शोभना शर्मा। नाबालिग लड़की से दुष्कर्म के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे स्वयंभू धर्मगुरु आसाराम बापू को स्वास्थ्य संबंधी कारणों के चलते अंतरिम जमानत पर जोधपुर लाया गया है। वे हाल ही में पुणे स्थित आयुर्वेदिक अस्पताल में उपचार के बाद सोमवार को जोधपुर लौटे। गुजरात हाई कोर्ट ने उनकी मेडिकल स्थिति को ध्यान में रखते हुए 30 जून 2025 तक की अंतरिम जमानत दी है।
इस बीच, आसाराम के बेटे नारायण साईं को भी गुजरात हाईकोर्ट से पांच दिन की अंतरिम जमानत मिली है ताकि वह अपने पिता से मिलने जोधपुर आ सकें। यह जमानत उन्हें विशेष शर्तों के साथ दी गई है। दोनों की यह मुलाकात 11 साल बाद होने जा रही है, जिसे लेकर प्रशासन ने विशेष सतर्कता बरती है।
मेडिकल आधार पर मिली जमानत
आसाराम की मेडिकल रिपोर्ट में प्रोस्टेट संबंधी समस्या और हृदय की दो नसों में 90% तक ब्लॉकेज की पुष्टि हुई है। इसी आधार पर उन्हें जेल से अंतरिम राहत दी गई है। कोर्ट के आदेश के अनुसार वे इस दौरान सिर्फ आयुर्वेदिक और नेचुरोपैथी पद्धति से उपचार करवा सकते हैं। जमानत की अवधि में किसी भी धार्मिक आयोजन, अनुयायियों से मिलना या जनसभा जैसे किसी भी सार्वजनिक गतिविधि पर रोक है।
पुणे से जोधपुर, एयरपोर्ट पर बढ़ाई गई सुरक्षा
सोमवार को जोधपुर लौटते समय आसाराम के अनुयायियों ने एयरपोर्ट पर उन्हें घेरे में लिया, लेकिन कोर्ट की सख्त हिदायतों के चलते आमजन से किसी भी तरह की मुलाकात नहीं हुई। जोधपुर एयरपोर्ट से उन्हें कड़ी सुरक्षा के बीच गंतव्य स्थान तक पहुंचाया गया। पुलिस और खुफिया एजेंसियों ने पूरे रूट पर नजर बनाए रखी।
नारायण साईं को भी मिली सीमित जमानत
गुजरात की लाजपोर जेल में बलात्कार के मामले में सजा काट रहे नारायण साईं को अदालत ने विशेष अनुमति के तहत पांच दिन की जमानत दी है। कोर्ट ने यह शर्त भी रखी है कि नारायण साईं हवाई मार्ग से यात्रा करेंगे और पूरे यात्रा एवं सुरक्षा व्यय का वहन स्वयं करेंगे। यात्रा के दौरान पुलिस सुरक्षा उनके साथ रहेगी और पूरी प्रक्रिया की निगरानी प्रशासन करेगा।
11 साल बाद होने जा रही पिता-पुत्र की पहली मुलाकात
यह मुलाकात बेहद गोपनीय रखी गई है ताकि कानून व्यवस्था प्रभावित न हो। प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि मुलाकात की तारीख, समय और स्थान को सार्वजनिक नहीं किया जाएगा। यह 11 वर्षों में पहली बार होगा जब आसाराम और नारायण साईं आमने-सामने होंगे। इससे पहले दोनों अलग-अलग जेलों में सजा काट रहे थे और कभी व्यक्तिगत संपर्क नहीं हुआ।
कोर्ट का सख्त रुख
कोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया है कि मुलाकात के दौरान कोई तीसरा व्यक्ति मौजूद नहीं रहेगा और यह मुलाकात सिर्फ पारिवारिक मानवीय आधार पर दी गई है। सुप्रीम कोर्ट और गुजरात हाईकोर्ट दोनों ने इस दौरान किसी भी प्रकार के राजनीतिक, धार्मिक या मीडिया हस्तक्षेप से परहेज़ की हिदायत दी है।
प्रशासन सतर्क, खुफिया एजेंसियों की नजर
राज्य सरकार पहले ही संकेत दे चुकी है कि आसाराम या नारायण साईं के अनुयायियों की भीड़ से कानून व्यवस्था बिगड़ सकती है। इसलिए पूरे जोधपुर में सुरक्षा व्यवस्था को कड़ा कर दिया गया है। पुलिस, ATS और इंटेलिजेंस टीमें लगातार निगरानी कर रही हैं। जमानत की अवधि और मुलाकात के बाद की गतिविधियों पर भी प्रशासन की नजर बनी रहेगी।
आगे क्या?
आसाराम ने छह महीने की स्थायी जमानत की अर्जी लगाई है, जिस पर सुनवाई जारी है। मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर कोर्ट अंतिम फैसला लेगा। वहीं, नारायण साईं को तय अवधि के बाद फिर से जेल लौटना होगा। अगर कोई शर्त का उल्लंघन होता है तो कोर्ट जमानत रद्द भी कर सकता है।