मनीषा शर्मा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आयुष्मान भारत संकल्प को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव शुभ्रा सिंह ने जोर देकर कहा कि आयुष्मान आरोग्य मंदिर जनस्वास्थ्य के लिए एक मील का पत्थर साबित होंगे। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे ये मंदिर गांव-ढाणी तक प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार में एक प्रमुख धुरी की भूमिका निभाएंगे। श्रीमती सिंह ने यह वक्तव्य जोधपुर में आयोजित राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) की चतुर्थ रीजनल कॉन्फ्रेंस के उद्घाटन सत्र में दिया। इस कॉन्फ्रेंस की मेजबानी एनएचएम राजस्थान द्वारा की गई थी, जिसमें सात राज्यों और तीन केंद्र शासित प्रदेशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
सिंह ने कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि आयुष्मान आरोग्य मंदिर के माध्यम से कॉम्प्रीहेंसिव प्राइमरी हेल्थ केयर, क्वालिटी एण्ड पेशेंट सेफ्टी, इंडियन पब्लिक हेल्थ स्टैंडर्ड, कम्यूनिटी प्रोसेसेज, मानव संसाधन, निःशुल्क दवा आपूर्ति, और स्वास्थ्य के आधारभूत ढांचे का सुदृढ़ीकरण व उन्नयन किया जाएगा। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि राजस्थान में स्वास्थ्य सेवाओं के सुदृढ़ीकरण के लिए राज्य सरकार पूरी प्रतिबद्धता के साथ काम कर रही है। उन्होंने बताया कि इस वित्तीय वर्ष में स्वास्थ्य सेवाओं के लिए 8.26 प्रतिशत का बजट आवंटन किया गया है, जो अब तक का सर्वाधिक है। एनएचएम स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करने की दिशा में एक महत्वाकांक्षी फ्लैगशिप कार्यक्रम है, जिसने देशभर में चिकित्सा तंत्र को निचले स्तर तक मजबूत किया है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की अतिरिक्त सचिव और मिशन निदेशक एनएचएम आराधना पटनायक ने बताया कि आगामी दो वर्षों में पूरे देश में 1 लाख 73 हजार से अधिक आयुष्मान आरोग्य मंदिरों को क्रियाशील किया जाएगा। इन मंदिरों में 12 प्रकार की स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध होंगी, और इसके लिए सीएचओ और अन्य स्वास्थ्य कार्मिकों को विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसके साथ ही, प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत हैल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर मिशन के तहत गांव-ढाणी तक चिकित्सा के आधारभूत ढांचे को चरणबद्ध रूप से सशक्त बनाया जा रहा है।
आराधना पटनायक ने जोर दिया कि ग्रामीण स्तर तक आमजन को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने के लिए स्वास्थ्य सुविधाओं की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य केंद्रों पर संपादित होने वाली गतिविधियों को और अधिक सरल बनाने के लिए विभिन्न पोर्टल्स को इंटीग्रेटेड रूप में संचालित किया जाएगा। इसके साथ ही, उन्होंने राज्यों से अपेक्षा की कि केंद्र सरकार द्वारा संचालित विभिन्न स्वास्थ्य कार्यक्रमों का लाभ निचले स्तर तक पहुंचाने के लिए हर स्तर पर नियमित समीक्षा की जाए।
इस कॉन्फ्रेंस के पहले दिन विभिन्न सत्रों में कॉम्प्रीहेंसिव प्राइमरी हेल्थ केयर, नेशनल क्वालिटी एश्योरेंस स्टैंडर्ड, पोर्टल्स का इंटीग्रेशन, स्वास्थ्य के लिए मानव संसाधन, फ्री ड्रग्स इनीशिएटिव, और इन्फ्रास्ट्रक्चर सुधार सहित अन्य महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की गई। कॉन्फ्रेंस के दूसरे दिन गुरुवार को विभिन्न राज्यों से आए प्रतिभागी राजस्थान के चिकित्सा संस्थानों का भ्रमण करेंगे और वहां के अनुभव साझा करेंगे।
सिंह ने एनएचएम की शुरुआत के समय के अपने अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि इस प्रकार की पहलें स्वास्थ्य सेवाओं को सुधारने और जनस्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने आईएचएमएस और आभा आईडी जैसे तकनीकी कार्यक्रमों को भी स्वास्थ्य क्षेत्र में गेम चेंजर बताया, जो कि चिकित्सा सेवाओं को अधिक प्रभावी और सुगम बनाने में सहायक साबित होंगे।
इस अवसर पर भारत सरकार के संयुक्त सचिव नीति सौरभ जैन, कार्यकारी निदेशक एनएचएसआरसी अतुल कोटवाल, लक्षद्वीप के स्वास्थ्य सचिव अवनीश कुमार सहित गोवा, झारखंड, कर्नाटक, दादर नागर हवेली, दमन, ओडिशा, पुदुचेरी और दिल्ली के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी एवं विशेषज्ञ भी उपस्थित थे।
इस कॉन्फ्रेंस का आयोजन राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, जो आने वाले समय में स्वास्थ्य सेवाओं के सुदृढ़ीकरण और विस्तार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।