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राजस्थान में बेरोजगारी भत्ते पर रोक, फर्जी उपस्थिति पर 2.58 लाख की वसूली

राजस्थान में बेरोजगारी भत्ते पर रोक, फर्जी उपस्थिति पर 2.58 लाख की वसूली

मनीषा शर्मा। राजस्थान सरकार द्वारा बेरोजगार युवाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के उद्देश्य से ‘मुख्यमंत्री युवा संबल योजना’ चलाई जा रही है। कौशल, रोजगार एवं उद्यमिता विभाग की इस योजना के तहत पात्र पुरुष लाभार्थियों को हर महीने 4000 रुपये और महिला लाभार्थियों को 4500 रुपये तक का बेरोजगारी भत्ता प्रदान किया जाता है।
इस योजना की मुख्य शर्त यह है कि प्रत्येक लाभार्थी को प्रतिदिन चार घंटे की अनिवार्य इंटर्नशिप किसी न किसी राजकीय कार्यालय में करनी होती है, ताकि युवाओं को कार्यस्थल का अनुभव भी मिल सके।

लेकिन हालिया निरीक्षणों ने योजना की पारदर्शिता को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। कई लाभार्थियों के द्वारा बिना इंटर्नशिप किए केवल भत्ता प्राप्त करने के मामलों का खुलासा हुआ है।

चौमू तहसील में औचक निरीक्षण से खुली अनियमितताएँ

योजना की वास्तविक प्रगति और इंटर्न उपस्थिति की स्थिति का आकलन करने के लिए उपनिदेशक नवरेखा के नेतृत्व में चौमू तहसील के कई क्षेत्रों में औचक निरीक्षण किया गया। जांच टीम ने रामपुरा डाबड़ी, उदयपुरिया, इटावा भोपजी सहित आसपास के राजकीय कार्यालयों, पंचायत समितियों, पटवार भवनों, आयुर्वेद औषधालयों और पशु चिकित्सालयों में तैनात इंटर्न की उपस्थिति की गहन जांच की।

निरीक्षण के दौरान पाया गया कि कई इंटर्न अपने कार्यों को पूरी जिम्मेदारी से निभा रहे थे। वे समय पर उपस्थित होकर सौंपे गए प्रशासनिक कार्यों में सहयोग दे रहे थे। दूसरी ओर, बड़ी संख्या में ऐसे लाभार्थी भी मिले जो अपने कार्यस्थल से पूरी तरह अनुपस्थित पाए गए।

अनुपस्थित पाए गए इंटर्न का बेरोजगारी भत्ता रोका गया

निरीक्षण में अनुपस्थित पाए गए लाभार्थियों के विरुद्ध तुरंत कार्रवाई की गई। संबंधित कार्यालयों को उनके भत्ते रोकने के निर्देश दिए गए। विभागीय अधिकारियों ने बताया कि इस प्रक्रिया में किसी भी तरह की ढिलाई नहीं बरती जाएगी और जांच में दोषी पाए गए प्रत्येक इंटर्न पर कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।
राज्य सरकार का स्पष्ट संदेश है कि योजना का लाभ केवल उन्हीं युवाओं को मिलेगा जो निर्धारित नियमों और शर्तों का गंभीरता से पालन करेंगे।

फर्जी उपस्थिति पर बड़ी वसूली—2.58 लाख रुपये राजकोष में जमा

उपनिदेशक नवरेखा ने बताया कि इंटर्नशिप उपस्थिति प्रमाण-पत्रों के सत्यापन के दौरान कई लाभार्थियों द्वारा गलत तरीके से उपस्थिति दर्ज करवाकर बेरोजगारी भत्ता लेने के मामले सामने आए। इन मामलों में कुल 2 लाख 58 हजार 520 रुपये की वसूली कर ली गई है और यह राशि राजकोष में जमा करा दी गई है।

विभाग का कहना है कि आगे भी इसी तरह का सत्यापन अभियान विभिन्न जिलों में चलाया जाएगा, ताकि योजना में किसी भी तरह की अनियमितता की गुंजाइश न रहे।

सरकारी अभियानों में सक्रिय भूमिका निभा रहे इंटर्न

वर्तमान में मुख्यमंत्री युवा संबल योजना से जुड़े कई इंटर्न जिला प्रशासन के निर्देशों के तहत विभिन्न विशेष गहन पुनरीक्षण कार्यों में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। ये युवा लाभार्थी दस्तावेज सत्यापन, फील्ड सर्वे, प्रशासनिक रिकॉर्ड अपडेट और अभियान संबंधी समयबद्ध कार्यों में सहयोग दे रहे हैं।

अधिकारियों के अनुसार, यह सहभागिता इस बात का प्रमाण है कि यदि योजना का सही ढंग से लाभ उठाया जाए, तो यह युवाओं के लिए अनुभव और कौशल विकास का एक महत्वपूर्ण अवसर बन सकती है। विभाग इन युवाओं को जिम्मेदार और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक मानते हुए उनके योगदान की सराहना कर रहा है।

अनियमितताओं पर सरकार सख्त, पारदर्शिता प्राथमिकता

राजस्थान सरकार ने स्पष्ट किया है कि मुख्यमंत्री युवा संबल योजना का उद्देश्य जरूरतमंद और पात्र बेरोजगार युवाओं को आर्थिक सहायता देना है। इसलिए फर्जी उपस्थिति और गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार को किसी भी स्तर पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
भविष्य में भी इस योजना से जुड़े इंटर्न की नियमित मॉनिटरिंग, उपस्थिति सत्यापन और औचक निरीक्षण जारी रहेंगे।

 

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