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अभिषेक मनु सिंघवी ने चुनाव आयोग पर उठाए सवाल

अभिषेक मनु सिंघवी ने चुनाव आयोग पर उठाए सवाल

मनीषा शर्मा।  कांग्रेस के राज्यसभा सांसद और राष्ट्रीय प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी शनिवार को जोधपुर पहुंचे, जहां उन्होंने सर्किट हाउस में पत्रकारों से बातचीत की। इस दौरान उन्होंने बिहार में चल रहे चुनाव आयोग के एसआईआर (Special Intensive Revision) अभियान पर कड़ी आपत्ति जताते हुए इसकी टाइमिंग और कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए। सिंघवी ने कहा कि विधानसभा चुनाव से ठीक पहले एसआईआर अभियान चलाना संदेह पैदा करता है। “इस प्रक्रिया को दिसंबर के बाद भी किया जा सकता था, लेकिन जानबूझकर इसे चुनाव से ठीक पहले लागू किया गया,” उन्होंने आरोप लगाया। उनके अनुसार, इस दौरान कई मतदाताओं के नाम सूची से हटा दिए गए हैं, जिससे चुनाव में निष्पक्षता पर सवाल उठते हैं।

आधार कार्ड को प्रमाण न मानने पर आपत्ति – अभिषेक मनु सिंघवी

सिंघवी ने कहा कि चुनाव आयोग अब अपने ही जारी किए मतदाता पहचान पत्र को पर्याप्त प्रमाण नहीं मान रहा और साथ ही आधार कार्ड को भी खारिज कर रहा है। उन्होंने याद दिलाया कि पहले आधार कार्ड के बिना किसी सरकारी योजना या कार्य का लाभ नहीं लिया जा सकता था, लेकिन अब चुनाव आयोग उसी आधार कार्ड को मान्यता नहीं दे रहा। “यह मतदाताओं को अनावश्यक परेशानी में डालने जैसा है,” उन्होंने जोड़ा।

सामान्य प्रक्रिया, लेकिन गलत समय

कांग्रेस सांसद ने स्पष्ट किया कि मतदाता पुनर्निरीक्षण प्रक्रिया (Voter Revision Process) एक सामान्य और आवश्यक प्रक्रिया है, लेकिन इसकी टाइमिंग बेहद अहम है।
उन्होंने कहा, “पहले भी केंद्र सरकार के कार्यकाल में यह प्रक्रिया हुई है, लेकिन चुनाव से लगभग दो साल पहले। इससे यदि किसी का नाम कटे तो उसे अपील करने और पुनः शामिल होने का मौका मिल सके।” इसके विपरीत, सिंघवी के अनुसार, बिहार में चुनाव से कुछ ही महीने पहले करोड़ों नाम काट दिए गए हैं, जिससे लोगों को अपील करने का अवसर ही नहीं मिलेगा। यह, उनके मुताबिक, चुनाव को प्रभावित करने की कोशिश है।

अपील का मौका न मिलना चिंता का विषय

सिंघवी ने कहा, “जब चुनाव में बहुत कम समय बचा हो, उस दौरान नाम काटने का मतलब है कि प्रभावित मतदाताओं को कोई उपाय नहीं मिलेगा। यह लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन है।” उन्होंने आरोप लगाया कि यह कदम न केवल अनुचित है बल्कि लोकतंत्र की बुनियाद पर चोट करता है। उनके अनुसार, मतदाताओं को वोट देने से वंचित करने की कोशिश किसी भी हाल में स्वीकार्य नहीं है।

राहुल गांधी से हलफनामा मांगने पर आपत्ति

सिंघवी ने आगे कहा कि यह मामला सिर्फ मतदाता सूची तक सीमित नहीं है, बल्कि चुनाव आयोग की कार्यशैली पर भी सवाल खड़े करता है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा, “राहुल गांधी, जो लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष हैं, ने जब इस मुद्दे पर सवाल उठाया तो चुनाव आयोग ने उनसे ही हलफनामा मांग लिया। यह वैसा ही है जैसे कोई व्यक्ति पुलिस से कहे कि चोर भाग रहा है और पुलिस शिकायत करने वाले से ही सबूत मांग ले।” सिंघवी ने इसे “बेहूदा मजाक” करार दिया और कहा कि यह लोकतांत्रिक संस्थाओं की गरिमा को कम करता है।

कांग्रेस और INDIA गठबंधन का रुख

सिंघवी ने कहा कि कांग्रेस पार्टी और INDIA गठबंधन इस मुद्दे को लेकर बेहद गंभीर हैं और इसे देशभर में उठाएंगे। उन्होंने कहा कि भाजपा के नेतृत्व में चुनाव आयोग की ओर से नियमों और प्रक्रियाओं का उल्लंघन हो रहा है, जिसे जनता के सामने लाया जाएगा। उनके अनुसार, यह केवल बिहार तक सीमित मामला नहीं है बल्कि देश के लोकतांत्रिक ढांचे के लिए खतरे की घंटी है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि कांग्रेस इस मुद्दे पर जनजागरण अभियान चलाएगी और प्रभावित मतदाताओं की आवाज बनेगी।

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