शोभना शर्मा। रजिस्ट्रार सहकारिता अर्चना सिंह ने कहा कि प्रदेश में सहकारी संस्थाओं के पल्लवन के लिए आवश्यक है कि वे अधिकाधिक नवीन तकनीक को अपनाएं ताकि उनकी कार्यशैली में पारदर्शिता का समावेश हो और सदस्यों का सहकारिता में विश्वास कायम रहे। उन्होंने कहा कि सहकारी संस्थाओं के विकास और प्रसार के लिए उनके संरक्षण, संवर्धन और नियंत्रण में संतुलन रखकर कार्य करने की आवश्यकता है।
सिंह ने शनिवार को झालाना संस्थानिक क्षेत्र स्थित राइसेम परिसर में 102वें अंतरराष्ट्रीय सहकारिता दिवस पर आयोजित सेमीनार को संबोधित करते हुए कहा कि लगभग 120 वर्ष पूर्व प्रदेश में कृषि क्षेत्र में वित्तीय आवश्यकताओं की पूर्ति करने के लिए सहकारिता का संस्थागत स्वरूप सामने आया था। उन्होंने कहा कि वर्तमान परिवेश में समाज और व्यक्ति की आवश्यकता और पसंद में परिवर्तन आया है। इसलिये अब सहकारी संस्थाओं को स्थानीय आवश्यकताओं और पसंद को ध्यान में रखते हुए अपने कार्यक्षेत्र में बदलाव लाने की आवश्यकता है।
रजिस्ट्रार ने कहा कि सहकारी संस्थाओं को अपनी सेवा प्रदायगी को बेहतर करते हुए नए-नए क्षेत्रों में कार्य करना चाहिए, जिससे स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजन के साथ-साथ लोगों के जीवन स्तर में सुधार होगा। उन्होंने कहा कि सहकारिता में समर्पण और ईमानदारी के साथ कार्य करें और सभी को साथ लेकर चलेंगे तो किसी भी समस्या का समाधान स्थानीय स्तर पर प्राप्त कर सकते हैं।
जयपुर डेयरी अध्यक्ष ओम प्रकाश पूनिया ने कहा कि सहकारिता लोकतंत्र का प्राणतत्व है। जिस लोकतंत्र में सहकारिता नहीं है वह मृतप्राय है। उन्होंने कहा कि स्वावलंबन, आत्मनिर्भरता, पारस्परिक सहयोग की भावना समाज को एकजुट करती है और इसी से व्यक्ति में सहकारिता का जन्म होता है। समाज में नैतिकता होने पर ही सहकारिता का प्रसार संभव है।
अंतरराष्ट्रीय सहकारिता दिवस के मौके पर राइसेम परिसर में रजिस्ट्रार सहकारिता, जयपुर डेयरी अध्यक्ष, निदेशक राइसेम सहित सभी सहकारजनों ने पौधारोपण किया।