मनीषा शर्मा। राजस्थान में विधानसभा सत्र से पहले भाजपा और कांग्रेस दोनों ही प्रमुख दलों ने विधायक दल की बैठकें आयोजित की। इन बैठकों ने राज्य की राजनीति में हलचल पैदा कर दी, क्योंकि इन महत्वपूर्ण बैठकों में पार्टी के कई बड़े नेता गैरमौजूद रहे। भाजपा विधायक दल की बैठक में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और कैबिनेट मंत्री किरोड़ी लाल मीणा अनुपस्थित रहे, जबकि कांग्रेस विधायक दल की बैठक में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और राष्ट्रीय महासचिव सचिन पायलट की अनुपस्थिति ने सियासी चर्चाओं का नया रुख दिखाया। इन घटनाओं के बीच कांग्रेस विधायक मुकेश भाकर के निलंबन को खत्म करने का फैसला भी सामने आया है।
भाजपा विधायक दल की बैठक से किरोड़ी मीणा और वसुंधरा राजे का अनुपस्थित होना
राजस्थान भाजपा विधायक दल की बैठक सीएम भजनलाल शर्मा की अध्यक्षता में आयोजित की गई थी, लेकिन इस बैठक में वसुंधरा राजे और किरोड़ी लाल मीणा की अनुपस्थिति ने पार्टी के भीतर गुटबाजी की चर्चाओं को एक बार फिर हवा दी है।
वसुंधरा राजे महाकुंभ में परिवार के साथ पूजा-अर्चना के लिए गई थीं, जबकि किरोड़ी लाल मीणा सवाईमाधोपुर के दौरे पर थे। मीणा ने बैठक से अनुपस्थिति के लिए अनुमति ली थी। हालांकि, उनकी गैरमौजूदगी ने सियासी गलियारों में कयास लगाए जाने शुरू कर दिए कि कहीं पार्टी में अंदरूनी असंतोष तो नहीं है।
सीएम भजनलाल शर्मा का संदेश: सदन में सकारात्मकता और विपक्ष के जवाब में रणनीति
सीएम भजनलाल शर्मा ने विधायक दल की बैठक में विधायकों से सदन में सकारात्मकता बनाए रखने का आग्रह किया और कहा कि अगर विपक्ष सदन में व्यवधान उत्पन्न करता है, तो उसे उचित तरीके से जवाब दिया जाए। उन्होंने विधायकों को यह भी सलाह दी कि वे अपने कार्यकर्ताओं का सम्मान करें, क्योंकि कार्यकर्ता ही उनका सबसे मजबूत समर्थक और वकील है।
सीएम ने कांग्रेस पर तंज करते हुए कहा कि यदि वे अपने पिछले तीन साल और भाजपा के एक साल के कार्यकाल का मूल्यांकन करें, तो वे देखेंगे कि भाजपा रोजगार और विकास के मामलों में अधिक आगे रही है। उन्होंने विपक्ष के सवालों का डटकर जवाब देने की भी रणनीति बनाई।
इसके अलावा, सीएम ने ईआरसीपी-पीकेसी परियोजना का नाम ‘राम जल सेतु’ रखने के सवाल पर भी पलटवार किया। उनका कहना था कि यह नाम उन्होंने नहीं रखा, बल्कि यह एक ईश्वर की इच्छा से हुआ है, जिसमें राजस्थान का ‘रा’ और मध्य प्रदेश का ‘म’ जुड़कर राम जल सेतु बना है।
कांग्रेस विधायक दल की बैठक: गहलोत और पायलट की अनुपस्थिति
कांग्रेस विधायक दल की बैठक में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव सचिन पायलट अनुपस्थित रहे। गहलोत मुंबई दौरे पर थे, जबकि पायलट दिल्ली में चुनाव प्रचार में व्यस्त थे। इन दोनों नेताओं की अनुपस्थिति ने यह संकेत दिया कि पार्टी में अब भी अंदरूनी असंतोष मौजूद है, जो कांग्रेस के लिए एक बड़ा सवाल बन सकता है।
कांग्रेस विधायकों की बैठक में नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने राज्य सरकार को विभिन्न मुद्दों पर घेरने की रणनीति बनाई। कांग्रेस इस विधानसभा सत्र में सरकार को रोजगार, बेरोजगारी भत्ता, अंग्रेजी स्कूलों और ईआरसीपी-पीकेसी परियोजना जैसे मुद्दों पर घेरने की योजना बना रही है। इसके साथ ही, कांग्रेस द्वारा मध्य प्रदेश सरकार से किए गए एमओयू को सार्वजनिक करने की भी मांग उठाई जाएगी, जिससे एक नया विवाद खड़ा हो सकता है।
मुकेश भाकर का निलंबन खत्म होगा
विधायक मुकेश भाकर, जो कांग्रेस के सशक्त नेता माने जाते हैं, का निलंबन भी समाप्त किया जा सकता है। भाकर का निलंबन उस समय हुआ था जब उन्होंने पार्टी विरोधी गतिविधियों में भाग लिया था। हालांकि, अब यह फैसला लिया गया है कि उनका निलंबन समाप्त कर दिया जाएगा और उन्हें विधानसभा परिसर में प्रवेश की अनुमति दी जाएगी। भाकर ने विधानसभा स्पीकर वासुदेव देवनानी से भी मुलाकात की थी, और शुक्रवार को उनके निलंबन को समाप्त करने की प्रक्रिया शुरू हो सकती है।