि = ₹70,000 होगी।इस तरीके में सोने की कीमत जितनी ज्यादा होगी, मेकिंग चार्ज भी उतना बढ़ेगा। इसलिए यह तरीका महंगा साबित हो सकता है, खासकर जब सोने का बाजार भाव ऊंचा हो।
वेस्टेज चार्ज क्या होता है?
सोना ज्वैलरी बनाने के दौरान पूरी तरह उपयोग में नहीं आता। पिघलाने, काटने, पॉलिश करने और फिनिशिंग के दौरान थोड़ी मात्रा में सोना व्यर्थ (wastage) हो जाता है। इस नुकसान की भरपाई के लिए ज्वैलर ग्राहक से वेस्टेज चार्ज लेता है। आमतौर पर वेस्टेज चार्ज 5% से 7% के बीच होता है। लेकिन अगर ज्वैलरी का डिजाइन बहुत बारीक या जालीदार है, तो यह 10% या उससे अधिक भी हो सकता है।
अन्य शुल्क: GST और सोने का मूल मूल्य
सोना खरीदते समय बिल में केवल सोने की कीमत और मेकिंग चार्ज ही नहीं, बल्कि अन्य शुल्क भी जोड़े जाते हैं।
शुल्क क्या है कितना लगता है सोने का मूल मूल्य प्रति ग्राम सोने की दर बाजार दर के अनुसार मेकिंग चार्ज गहना बनाने का खर्च 5%–25% या प्रति ग्राम वेस्टेज चार्ज निर्माण के दौरान सोने का नुकसान 5%–10% GST (Goods and Services Tax) सरकार का टैक्स कुल बिल पर 3% इन सभी शुल्कों को जोड़ने के बाद ही अंतिम ज्वैलरी कीमत तय होती है।
उदाहरण से समझें ज्वैलरी की पूरी कीमत
मान लीजिए आप 22 कैरेट की 10 ग्राम की ज्वैलरी खरीदते हैं।
सोने की कीमत: ₹6,000 प्रति ग्राम × 10 = ₹60,000
मेकिंग चार्ज (10%): ₹6,000
वेस्टेज चार्ज (5%): ₹3,000
सबटोटल = ₹69,000
GST (3%): ₹2,070
कुल कीमत = ₹71,070यानी वास्तविक सोने की कीमत ₹60,000 की बजाय ग्राहक को लगभग ₹71,000 चुकाने पड़ते हैं।
सोना खरीदते समय ध्यान रखने योग्य बातें
हमेशा BIS हॉलमार्क वाला सोना खरीदें। यह सोने की शुद्धता की सरकारी गारंटी होती है।
बिल में चार्जेस स्पष्ट रूप से देखें। मेकिंग चार्ज, वेस्टेज चार्ज और GST अलग-अलग दर्ज होने चाहिए।
चार्ज का तरीका पूछें। यह प्रति ग्राम है या प्रतिशत के आधार पर, यह पहले से जान लें।
दिन का गोल्ड रेट जानें। सोने की दरें रोज़ बदलती हैं, इसलिए खरीदने से पहले अपडेटेड रेट लें।
डिस्काउंट पर सोच-समझकर निर्णय लें। भारी डिस्काउंट का मतलब कभी-कभी शुद्धता में समझौता भी हो सकता है।
सोना खरीदना भारतीय परंपरा और आर्थिक सुरक्षा दोनों से जुड़ा फैसला होता है। लेकिन यह तभी समझदारी भरा निवेश बनता है जब खरीदार मेकिंग चार्ज, वेस्टेज चार्ज और GST जैसे सभी शुल्कों की पूरी जानकारी रखता हो। अगर आप इन चार्जों को समझकर खरीदारी करते हैं, तो न केवल सही दाम में ज्वैलरी खरीदेंगे, बल्कि भविष्य में सोना बेचते समय अनुचित नुकसान से भी बच सकेंगे।


