मनीषा शर्मा । राजस्थान विधानसभा में आयोजित युवा संसद में छात्रों ने नीट पेपर लीक, कोचिंग छात्रों की आत्महत्या, और शिक्षा प्रणाली की खामियों पर अपनी चिंता व्यक्त की। छात्रों ने सरकार और कोचिंग संस्थानों के कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए, जिसमें लचर रेगुलेटरी सिस्टम और कोचिंग के बढ़ते मुनाफे पर विशेष ध्यान दिया गया। कोटा में कोचिंग छात्रों की आत्महत्या के मामले ने भी बहस को गरमाया।
विधानसभा में छात्र मुख्यमंत्री, मंत्री और नेता प्रतिपक्ष बने, जिन्होंने विभिन्न मुद्दों पर बहस की। विहान बजाज ने कोटा को ‘विद्या की काशी’ के बजाय ‘मणिकर्णिका घाट’ करार दिया, जहां छात्रों के आत्महत्या की घटनाएं बढ़ रही हैं। सौम्या सिंह भदौरिया ने शिक्षा व्यवस्था की खामियों की ओर इशारा करते हुए पूछा कि जेईई और नीट की परीक्षाएं स्कूली सिलेबस पर आधारित क्यों नहीं होतीं।
छात्रों ने कोचिंग संस्थानों के कार्यप्रणाली में सुधार के लिए रेगुलेटरी बॉडी बनाने की मांग की। श्रेया मुखर्जी और दिवा शर्मा ने कोचिंग की मनमानी फीस और छात्रों पर बढ़ते दबाव को उजागर किया। छात्रों ने शिक्षा पर सरकारी खर्च बढ़ाने और आईआईटी व मेडिकल कॉलेजों की सीटें बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया।
युवा संसद में छात्रों ने कोचिंग सिस्टम और शिक्षा प्रणाली की खामियों को सुधारने के लिए विभिन्न सुझाव दिए। उन्होंने मानसिक स्वास्थ्य के लिए काउंसलिंग और पेरेंट्स-टीचर मीटिंग में सकारात्मक पेरेंटिंग की आवश्यकता पर बल दिया। साथ ही, सरकार से शिक्षा में अधिक पारदर्शिता और जिम्मेदारी की मांग की।