शोभना शर्मा। चुनाव आयोग ने आधार और वोटर आईडी को जोड़ने के मामले पर एक महत्वपूर्ण बैठक बुलाई है। इस बैठक में केंद्रीय गृह मंत्रालय, कानून मंत्रालय और भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) के उच्च अधिकारी शामिल होंगे। बैठक का आयोजन 18 मार्च को किया जाएगा, जिसमें आधार और वोटर आईडी (EPIC) को लिंक करने के अंतिम फैसले पर चर्चा होगी।
चुनाव आयोग का अहम कदम
आधार और वोटर आईडी को लिंक करने का मुद्दा लंबे समय से चर्चा में है। 2021 में जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 में संशोधन के बाद, चुनाव आयोग को आधार को EPIC (इलेक्टर्स फोटो आइडेंटिटी कार्ड) से जोड़ने की अनुमति मिल गई थी। इसके बाद से ही आयोग ने मतदाताओं से स्वैच्छिक आधार पर आधार नंबर एकत्र करना शुरू कर दिया। हालांकि, अभी तक दोनों डेटाबेस को औपचारिक रूप से लिंक नहीं किया गया है।इस बैठक का मुख्य उद्देश्य वोटर लिस्ट में पाई जाने वाली फर्जी वोटरों और डुप्लिकेट नामों को हटाना है। चुनाव आयोग का मानना है कि आधार और वोटर आईडी को जोड़ने से फर्जी वोटिंग और एक से अधिक जगह पर नाम दर्ज होने जैसी समस्याओं से निजात मिल सकेगी।
डुप्लिकेट वोटर आईडी का मुद्दा
हाल ही में पश्चिम बंगाल और अन्य राज्यों में एक ही EPIC नंबर के साथ कई मतदाताओं के नाम सामने आए थे। तृणमूल कांग्रेस ने इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया, जिसके बाद चुनाव आयोग ने इसे गंभीरता से लिया। आयोग ने माना कि कुछ राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों ने EPIC नंबर जारी करते समय गलत अल्फान्यूमेरिक सीरीज का उपयोग किया था।चुनाव आयोग ने इस समस्या का समाधान निकालने के लिए तीन महीने के भीतर डुप्लिकेट नंबर वाले मतदाताओं को नए EPIC नंबर जारी करने का निर्णय लिया है। आयोग का कहना है कि डुप्लिकेट नंबर का होना फर्जी वोटर होने का प्रमाण नहीं है। केवल वही लोग वोट डाल सकते हैं जो किसी विशेष निर्वाचन क्षेत्र में पंजीकृत हैं।
आधार और वोटर आईडी लिंक के फायदे
आधार कार्ड और वोटर आईडी को जोड़ने के कई फायदे हो सकते हैं। सबसे बड़ा फायदा यह है कि इससे फर्जी वोटिंग पर रोक लगाई जा सकेगी। एक व्यक्ति के एक से अधिक जगह पर वोट डालने की संभावना समाप्त हो जाएगी। इसके अलावा, वोटर लिस्ट में एक ही व्यक्ति का नाम कई बार दर्ज होने की समस्या का भी समाधान होगा।चुनाव आयोग का मानना है कि इस कदम से चुनाव प्रक्रिया अधिक पारदर्शी और निष्पक्ष हो जाएगी। मतदाता सूची को साफ-सुथरा बनाने के साथ-साथ फर्जी नाम हटाने में भी मदद मिलेगी। इसके साथ ही चुनाव आयोग यह भी सुनिश्चित करेगा कि किसी भी प्रकार की गलती या लापरवाही न हो।
प्राइवेसी को लेकर चिंता
हालांकि, आधार को वोटर आईडी से जोड़ने को लेकर प्राइवेसी के मुद्दे भी उठ रहे हैं। कई संगठनों और विशेषज्ञों का मानना है कि आधार जैसी संवेदनशील जानकारी को वोटर आईडी से जोड़ना लोगों की निजता का उल्लंघन हो सकता है। इस कदम से नागरिकों की निजी जानकारी के लीक होने का खतरा भी बढ़ सकता है।
निजता के अधिकार के समर्थकों का कहना है कि आधार डेटा का दुरुपयोग होने की संभावना अधिक है, खासकर तब जब इसे वोटर आईडी के साथ जोड़ा जाए। ऐसे में लोगों के व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा सुनिश्चित करना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
आने वाले फैसले पर नजरें
चुनाव आयोग ने इस मामले पर सभी संबंधित पक्षों से बातचीत करने का फैसला किया है। बैठक में गृह मंत्रालय, कानून मंत्रालय और UIDAI के अधिकारियों के साथ विस्तृत चर्चा होगी। आयोग का उद्देश्य है कि वोटर लिस्ट को साफ-सुथरा बनाने के साथ-साथ नागरिकों की निजता की भी सुरक्षा की जाए।