शोभना शर्मा। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इस बार 3 मई को अपना जन्मदिन नहीं मनाएंगे। उन्होंने यह निर्णय जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले की पृष्ठभूमि में लिया है। गहलोत ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर एक भावुक संदेश साझा करते हुए कहा कि इस दुखद घटना ने उन्हें भीतर तक झकझोर दिया है और ऐसे समय में जन्मदिन जैसे उत्सव से दूर रहना ही उचित होगा।
गहलोत ने स्पष्ट किया कि इस हमले में निर्दोष लोगों की निर्मम हत्या ने देश को स्तब्ध कर दिया है। जिन परिवारों ने अपने प्रियजनों को अपनी आंखों के सामने खोया, उनकी पीड़ा असहनीय है। उन्होंने लिखा कि ऐसे वक्त में जश्न मनाना नैतिक रूप से सही नहीं लगता और इसलिए वे इस वर्ष कोई भी सार्वजनिक या निजी आयोजन नहीं करेंगे।
हमले से व्यथित, नहीं मनाएंगे जन्मदिन
अशोक गहलोत ने सोशल मीडिया पर लिखा—
“पहलगाम में हुए कायराना आतंकी हमले ने हम सभी को अंदर तक व्यथित कर दिया है। परिवार के साथ सुखद समय बिताने के उद्देश्य से गए लोगों के लिए यह यात्रा एक जीवन भर का दुख दे गई। अभी तक उन परिवारों की मनोस्थिति सोचकर मन सिहर उठता है जिनके परिजनों को उनके सामने मार दिया गया। ऐसे समय में मैंने इस साल 3 मई को अपना जन्मदिन न मनाने का फैसला किया है।”उनका यह संदेश न केवल राजनीतिक रूप से गंभीरता को दर्शाता है, बल्कि एक संवेदनशील नागरिक के रूप में उनकी भावनात्मक स्थिति को भी उजागर करता है।
कार्यकर्ताओं और प्रशंसकों से की भावनात्मक अपील
हर साल अशोक गहलोत का जन्मदिन उनके समर्थकों के बीच बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। राजस्थान के विभिन्न हिस्सों से लोग उन्हें बधाई देने के लिए जयपुर स्थित उनके आवास पर पहुंचते हैं। उनके जन्मदिन पर रक्तदान शिविर, स्वागत समारोह, सांस्कृतिक कार्यक्रम और सामाजिक सेवाएं आयोजित होती रही हैं।
लेकिन इस बार उन्होंने सभी कार्यकर्ताओं और समर्थकों से अपील की है कि वे इस दिन को सेवा और संवेदना के साथ बिताएं। गहलोत ने लिखा:
“मेरी सभी प्रशंसकों और कार्यकर्ताओं से अपील है कि इस दिवस पर अगर आपने कोई कार्यक्रम प्रस्तावित किया है, तो मानवीय दृष्टिकोण रखते हुए इसे रक्तदान शिविर और सेवा कार्यों तक ही सीमित रखें। इसके अतिरिक्त किसी तरह का जश्न न मनाएं। यह उन सभी दिवंगत आत्माओं को मेरी विनम्र श्रद्धांजलि है और उनके परिवारों के प्रति एकजुटता का प्रतीक है।”
राजनीतिक शालीनता की मिसाल
गहलोत के इस निर्णय को राजनीतिक शालीनता और सामाजिक जिम्मेदारी की दृष्टि से भी देखा जा रहा है। जहां आमतौर पर राजनेता अपने जन्मदिन पर शक्ति प्रदर्शन करते हैं और भारी जनसमूह के बीच भव्य आयोजन करवाते हैं, वहीं गहलोत ने विपरीत रास्ता अपनाते हुए एक गंभीर और संवेदनशील उदाहरण पेश किया है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह निर्णय गहलोत की विचारशीलता को दर्शाता है, जो संकट की घड़ी में समाज के साथ खड़ा होने की परंपरा का अनुसरण करता है। यह एक नेता की भूमिका को केवल सत्ता के दायरे में नहीं, बल्कि सामाजिक भावना के साथ जोड़कर देखने का प्रयास है।
पहल गाँव हमले की पृष्ठभूमि
गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले में कई निर्दोष नागरिक मारे गए। यह हमला तब हुआ जब कुछ परिवार वहां पर्यटन के उद्देश्य से गए थे। हमलावरों ने कायरता के साथ हमला कर निर्दोषों को मौत के घाट उतार दिया, जिससे पूरे देश में रोष फैल गया। इस हमले की चौतरफा निंदा हो रही है और देशभर में दुख की लहर दौड़ गई है।