latest-newsदेशबाड़मेरराजस्थान

NCC में बाड़मेर की बेटी सरिता बनी लेफ्टिनेंट

NCC में बाड़मेर की बेटी सरिता बनी लेफ्टिनेंट

शोभना शर्मा। राजस्थान के बाड़मेर जिले ने इतिहास रचते हुए पहली बार एक महिला एनसीसी लेफ्टिनेंट को जन्म दिया है। बाड़मेर गर्ल्स कॉलेज की असिस्टेंट प्रोफेसर सरिता लीलड़ ने मध्यप्रदेश के ग्वालियर स्थित ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकादमी (OTA) में 75 दिन की कठिन और अनुशासित ट्रेनिंग पूरी कर NCC में लेफ्टिनेंट का पद प्राप्त किया। अब वे लेफ्टिनेंट (ANO) सरिता के नाम से जानी जाएंगी।

ट्रेनिंग के दौरान भावुक हुई सरिता

सरिता दो बेटियों की मां हैं। ट्रेनिंग के दौरान उन्हें दोनों बेटियों से दूर रहना पड़ा। कई बार बच्चों की याद में वे भावुक होकर रो भी पड़ीं। लेकिन जब वे सफल होकर लौटीं, तो सबसे पहले अपने ससुर को सैल्यूट किया। उनका कहना है कि यह सम्मान सबसे पहले उनके ससुर का था, क्योंकि उन्होंने हमेशा भरोसा किया और उन्हें प्रोत्साहित किया।

प्रोफेसर से एनसीसी अधिकारी तक का सफर

साल 2019 में सरिता ने बाड़मेर गर्ल्स कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में ज्वॉइन किया। इसके अगले ही साल कॉलेज में एनसीसी की गर्ल्स विंग शुरू हुई और इसका दायित्व उन्हें सौंपा गया। तभी उन्होंने ठान लिया कि बच्चों को ट्रेनिंग और अनुशासन देने से पहले उन्हें खुद प्रशिक्षित होना होगा।

उन्होंने दो बार इंटरव्यू दिए। पहली बार विशेष परिस्थितियों के चलते चयन नहीं हो पाया। लेकिन सितंबर 2024 में उनका चयन हुआ और जुलाई 2025 से उनकी ट्रेनिंग शुरू हो गई।

ट्रेनिंग से मिले नए अनुभव

ग्वालियर OTA में मिली ट्रेनिंग बेहद कठोर और अनुशासनपूर्ण थी। सरिता को वेपन हैंडलिंग, बैटल क्राफ्ट, फील्ड क्राफ्ट, CPR समेत कई तकनीकी और सामाजिक गतिविधियों का प्रशिक्षण दिया गया। वे बताती हैं कि इन अनुभवों को वे अब अपने कैडेट्स तक पहुंचाना चाहती हैं। उनका मानना है कि बाड़मेर की बच्चियों को भी NCC के जरिए आत्मअनुशासन, आत्मविश्वास और देशभक्ति की भावना से प्रेरित होना चाहिए।

परिवार का मिला सहयोग

सरिता का पैतृक गांव बाड़मेर जिले का कोलू है, जबकि उनकी पढ़ाई जोधपुर जिले में हुई। पिता ने हमेशा उच्च शिक्षा के लिए प्रेरित किया। शादी के बाद सास-ससुर और पति ने भी उन्हें हर कदम पर प्रोत्साहित किया।

ट्रेनिंग के लिए रवाना होने से पहले उनकी बड़ी बेटी ने उन्हें गले लगाकर कहा—“मम्मी आप जाओ, बेस्ट ऑफ लक।” इस एक वाक्य ने सरिता को सबसे अधिक हिम्मत दी।

बचपन का सपना हुआ पूरा

सरिता बताती हैं कि बचपन से ही सेना की वर्दी पहनने और कंधे पर तारे लगाने का सपना था। जब स्कूल के दिनों में उन्होंने आर्मी ऑफिसर्स को देखा, तभी यह ख्वाहिश मन में बस गई थी। जीवन की राह ने उन्हें पहले असिस्टेंट प्रोफेसर बनाया और अब एनसीसी लेफ्टिनेंट बनकर उनका यह सपना भी पूरा हो गया।

वे गर्व से कहती हैं कि उनके पास दो बेटियों की जिम्मेदारी है, लेकिन परिवार ने कभी उनके सपनों को रोका नहीं। अब उनकी कोशिश रहेगी कि बाड़मेर की हर बेटी NCC के जरिए अनुशासन और आत्मविश्वास सीखे।

देशभक्ति का बड़ा संदेश

लेफ्टिनेंट सरिता लीलड़ का कहना है कि एनसीसी केवल ट्रेनिंग का माध्यम नहीं है, बल्कि यह राष्ट्र सेवा का मार्ग भी है। वे चाहती हैं कि बाड़मेर की बेटियां न केवल पढ़ाई में बल्कि अनुशासन और देशभक्ति में भी आगे बढ़ें।

उन्होंने कहा—“मैं यह संदेश देना चाहती हूं कि कोई भी सपना बड़ा नहीं होता। अगर परिवार साथ दे और इच्छाशक्ति मजबूत हो, तो बेटियां हर मुकाम हासिल कर सकती हैं।”

महिला सशक्तिकरण की मिसाल

सरिता का यह कदम महिला सशक्तिकरण की दिशा में भी बड़ा संदेश है। ग्रामीण क्षेत्र से निकलकर उच्च शिक्षा, प्रोफेसरी और फिर NCC लेफ्टिनेंट बनने तक का सफर साबित करता है कि राजस्थान की बेटियां भी किसी से कम नहीं हैं।

post bottom ad

Discover more from MTTV INDIA

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading