शोभना शर्मा, अजमेर। राजस्थान के किसानों के लिए खुशखबरी है। अब खेती के साथ पशुपालन भी उनके लिए एक मज़बूत आर्थिक स्तंभ बन सकता है। अजमेर सरस डेयरी इस दिशा में प्रमुख भूमिका निभा रही है और किसानों को पशु उपलब्ध करवाने से लेकर बैंक लोन दिलवाने तक में सहयोग कर रही है। डेयरी अध्यक्ष रामचंद्र चौधरी ने चापानेरी गांव में आयोजित एक भव्य होली मिलन एवं स्वागत समारोह में यह बात कही।
चौधरी ने कहा कि अजमेर सरस डेयरी पूरी निष्ठा के साथ किसानों और पशुपालकों की भलाई के लिए कार्य कर रही है। उन्होंने आश्वस्त किया कि आने वाले समय में किसान केवल खेती पर निर्भर नहीं रहेंगे, बल्कि पशुपालन से भी उन्हें स्थायी आय का स्रोत मिलेगा। अजमेर डेयरी बैंकों के साथ मिलकर पशु खरीद लोन में किसानों की मदद करेगी, ताकि गीर नस्ल जैसी उच्च गुणवत्ता वाली गायें भी आम किसान की पहुंच में आ सकें।
पांच महीने से रुकी है अनुदान राशि, किसानों की उम्मीद सरकार से
चौधरी ने यह भी बताया कि राज्य सरकार की मुख्यमंत्री दुग्ध उत्पादक संबल योजना के तहत किसानों को ₹5 प्रति लीटर की दर से दी जाने वाली अनुदान राशि बीते पांच महीनों से रुकी हुई है। जैसे-जैसे गर्मी का मौसम नजदीक आ रहा है, पशु आहार की मांग बढ़ रही है और किसान सरकार की ओर आशा भरी निगाहों से देख रहे हैं कि उन्हें जल्द राहत मिले।
केंद्र सरकार के योगदान से डेयरी को मिली मजबूती
रामचंद्र चौधरी ने पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के कार्यकाल को याद करते हुए कहा कि वर्ष 2011 से 2013 के बीच केंद्र सरकार द्वारा दिए गए अनुदान ने राजस्थान के दुग्ध उत्पादन में क्रांतिकारी बदलाव लाया। उस समय किसानों को 25% से 33% तक की छूट पर उच्च नस्ल की गाय और भैंसें उपलब्ध करवाई गईं, जिससे राज्य में 40,000 से अधिक पशुओं की संख्या बढ़ी और दूध उत्पादन व गुणवत्ता दोनों में वृद्धि हुई।
पशु बीमा व अनुदान पर दी सरकार को सलाह
चौधरी ने कहा कि आज के समय में एक गीर नस्ल की गाय की कीमत डेढ़ से तीन लाख रुपये तक हो चुकी है, जो कि एक सामान्य किसान की पहुंच से बाहर है। ऐसे में सरकार को चाहिए कि वह अनुदान राशि फिर से शुरू करे और पशु बीमा की शर्तों में ढील देकर बीमा राशि भी बढ़ाए, ताकि पशुपालकों को आत्मनिर्भर बनाया जा सके।
रजका बीज पर अनुसंधान की कमी को बताया बड़ी समस्या
उन्होंने कहा कि आज भी किसानों को पशु आहार की समस्या का सामना करना पड़ता है। देश चाहे चांद पर पहुंच चुका हो, लेकिन तीन वर्षीय रजका बीज जैसी बुनियादी चीजों पर अब तक शोध नहीं हो सका है। अगर एक बार बोने के बाद रजका तीन साल तक पशुओं के लिए उपयोगी बना रहे, तो इससे किसानों को बहुत राहत मिलेगी।
एफएमडी और गला घोंटू बीमारी के लिए एकीकृत वैक्सीन की मांग
उन्होंने एफएमडी और गला घोंटू जैसी खतरनाक बीमारियों से पशुओं को बचाने के लिए एक ही टीका तैयार करने की आवश्यकता पर भी बल दिया। इससे न केवल लागत कम होगी बल्कि समय भी बचेगा।
350 करोड़ की लागत से नया प्लांट बना किसानों की जीत का प्रतीक
अजमेर डेयरी के नवीन प्लांट की प्रेरणा की चर्चा करते हुए चौधरी ने बताया कि पहले अजमेर में दूध तो बहुत आता था लेकिन प्रोसेसिंग के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं थे। परिणामस्वरूप दूध पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश भेजा जाता था, जहां मिलावट की शिकायतें आती थीं। उपभोक्ताओं के विश्वास और पशुपालकों की मेहनत से 350 करोड़ रुपये की लागत से नया प्लांट बनाया गया, जिसकी क्षमता 10 लाख लीटर प्रति दिन है।
पटना सम्मेलन में रखी मांगों पर होने लगी कार्रवाई
हाल ही में पटना में आयोजित इंडियन डेयरी एसोसिएशन के अधिवेशन में रामचंद्र चौधरी ने 12 सूत्री मांगपत्र रखा था। उन्होंने बताया कि इन मांगों पर सरकार द्वारा एक महीने में ही कार्रवाई शुरू कर दी गई है, जो किसानों के लिए सकारात्मक संकेत है।
डेयरी को कृषि या उद्योग में शामिल करने की पुरजोर मांग
चौधरी ने केंद्र और राज्य सरकारों से डेयरी को कृषि या उद्योग में शामिल करने की मांग दोहराई। इससे प्राकृतिक आपदा या किसी अन्य विपरीत परिस्थिति में किसानों को आर्थिक राहत मिल सकेगी। इसके साथ ही दूध को भी समर्थन मूल्य में शामिल करने की जरूरत बताई, जिससे किसानों को उनका उचित मेहनताना मिल सके।
समारोह में राजस्थानी परंपरा की झलक
चौधरी का स्वागत चापानेरी गांव में खुली जीप में पुष्प वर्षा के साथ किया गया। राजस्थानी परंपरा अनुसार सफा पहनाकर अतिथियों का अभिनंदन किया गया। कार्यक्रम में अनेक पंचायत प्रतिनिधि, पूर्व सरपंच, किसान नेता और डेयरी से जुड़े पदाधिकारी उपस्थित रहे। संचालन सरपंच बछराज चौधरी ने किया, और समापन पर ऋषभदेव जी की समाधि पर पूजा कर कार्यक्रम का शुभारंभ और समापन दोनों धार्मिक श्रद्धा के साथ किए गए।