अजमेर की अन्नपूर्णा रसोई बनी भ्रष्टाचार की रसोई

मनीषा शर्मा, अजमेर। शहर में विभिन्न स्थानों पर करीब 30 अन्नपूर्णा रसोई (Annapurna Kitchen) का संचालन किया जा रहा है। लेकिन अब ये रसोई भ्रष्टाचार की रसोई बना चुकी है। जहां ठेकेदार सरकार को चूना लगाने में लगे हुए हैं।

सरकारी अनुदान का गलत फायदा उठाने में लगे हैं ठेकेदार
रसोई में सरकार द्वारा ₹22 प्रति व्यक्ति अनुदान दिया जाता है। इस हिसाब से 1 व्यक्ति पर महीने का 10952 रुपए अनुदान मिलता है । एक दिन में अधिकतम 200 लोग यहां खाना खा सकते हैं। लाभार्थी को दी जाने वाली थाली की कीमत ₹8 होती है। जबकि सरकार इस पर ₹22 का अनुदान देती है । ऐसे में ठेकेदार हर महीने सरकार को करीब 5 से 10 लख रुपए अनुदान के नाम पर चपत लगा रहे हैं।

अन्नपूर्णा रसोई के नियम
यहां खाना खाने वाले व्यक्ति को ₹8 जमा करवाने के बाद उसकी कंप्यूटर पर फोटो ली जाती है। उसकी डिटेल्स और मोबाइल नंबर की एंट्री की जाती है। बदले में उसे कूपन के बदले टोकन दे दिया जाता है। टोकन लेकर वह खाना परोसने वाले व्यक्ति के पास जाता है।  खाने की थाली लेता है। एंट्री करने वाले लोग अपने मोबाइल में भी व्यक्ति की फोटो लेते हैं। इसे वह अन्य अन्नपूर्णा रसोई में भेज कर वहां भी इसकी एंट्री करवा देते हैं। यानी एक ही व्यक्ति ने कुछ ही मिनट के अंतराल पर शहर की अलग-अलग रसोई में खाना खा लिया। चाहे व्यक्ति अन्य रसोई में पहुंचा हो या ना पहुंचा हो। लेकिन ठेकेदार इस एंट्री को दिखाकर सरकार से उसे व्यक्ति के नाम पर अनुदान हासिल कर लेगा। नियम अनुसार तो एक फोटो खींचने के बाद अगले 10 मिनट तक दोबारा फोटो नहीं ली जा सकती। लेकिन अजमेर में यह धांधली जोड़ शोर से हो रही है। यहां नियमों की कोई पालन नहीं की जा रही। खाने की क्वालिटी भी काफी घटिया मिल रही है।

उठते हैं सवाल
अन्नपूर्णा रसोई में चल रही इस भ्रष्टाचार  को किस तरह साफ किया जाए?  क्या जिम्मेदार लोग यहां हो रहे भ्रष्टाचार को लेकर अब तक सचेत नहीं हो रहे हैं? क्या कभी प्रशासनिक अधिकारियों ने अन्नपूर्णा रसोई में  मिलने वाले खाने की क्वालिटी जांच करने की कोशिश नहीं की?  वहां हो रही धांधली को लेकर जांच करने की कोशिश नहीं की? इन सब के लिए जिम्मेदार किसे माना जाएगा?

 

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