शोभना शर्मा। अजमेर में स्थित अढ़ाई दिन का झोपड़ा, भारत की सबसे पुरानी और ऐतिहासिक मस्जिदों में से एक है। इसका निर्माण 1192 ई. में कुतुब-उद-दीन ऐबक ने करवाया था और यह इंडो-इस्लामिक वास्तुकला का सबसे पहला और उत्कृष्ट उदाहरण है। यह मस्जिद न केवल अपनी ऐतिहासिकता के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि इसके अनूठे वास्तुशिल्प और सांस्कृतिक महत्व के कारण भी महत्वपूर्ण है।
इतिहास
अढ़ाई दिन का झोपड़ा मस्जिद का नाम सुनते ही लोगों के मन में इसके पीछे की कहानी जानने की उत्सुकता जाग्रत होती है। 12वीं शताब्दी में, यह स्थल मूल रूप से एक संस्कृत महाविद्यालय था जिसमें जैन और हिंदू विशेषताएँ स्पष्ट रूप से दिखाई देती थीं। यह मंदिर और महाविद्यालय, सरस्वती को समर्पित थे और कहा जाता है कि यहां जैन मंदिर भी था जिसे 660 ई. में सेठ विरमदेव काला ने बनवाया था।
जब मुहम्मद गौरी ने 1192 में अजमेर पर विजय प्राप्त की, तो उन्होंने अपने गुलाम कुतुबुद्दीन ऐबक को आदेश दिया कि इस स्थल पर मस्जिद का निर्माण करवाया जाए। ऐबक ने 20-30 हिंदू मंदिरों को ध्वस्त करके मस्जिद का निर्माण शुरू किया। कहा जाता है कि यह मस्जिद ढाई दिन में बनाई गई थी, लेकिन वास्तव में यह केवल एक आंशिक संरचना थी जहां गौरी ने प्रार्थना की थी। मस्जिद में एक शिलालेख भी है जो इस बात की पुष्टि करता है कि इसका निर्माण 1199 ई. में पूरा हुआ था।
वास्तुकला
अढ़ाई दिन का झोपड़ा इंडो-इस्लामिक वास्तुकला का एक उत्कृष्ट उदाहरण है, जिसे अबू बकर ने डिजाइन किया था। मस्जिद की बाहरी संरचना चौकोर आकार की है, जिसमें प्रत्येक भुजा 259 फीट लंबी है। इसमें कुल 344 स्तंभ हैं, जो हिंदू और जैन मंदिरों से प्रेरित हैं। मस्जिद की सबसे प्रमुख विशेषता इसकी सात मेहराबों वाली स्क्रीन है, जिसमें बीच वाला मेहराब सबसे बड़ा है। मेहराबों को पवित्र कुरान की आयतों से सजाया गया है और इन पर कुफ़िक और तुग़रा लिपि में शिलालेख अंकित हैं। इन मेहराबों में छोटे-छोटे पैनल हैं, जिनसे होकर सूरज की रोशनी गुजरती है।
संस्कृति और महत्व
अढ़ाई दिन का झोपड़ा मस्जिद का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व बहुत अधिक है। यह मस्जिद एक सांस्कृतिक पुल के रूप में कार्य करती है जो हिंदू, जैन और इस्लामी शैलियों को एक साथ लाती है। 1947 तक, इस मस्जिद का उपयोग नमाज़ अदा करने के लिए किया जाता था। इसके बाद, इसे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के संरक्षण में रखा गया। आज, यह मस्जिद न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि एक ऐतिहासिक स्मारक भी है, जो अजमेर में एक प्रमुख पर्यटक आकर्षण बन चुका है।
अढ़ाई दिन का झोपड़ा के बारे में जानने योग्य महत्वपूर्ण बातें
- अढ़ाई दिन का झोपड़ा का समय: यह मस्जिद सप्ताह के सभी दिन सुबह 6 बजे से शाम 7 बजे तक खुली रहती है।
- स्थान: अढ़ाई दिन का झोपड़ा, अंदर कोट रोड, लाखन कोठरी, अजमेर, राजस्थान में स्थित है।
- कैसे पहुँचे: निकटतम हवाई अड्डा किशनगढ़ है, जो मस्जिद से 33 किमी दूर है। निकटतम रेलवे स्टेशन अजमेर जंक्शन है, जो मस्जिद से 1 किमी की दूरी पर स्थित है।
पर्यटन और आसपास के आकर्षण
अजमेर में अढ़ाई दिन का झोपड़ा देखने के बाद, आप रंगजी मंदिर, आना सागर झील, फॉय सागर झील, गुरुद्वारा सिंह सभा, शाहजहाँ की मस्जिद, और अजमेर राजकीय संग्रहालय जैसे अन्य आकर्षण स्थलों की यात्रा भी कर सकते हैं।अढ़ाई दिन का झोपड़ा एक ऐसा स्थल है जिसे जीवन में एक बार अवश्य देखा जाना चाहिए, क्योंकि यह भारतीय इतिहास, संस्कृति और वास्तुकला का एक अनूठा मिश्रण प्रस्तुत करता है।