मनीषा शर्मा, अजमेर। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अजमेर में मीडिया से बातचीत के दौरान भाजपा की वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को लेकर बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि, “वसुंधरा राजे को अभी मौका कहां मिला है। अगर मौका मिलता तो मजा आता। उनकी पार्टी ने ही उन्हें यह अवसर नहीं दिया। हमें दुख है कि इतनी अनुभवी नेता को किनारे कर दिया गया है।” गहलोत ने यह भी कहा कि बीजेपी की नेचुरल चॉइस वसुंधरा राजे होनी चाहिए थी, लेकिन पार्टी ने उन्हें प्राथमिकता नहीं दी। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि अगर वसुंधरा राजे पहले की तरह मुख्यमंत्री बनतीं, तो सियासत का नजारा ही कुछ और होता।
भजनलाल और वसुंधरा की मोहन भागवत से मुलाकात पर प्रतिक्रिया
सर्किट हाउस में पत्रकारों द्वारा भजनलाल शर्मा और वसुंधरा राजे की RSS प्रमुख मोहन भागवत से मुलाकात के सवाल पर गहलोत ने कहा कि इसमें पूछने जैसा कुछ नहीं है। उन्होंने दोहराया कि वसुंधरा राजे को उनका हक नहीं मिला, और पार्टी ने उन्हें दरकिनार कर दिया। गहलोत ने कहा – “मैं क्या कर सकता हूं, अगर बीजेपी ने अपनी अनुभवी नेता को ही नजरअंदाज कर दिया। अगर वसुंधरा जी को फिर से मौका मिलता तो राजनीतिक परिदृश्य दिलचस्प हो सकता था।”
जोधपुर दौरे पर मोहन भागवत की सराहना
मोहन भागवत के जोधपुर दौरे पर प्रतिक्रिया देते हुए गहलोत ने कहा कि यह शहर का सौभाग्य है कि उन्होंने यहां आने का निर्णय लिया। गहलोत बोले – “उन्होंने जोधपुर को चुना, यह उनकी बड़ी कृपा है। मैं चाहता हूं कि जोधपुर से भाईचारे और मोहब्बत का संदेश जाए। जोधपुर का इतिहास हमेशा से सामाजिक सौहार्द और विविधता का प्रतीक रहा है।” गहलोत ने उम्मीद जताई कि भागवत अपने भाषणों और संदेशों में शांति, एकता और प्यार का संदेश देंगे, जिससे समाज में सकारात्मक माहौल बने।
काशी-मथुरा विवाद पर गहलोत की चेतावनी
अशोक गहलोत ने काशी और मथुरा विवाद को लेकर भाजपा और संघ पर सीधा हमला बोला। उन्होंने कहा कि ऐसी बातें देश के लिए उचित नहीं हैं। गहलोत ने कहा –
“यह जो काशी-मथुरा की बातें की जा रही हैं, वे देश में दंगे भड़का देंगी। राम मंदिर आंदोलन के समय देश में कितनी हिंसा हुई थी। फिर क्यों नई बातें छेड़ी जा रही हैं?” उन्होंने मोहन भागवत के बयानों पर भी सवाल उठाया। गहलोत ने कहा कि भागवत कभी अच्छी बातें कहते हैं लेकिन बाद में उलझन पैदा करने वाले मुद्दों को भी छेड़ देते हैं।
RSS पर सीधा हमला
गहलोत ने आरएसएस को लेकर भी तीखी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि भागवत कहते हैं कि RSS इन विवादों में शामिल नहीं होगी, लेकिन स्वयंसेवकों को छूट दे देते हैं। गहलोत ने सवाल उठाया कि – “अगर स्वयंसेवक शामिल होंगे, तो वही तो RSS है। तो फिर इस तरह के बयान क्यों दिए जा रहे हैं? इससे देश में असमंजस और चिंता का माहौल बनता है।” उन्होंने कहा कि देश की जनता अभी चुप है लेकिन सोच रही है कि भाजपा और RSS किस दिशा में देश को ले जाना चाहते हैं।
राजनीति में वसुंधरा की अनदेखी और भाजपा की रणनीति
गहलोत के इस बयान से एक बार फिर राजस्थान की राजनीति में वसुंधरा राजे की भूमिका को लेकर चर्चा तेज हो गई है। भाजपा की राजनीति में लंबे समय से सक्रिय और दो बार मुख्यमंत्री रह चुकीं वसुंधरा राजे को वर्तमान में पार्टी ने हाशिये पर रखा है। गहलोत ने इसी पर दुख जताया और कहा कि अगर वसुंधरा जैसी अनुभवी नेता को मौका नहीं मिलेगा, तो यह भाजपा की आंतरिक राजनीति पर सवाल खड़े करता है।
जोधपुर में दिए गए अपने बयान में अशोक गहलोत ने भाजपा और RSS पर कई सवाल उठाए। उन्होंने वसुंधरा राजे को पार्टी द्वारा किनारे किए जाने को अन्यायपूर्ण बताया और RSS प्रमुख मोहन भागवत के बयानों को विवाद पैदा करने वाला कहा। गहलोत का यह बयान राजस्थान की सियासत के साथ-साथ राष्ट्रीय राजनीति में भी नई बहस को जन्म दे सकता है, क्योंकि इसमें भाजपा की आंतरिक राजनीति, वसुंधरा राजे की स्थिति और RSS की रणनीति तीनों को जोड़कर देखा जा रहा है।