क्राइमlatest-newsअजमेरराजस्थान

फरार कॉन्स्टेबल पवन मीणा ने करोड़ों की धोखाधड़ी केस में पुलिस कर्मियों पर लगाए गंभीर आरोप

फरार कॉन्स्टेबल पवन मीणा ने करोड़ों की धोखाधड़ी केस में पुलिस कर्मियों पर लगाए गंभीर आरोप

मनीषा शर्मा।  राजस्थान पुलिस का एक कॉन्स्टेबल पवन मीणा, जो फिलहाल करोड़ों की धोखाधड़ी के मामले में फरार है, लगातार राज्य की कानून-व्यवस्था को चुनौती दे रहा है। पुलिस उसकी तलाश में नाकाम नजर आ रही है, लेकिन पवन खुलेआम मुख्यमंत्री, डीजीपी और अन्य वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को पत्र लिखकर गंभीर आरोपों का खुलासा कर रहा है। पवन का दावा है कि जिला पुलिस के कुछ अधिकारी और कर्मचारी ब्याजखोरी, सट्टेबाजी और मकान-जमीन हड़पने जैसे अवैध धंधों में शामिल हैं। उसने यह भी आरोप लगाया है कि इन्हीं पुलिसकर्मियों ने उसे फंसाने के लिए झूठे मुकदमे दर्ज करवाए।

सीएम और पुलिस अधिकारियों को भेजे पत्र

अपने पत्रों में पवन मीणा ने विस्तार से उन आर्थिक लेन-देन की जानकारी दी है, जो उसने कथित तौर पर पुलिसकर्मियों के दबाव में किए। उसने कहा कि इन पुलिसकर्मियों ने अपनी काली कमाई को परिजनों तक पहुंचाने के लिए उसके बैंक खाते का इस्तेमाल किया।

उसने बैंक स्टेटमेंट और ऑनलाइन लेन-देन की डिटेल भी उपलब्ध करवाई है। पवन का दावा है कि अगर पुलिसकर्मियों की जांच की जाए, तो एक बड़ा भ्रष्टाचार उजागर हो सकता है। उसका कहना है कि जिन लोगों ने उसके खिलाफ गवाही दी है, वे खुद इन गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल रहे हैं।

तीन थानों में दर्ज मुकदमे

पवन मीणा के खिलाफ अब तक तीन अलग-अलग एफआईआर दर्ज हो चुकी हैं।

  1. सिविल लाइंस थाना, अजमेर – यहां पुलिसकर्मी वीपी सिंह ने पवन के खिलाफ धोखाधड़ी की शिकायत दर्ज करवाई थी।

  2. क्लॉक टावर थाना – 9 अप्रैल 2025 को कॉन्स्टेबल दीपक वैष्णव ने पवन और उसके भाई कुलदीप के खिलाफ केस दर्ज करवाया।

  3. क्रिश्चियनगंज थाना – तीसरा मामला भी जमीन से जुड़ी धोखाधड़ी का है।

हालांकि पुलिस ने पवन के भाइयों प्रदीप और कुलदीप मीणा को गिरफ्तार कर लिया है, लेकिन पवन खुद अभी तक फरार है और पत्रों के जरिए ही अपनी सफाई पेश कर रहा है।

क्लॉक टावर केस: जमीन दिलाने के नाम पर करोड़ों की ठगी

क्लॉक टावर थाने में दर्ज एफआईआर के मुताबिक, कॉन्स्टेबल दीपक वैष्णव ने पवन और कुलदीप पर सस्ती दर पर जमीन दिलाने का झांसा देकर एक करोड़ रुपये हड़पने का आरोप लगाया। दीपक को विश्वास दिलाया गया कि मास्टर प्लान के तहत बाईपास और हाईवे के नजदीक जमीनों की कीमत जल्द दोगुनी-तिगुनी हो जाएगी। इस प्रलोभन में आकर दीपक ने पहले एक करोड़ रुपये दिए और बाद में और रकम की मांग भी की गई। लेकिन बाद में पता चला कि सारी बातें झूठी थीं और पैसे हड़प लिए गए। जांच के बाद पुलिस ने पवन के भाइयों को गिरफ्तार कर लिया, लेकिन मुख्य आरोपी फरार है।

पवन का बचाव और आरोप

पवन मीणा का कहना है कि उसने किसी से धोखाधड़ी नहीं की। उसने पत्र में साफ लिखा कि यह सब एक साजिश है। उसके मुताबिक, जिला पुलिस के कुछ कर्मचारी और अफसर खुद अवैध धंधों में लिप्त हैं और उन्होंने ही उसे बलि का बकरा बनाया है। उसने यह भी आरोप लगाया कि उसकी गिरफ्तारी करवाने वाले पुलिसकर्मी ही असल में करोड़ों की हेराफेरी और सट्टेबाजी से जुड़े हुए हैं। अगर उनकी जांच हो, तो सच सामने आ जाएगा।

पुलिस की कार्रवाई और चुनौतियां

राजस्थान पुलिस ने इस मामले में अब तक कई स्तरों पर जांच शुरू की है। आरोपियों की तलाश की जा रही है और गिरफ्तारी के लिए दबिशें भी दी जा रही हैं। एसपी स्तर से लेकर एटीएस तक इस मामले पर नजर रखी जा रही है। फिर भी, सवाल उठ रहा है कि जब पुलिस को एक फरार कॉन्स्टेबल का कोई सुराग नहीं मिल रहा, तो वह वरिष्ठ अधिकारियों को लगातार पत्र कैसे भेज पा रहा है। यह पुलिस की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े करता है।

post bottom ad

Discover more from MTTV INDIA

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading