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सिंधु जल समझौता स्थगन के बाद राजस्थान ने मांगा सिंचाई के लिए पानी

सिंधु जल समझौता स्थगन के बाद राजस्थान ने मांगा सिंचाई के लिए पानी

मनीषा शर्मा। पाकिस्तान के साथ भारत का ऐतिहासिक सिंधु जल समझौता स्थगित होने के बाद देश के कई हिस्सों में नई उम्मीदें जगी हैं। खासतौर पर पश्चिमी राजस्थान के लिए यह एक सुनहरा अवसर बनकर सामने आया है। इस मौके को भांपते हुए राजस्थान के सांसदों और विधायकों ने एकजुट होकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है, जिसमें सिंधु और उसकी सहायक नदियों के पानी को राजस्थान के सूखे इलाकों तक पहुंचाने की मांग की गई है।

सिंधु जल समझौता स्थगित होते ही पश्चिमी राजस्थान को मिली नई उम्मीद

जोधपुर जिले के ओसियां से विधायक भैराराम सियोल के नेतृत्व में पश्चिमी राजस्थान के जनप्रतिनिधियों ने प्रधानमंत्री मोदी को एक हस्ताक्षरयुक्त पत्र भेजा है। इस पत्र में मांग की गई है कि सिंधु, चिनाब, झेलम और उत्तरी भारत की सहायक नदियों के पानी का उपयोग अब राजस्थान के मरुस्थलीय जिलों में सिंचाई के लिए किया जाए।

भैराराम सियोल ने कहा कि केंद्र सरकार ने सिंधु जल समझौते को स्थगित कर ऐतिहासिक और साहसिक फैसला लिया है। अब यह पानी पाकिस्तान नहीं जाएगा, ऐसे में भारत के अंदर उन क्षेत्रों में इसका सदुपयोग हो सकता है, जो दशकों से पानी की कमी से जूझते आ रहे हैं। मारवाड़ क्षेत्र के किसान अब आशा भरी निगाहों से सरकार की तरफ देख रहे हैं।

पत्र में किन जिलों के लिए की गई है पानी की मांग

भैराराम सियोल ने बताया कि पत्र में यह साफ तौर पर उल्लेख किया गया है कि यदि सिंधु और उसकी सहायक नदियों का पानी पश्चिमी राजस्थान के जोधपुर, बाड़मेर, जैसलमेर, नागौर, बीकानेर, गंगानगर, हनुमानगढ़, फलोदी, बालोतरा, सिरोही और डीडवाना-कुचामन जैसे जिलों तक पहुंचाया जाए, तो यहां के किसानों की किस्मत बदल सकती है।

इन इलाकों में बारिश की कमी और सूखे की समस्या हमेशा से रही है। अगर इन नदियों के पानी को WRCP (Western Rajasthan Canal Project) जैसे किसी प्रोजेक्ट के तहत सही ढंग से इन क्षेत्रों तक पहुंचाया जाए, तो यह इलाके देश के कृषि उत्पादन में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं।

किसानों के लिए जीवनदायिनी बन सकता है यह पानी

राजस्थान के रेगिस्तानी इलाके दशकों से पानी की बूंद-बूंद के लिए तरसते रहे हैं। खेतों में सिंचाई के साधन सीमित हैं और पीने के पानी का भी संकट बना रहता है। सिंधु नदी प्रणाली का पानी अगर इन इलाकों तक लाया जाता है तो न केवल खेती को जीवनदान मिलेगा, बल्कि भूजल स्तर में भी सुधार हो सकता है।

यह पानी क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूती देगा, जिससे रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और पलायन जैसी गंभीर समस्याओं पर भी अंकुश लगेगा।

केंद्र सरकार से है बड़ी उम्मीद

भैराराम सियोल और अन्य जनप्रतिनिधियों का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सिंधु जल समझौते पर कड़ा रुख अपनाकर देश की जनता के हितों की रक्षा का मार्ग प्रशस्त किया है। अब आवश्यकता है कि इस ऐतिहासिक अवसर का लाभ उठाते हुए पश्चिमी राजस्थान जैसे सूखाग्रस्त क्षेत्रों को प्राथमिकता दी जाए।

सांसदों और विधायकों ने अपने पत्र में केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि जल्द से जल्द एक विस्तृत कार्ययोजना बनाकर इन जिलों को पानी उपलब्ध करवाने की दिशा में ठोस कदम उठाए जाएं।

 

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