मनीषा शर्मा। राजस्थान में तृतीय श्रेणी अध्यापक भर्ती-2022 को लेकर चल रहे विवाद में राजस्थान हाई कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। चयनित अभ्यर्थियों को राहत देते हुए कोर्ट ने कहा कि संशोधित परिणाम के कारण पहले से नियुक्त किए गए शिक्षकों की नौकरी पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
न्यायमूर्ति इंद्रजीत सिंह और प्रमिल कुमार माथुर की खंडपीठ ने इस मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि संशोधित परिणाम से प्रभावित शिक्षकों को हटाना असंवैधानिक होगा। इस फैसले के बाद उन शिक्षकों ने राहत की सांस ली है, जिनकी नियुक्ति करीब 18 महीने पहले हो चुकी थी, लेकिन संशोधित परिणाम के कारण वे मेरिट से बाहर हो गए थे।
क्या है पूरा मामला?
राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड ने 16 दिसंबर 2022 को तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती का नोटिफिकेशन जारी किया था। लिखित परीक्षा के बाद मेरिट लिस्ट जारी की गई और चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र भी दे दिए गए।
लेकिन कुछ अभ्यर्थियों ने कुछ विवादित प्रश्नों को लेकर हाई कोर्ट में याचिका दायर कर दी। उन्होंने मांग की कि गलत उत्तरों को ठीक कर संशोधित परिणाम जारी किया जाए।
इस पर राजस्थान हाई कोर्ट की एकलपीठ ने 28 नवंबर 2023 को कर्मचारी चयन बोर्ड को आदेश दिया कि विवादित प्रश्नों की जांच एक्सपर्ट कमेटी से कराई जाए और उसके आधार पर संशोधित परिणाम जारी किया जाए।
हाई कोर्ट के इस आदेश के बाद कर्मचारी चयन बोर्ड ने 27 जनवरी 2024 को संशोधित परिणाम जारी कर दिया।
संशोधित परिणाम से बाहर हुए पहले से नियुक्त शिक्षक
संशोधित परिणाम के जारी होने के बाद कई पहले से नियुक्त शिक्षक मेरिट से बाहर हो गए। इससे उन शिक्षकों को अपनी नौकरी जाने का डर सताने लगा, जिनकी नियुक्ति पहले ही हो चुकी थी।
इस पर कई शिक्षकों ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर अपने मौलिक अधिकारों की रक्षा की गुहार लगाई।
याचिकाकर्ताओं की ओर से वकील हरेन्द्र नील ने दलील दी कि:
संशोधित परिणाम में बदलाव पूरी तरह से कर्मचारी चयन बोर्ड की गलती थी।
पहले चयनित शिक्षकों को 18 महीने पहले नियुक्ति दी जा चुकी थी, अब उन्हें हटाना उनके मौलिक अधिकारों का हनन होगा।
याचिकाकर्ताओं के खिलाफ कोई भी विभागीय जांच लंबित नहीं है, इसलिए बिना किसी जांच के उन्हें हटाना असंवैधानिक होगा।
संशोधित परिणाम जारी करने की याचिका में वर्तमान याचिकाकर्ता पक्षकार नहीं थे, इसलिए उनके खिलाफ कोई भी प्रतिकूल निर्णय नहीं लिया जा सकता।
हाई कोर्ट ने नियुक्त शिक्षकों को दी राहत
इन दलीलों को सुनने के बाद हाई कोर्ट ने पहले से नियुक्त शिक्षकों के पक्ष में अंतरिम आदेश जारी कर दिया। कोर्ट ने कहा कि संशोधित परिणाम से प्रभावित शिक्षकों की नियुक्ति रद्द नहीं की जाएगी और उनकी नौकरी सुरक्षित रहेगी।
इस फैसले से उन शिक्षकों को राहत मिली, जो संशोधित परिणाम के कारण अपनी नौकरी खोने की आशंका से परेशान थे।
संशोधित परिणाम के पीछे की वजह
संशोधित परिणाम जारी करने का कारण कुछ विवादित प्रश्नों के उत्तरों में त्रुटि थी। हाई कोर्ट की एकलपीठ के आदेश पर एक्सपर्ट कमेटी ने इन प्रश्नों की समीक्षा की और कुछ उत्तरों में बदलाव किया।
इन बदलावों के कारण कई अभ्यर्थियों की मेरिट रैंकिंग में बदलाव आ गया, जिससे कुछ उम्मीदवार मेरिट से बाहर हो गए और कुछ नए उम्मीदवार उनकी जगह आ गए।
नियुक्त शिक्षकों को हटाना असंवैधानिक क्यों?
हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया कि:
- कर्मचारी चयन बोर्ड की गलती का खामियाजा पहले से नियुक्त शिक्षकों को नहीं भुगतना चाहिए।
- संशोधित परिणाम के कारण पहले से दी गई नियुक्तियों को रद्द करना उन शिक्षकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होगा।
- अगर पहले से नियुक्त शिक्षकों को हटाया जाता है, तो यह न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ होगा।
इस फैसले से उन अभ्यर्थियों को राहत मिली, जिन्होंने लगभग 18 महीने पहले शिक्षक पद पर नियुक्ति प्राप्त कर ली थी।
क्या होगा अब?
हाई कोर्ट ने फिलहाल पहले से नियुक्त शिक्षकों को राहत दी है और सरकार को निर्देश दिया है कि उनके खिलाफ कोई प्रतिकूल आदेश पारित न किया जाए।
हालांकि, यह मामला अभी पूरी तरह से समाप्त नहीं हुआ है। अगर राज्य सरकार या कर्मचारी चयन बोर्ड इस फैसले को चुनौती देते हैं, तो मामला आगे बढ़ सकता है।
लेकिन अभी के लिए पहले से नियुक्त शिक्षकों की नौकरी सुरक्षित रहेगी और वे बिना किसी चिंता के अपने पद पर कार्य कर सकते हैं।