शोभना शर्मा । राजस्थान के पशुपालन, गोपालन एवं डेयरी मंत्री जोराराम कुमावत ने “ए-हेल्प योजना” की शुरुआत की, जिसका उद्देश्य ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के पशुपालकों को पशु चिकित्सा संबंधी समस्याओं से निजात दिलाना है। यह योजना केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय और ग्रामीण विकास मंत्रालय की संयुक्त पहल है। उत्तर भारत में इसे लागू करने वाला राजस्थान दूसरा प्रदेश है, और वर्तमान में यह योजना देश के 11 राज्यों में संचालित है।
कुमावत ने बताया कि ए-हेल्प योजना महिलाओं के सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस योजना के तहत पशु सखियों को प्रशिक्षण देकर उन्हें पशुपालकों से जोड़ा जाएगा, जिससे न केवल पशुधन उत्पादों में वृद्धि होगी बल्कि पशुपालकों की आर्थिक स्थिति भी मजबूत होगी। पशु सखियों के माध्यम से पशुपालकों को नवीनतम तकनीकों की जानकारी मिलेगी और वे अपने क्षेत्र में अधिक सक्षम बन पाएंगी।
प्रमुख शासन सचिव, पशुपालन विभाग विकास सीताराम भाले ने बताया कि राजस्थान में 9000 पशु सखियों के प्रशिक्षण का लक्ष्य रखा गया है, जिससे प्रत्येक ग्राम पंचायत पर एक पशु सखी उपलब्ध होगी। यह कदम पशुपालकों को उनके दरवाजे पर ही पशुपालन संबंधी सभी जानकारियां प्रदान करेगा।
पशुपालन विभाग के निदेशक डॉ. भवानी सिंह राठौड़ ने कहा कि कृषि के साथ-साथ पशुपालन भी हमारी संस्कृति का अभिन्न अंग है, और घर में पशुधन की देखभाल महिलाएं ही करती हैं। इसलिए महिलाओं को पशु सखी की भूमिका देना एक सराहनीय कदम है।
भारत सरकार के संयुक्त आयुक्त भूषण त्यागी ने कहा कि पशुचिकित्सकों के पास सुदूर क्षेत्रों के सभी पशुपालकों तक पहुंचने का समय और संसाधन नहीं है। इसलिए, ग्रामीण विकास से जुड़ी सखियों को पशुपालन से जोड़कर उन्हें पशुचिकित्सकों और पशुपालकों के बीच का सेतु बनाने का निर्णय लिया गया है। इस कार्यक्रम से महिलाओं की क्षमता और आर्थिक स्थिति में सुधार होगा।