मनीषा शर्मा। जयपुर के श्रीगोपाल नगर स्थित उत्कर्ष कोचिंग में रविवार शाम हुए हादसे ने कोचिंग संस्थानों की सुरक्षा को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। इस घटना में कई छात्र-छात्राएं बेहोश हो गए, जिसके बाद नगर निगम ने सोमवार सुबह कोचिंग संस्थान को सील कर दिया। घटना के बाद से छात्रों और परिजनों में भय और आक्रोश का माहौल है। रविवार (15 दिसंबर) की शाम को उत्कर्ष कोचिंग की दूसरी मंजिल पर क्लास चल रही थी। लगभग 6:45 बजे क्लास में अजीब सी बदबू फैलने लगी। बदबू के कारण छात्रों को खांसी आने लगी, और धीरे-धीरे कई छात्र बेहोश हो गए। कोचिंग प्रबंधन ने तुरंत 108 एंबुलेंस बुलाकर छात्रों को पास के प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया। घटना के समय 350 छात्र क्लास में मौजूद थे।
नगर निगम ने की कोचिंग को सील
सोमवार सुबह जयपुर ग्रेटर नगर निगम की टीम ने मानसरोवर जोन के उपायुक्त लक्ष्मीकांत कटारा के नेतृत्व में उत्कर्ष कोचिंग का निरीक्षण किया। टीम के साथ आई फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (FSL) ने पानी के सैंपल लिए और क्लासरूम के CCTV फुटेज भी जांच के लिए ले गई। प्रारंभिक जांच में गैस रिसाव की पुष्टि नहीं हुई, लेकिन निगम अधिकारियों ने कहा कि जब तक विस्तृत जांच पूरी नहीं हो जाती, कोचिंग को सील रखा जाएगा।
घटना पर छात्रों का विरोध
कोचिंग के सील होने के बाद छात्रों ने इसका विरोध शुरू कर दिया है। कई छात्र कोचिंग के बाहर धरने पर बैठ गए। उनका कहना है कि कोचिंग बंद होने से उनकी पढ़ाई बाधित हो जाएगी, जिससे आगामी परीक्षाओं की तैयारी प्रभावित होगी। कोचिंग में पढ़ रहे रामगोपाल ने कहा, “मैं धौलपुर से पढ़ाई के लिए आया हूं। यदि कोचिंग बंद रही, तो हमारा करियर खराब हो जाएगा।” छात्र नेता निर्मल चौधरी और विकास विधूड़ी ने भी कोचिंग के बाहर धरना दिया। उन्होंने कहा कि कोचिंग संस्थानों की सुरक्षा और संचालन पर सरकार को सख्त गाइडलाइंस लागू करनी चाहिए।
गहलोत और पायलट ने उठाई कोचिंग हब में शिफ्ट करने की मांग
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस घटना को चिंताजनक बताया और कोचिंग संस्थानों को प्रताप नगर स्थित कोचिंग हब में शिफ्ट करने की मांग की। उन्होंने कहा, “हमारी सरकार के समय कोचिंग संस्थानों के लिए विस्तृत गाइडलाइंस बनाई गई थीं। भीड़भाड़ वाले इलाकों से हटाकर इन्हें कोचिंग हब में स्थानांतरित किया जाना चाहिए।” पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने घटना की गहन जांच की मांग की। उन्होंने कहा कि सरकार को कोचिंग संस्थानों के लिए सुरक्षा नियमों को सख्ती से लागू करना चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।
क्या हुआ था घटना के दिन?
रविवार शाम को क्लास के दौरान अचानक अजीब सी बदबू फैलने लगी। बदबू इतनी तीव्र थी कि छात्रों को सांस लेने में तकलीफ होने लगी और खांसी के बाद वे बेहोश हो गए। इस दौरान 12 से अधिक छात्र-छात्राओं को गंभीर हालत में अस्पताल ले जाया गया। उनमें से कुछ को प्राथमिक उपचार के बाद छुट्टी दे दी गई, जबकि दो छात्र अब भी सीके बिड़ला अस्पताल में भर्ती हैं। घटना के बाद कोचिंग प्रबंधन ने बिल्डिंग को ताले लगा दिए थे, जिससे शुरुआती जांच में देरी हुई। पुलिस और नगर निगम की टीम ने घटनास्थल का निरीक्षण किया और सभी संभावित कारणों की जांच की जा रही है।
छह सदस्यीय जांच कमेटी का गठन
जयपुर नगर निगम ने घटना की जांच के लिए छह सदस्यीय कमेटी बनाई है। इसमें अधिशाषी अभियंता संदीप माथुर, सहायक नगर नियोजक सीमा माथुर, राजस्व अधिकारी सुनील बैरवा, सहायक अग्निशमन अधिकारी देवांग यादव, मुख्य स्वास्थ्य निरीक्षक सुरेश कुमार, और सहायक स्वास्थ्य निरीक्षक नेहा मंडावरिया शामिल हैं।
कोचिंग हब की उपयोगिता
प्रताप नगर स्थित कोचिंग हब जयपुर में बेहतर शिक्षा के लिए विकसित किया गया था। यहां कोचिंग संस्थानों को आवश्यक सुविधाएं और सुरक्षित वातावरण प्रदान किया जाता है। विशेषज्ञों का मानना है कि कोचिंग हब में शिफ्ट करने से इस तरह की दुर्घटनाओं को रोका जा सकता है।
कोटा में भी शुरू हुई जांच
जयपुर में हुए इस हादसे के बाद कोटा के कोचिंग संस्थानों की भी जांच शुरू कर दी गई है। चीफ फायर ऑफिसर राकेश व्यास के नेतृत्व में कोटा के दादावाड़ी इलाके के कोचिंग सेंटरों का निरीक्षण किया गया। इसमें पाया गया कि कई कोचिंग संस्थानों के पास फायर डिपार्टमेंट की एनओसी नहीं है।
कोचिंग संस्थानों के लिए नए सुरक्षा मानक
यह हादसा कोचिंग संस्थानों की सुरक्षा और संचालन पर सवाल खड़े करता है। नगर निगम और पुलिस की जांच के बाद यह संभावना है कि सरकार कोचिंग संस्थानों के लिए नए सुरक्षा मानक तय करेगी।