मनीषा शर्मा। राजस्थान में सरकारी विभागों में तबादलों पर बुधवार आधी रात से पाबंदी लगा दी गई है। पिछले 15 दिनों तक चले तबादलों की प्रक्रिया के बाद अब सरकारी विभागों में तबादले नहीं हो सकेंगे। इस दौरान अनुमानित 20,000 से अधिक तबादले किए गए। हालांकि, कुछ विभागों में बैकडेट में तबादले किए जाने की सूचनाएं भी सामने आई हैं।
सरकार ने पहले तबादलों पर लगी रोक को 30 दिसंबर को हटाया था, जिसे 10 जनवरी तक के लिए बढ़ाया गया। बाद में इसे 15 जनवरी तक के लिए विस्तारित किया गया। हालांकि, शिक्षा विभाग में तबादलों पर पहले से ही रोक लगी हुई थी और इस बार भी उसे जारी रखा गया।
तबादलों में विधायकों और नेताओं का प्रभाव
सरकारी तबादलों की इस प्रक्रिया में सत्ता पक्ष के विधायकों और भाजपा नेताओं का दबदबा देखा गया। विभिन्न विभागों में तबादले इन नेताओं की सिफारिशों और डिजायर के आधार पर किए गए। खासकर, मेडिकल, बिजली, जलदाय, पंचायती राज और ग्रामीण विकास विभागों में सबसे अधिक तबादले हुए, क्योंकि इन विभागों में कर्मचारियों की संख्या भी अधिक है।
तबादलों के कारण प्रभावित हुआ कामकाज
तबादलों के कारण सचिवालय और मंत्रियों के दफ्तरों में पिछले 15 दिनों तक कामकाज बुरी तरह प्रभावित रहा। बड़ी संख्या में सरकारी कर्मचारी और आम लोग तबादले के लिए सिफारिशें लेकर मंत्रियों और विधायकों के घरों और दफ्तरों का चक्कर लगाते रहे। इसके चलते कई मंत्रियों ने अपने सचिवालय कार्यालयों में बैठना तक बंद कर दिया। अब जब तबादलों पर रोक लग चुकी है, तो उम्मीद है कि कामकाज फिर से पटरी पर लौटेगा।
शिक्षा विभाग में तबादलों पर पहले से रोक
इस बार भी शिक्षा विभाग में तबादलों पर लगी रोक को नहीं हटाया गया। विभाग ने तबादला नीति तैयार नहीं होने और आगामी बोर्ड परीक्षाओं की तैयारियों का हवाला देते हुए यह निर्णय लिया। खासकर ग्रेड थर्ड शिक्षकों के तबादलों पर लंबे समय से रोक लगी हुई है। वसुंधरा राजे सरकार के समय आखिरी बार हुए ग्रेड थर्ड शिक्षकों के तबादलों के बाद गहलोत सरकार में भी यह प्रतिबंध जारी रहा।
मांग के मुकाबले कम हुए तबादले
तबादलों पर बैन हटने के बाद कम समय में सीमित संख्या में ही तबादले हो पाए। भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं ने कांग्रेस शासन के दौरान जमे हुए कर्मचारियों के तबादले की मांग की थी, लेकिन आधे समय की छुट्टियों और कम अवधि के कारण मांग के मुकाबले अपेक्षाकृत कम तबादले हुए।
बजट सत्र के बाद हट सकता है बैन
31 जनवरी से विधानसभा का बजट सत्र शुरू होने वाला है। इसे देखते हुए तबादलों से बैन अब बजट सत्र के बाद मई या जून में हटाए जाने की संभावना है। भाजपा के नेता और कार्यकर्ता तबादलों के लिए बैन को कम से कम एक महीने तक हटाए जाने की मांग कर रहे थे, लेकिन सरकार ने सीमित अवधि के लिए ही पाबंदी हटाई।