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इंद्रेश उपाध्याय–शिप्रा विवाह: 101 पंडितों के मंत्रोच्चार के बीच लिए सात फेरे

इंद्रेश उपाध्याय–शिप्रा विवाह: 101 पंडितों के मंत्रोच्चार के बीच लिए सात फेरे

शोभना शर्मा। पिंक सिटी जयपुर के ताज आमेर होटल में सोमवार को वृंदावन के प्रसिद्ध कथावाचक इंद्रेश उपाध्याय और शिप्रा शर्मा का वैदिक विवाह बेहद भव्य और परंपरागत तरीके से सम्पन्न हुआ। यह विवाह सिर्फ एक सामाजिक आयोजन नहीं बल्कि भारतीय संस्कृति के आध्यात्मिक आयामों को सजीव करने वाला उत्सव बना। होटल के जयगढ़ लॉन में तैयार किए गए तिरुपति बालाजी मंदिर की तर्ज पर निर्मित भव्य पारंपरिक मंडप ने इस आयोजन को विशेष स्वरूप दिया, जहां सुबह से ही वैदिक पंडितों का मंत्रोच्चार वातावरण को धार्मिक बना रहा था।

सुबह 8:30 बजे — सेहराबंदी की रस्म से शुरुआत

विवाह समारोह की शुरुआत सुबह आठ बजकर तीस मिनट पर पारंपरिक सेहराबंदी की रस्म से हुई। ताज आमेर होटल की लॉबी में आयोजित इस प्रस्तर पर बारातियों ने पारंपरिक वाद्ययंत्रों और गीतों के माध्यम से माहौल को उत्सवमय बना दिया। इसके बाद पात्र इंद्रेश उपाध्याय बारात के साथ जयगढ़ लॉन स्थित मंडप की ओर प्रस्थान कर गए। पारंपरिक परिधान, अनुशासन और रीति-रिवाजों ने समारोह को सांस्कृतिक गरिमा प्रदान की।

सुबह 11:15 बजे — मंडप प्रवेश और पंडितों से आशीर्वाद

करीब साढ़े ग्यारह बजे इंद्रेश उपाध्याय मंडप में पहुंचे। प्रवेश से पहले उन्होंने मंडप को प्रणाम किया और वहां मौजूद सभी 101 वैदिक पंडितों से आशीर्वाद ग्रहण किया। उनके हाथ में चांदी की छड़ी थी जो वैदिक विवाह की पारंपरिक शान का प्रतीक थी। ठाकुर जी की प्रतिमा को मंडप में ऊंचे आसन पर विराजमान किया गया था जिससे पूरा वातावरण आध्यात्मिक रंग में रंग चुका था।

दोपहर 12:00 बजे — दुल्हन शिप्रा का आगमन

दोपहर बारह बजे दुल्हन शिप्रा शर्मा मंडप में पहुंचीं। गोल्डन साड़ी और पारंपरिक आभूषणों से सुसज्जित शिप्रा के आगमन के साथ कन्यादान और वचन-संस्कार की रस्में प्रारंभ हुईं। पुष्पों की सजावट, दीपस्तंभ और शंखध्वनि के बीच वैदिक मंत्रों की प्रतिध्वनि ने वातावरण को और अधिक पवित्र बना दिया।

दोपहर 1:00 बजे — सात फेरों का पवित्र संस्कार

विवाह समारोह का सबसे महत्वपूर्ण चरण दोपहर एक बजे शुरू हुआ। अग्नि के समक्ष इंद्रेश उपाध्याय और शिप्रा शर्मा ने 101 पंडितों के समवेत मंत्रोच्चार के बीच सात पवित्र फेरे लिए। प्रत्येक फेरा वैदिक वचनों के साथ सम्पन्न हुआ जिसमें दोनों ने जीवनभर साथ रहने, एक-दूसरे का सम्मान करने और परिवार तथा धर्म की रक्षा करने का संकल्प लिया। इस दौरान उपस्थित संतों, अतिथियों और परिजनों ने नवदंपति को आशीर्वाद प्रदान किया।

सांस्कृतिक और धार्मिक आयाम

पूरी शादी वैदिक परंपराओं के संरक्षण और अनुसरण पर आधारित थी। मंडप की सजावट में दक्षिण भारतीय मंदिर वास्तुकला और राजस्थानी कला का अनूठा संगम दिखाई दिया। पीत-लाल पुष्पविन्यास, रेशमी तोरण, पीतल के दीपस्तंभ, संगीतमय शंखनाद और देव-आह्वान ने समारोह की आध्यात्मिक आभा को और प्रभावशाली बना दिया। आयोजन में अनुशासन और परंपरा पर विशेष ध्यान दिया गया तथा पूरी व्यवस्था निर्धारित समयानुसार सम्पन्न हुई।

शाम — जयमाला, आशीर्वाद और सांस्कृतिक प्रस्तुतियां

शाम के समय जयमाला और आशीर्वाद समारोह आयोजित किया गया। इसमें देशभर से आए मेहमानों ने नवविवाहित दंपति को शुभकामनाएं दीं। इसके बाद सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के साथ भव्य डिनर रखा गया जिसमें राजस्थानी थाली के साथ उत्तर भारतीय और दक्षिण भारतीय व्यंजनों का विशेष प्रबंध किया गया।

वीवीआईपी मेहमानों की मौजूदगी से बढ़ी शोभा

समारोह में वीवीआईपी मेहमानों का आगमन लगातार जारी रहा। धीरेंद्र शास्त्री और कवि कुमार विश्वास विशेष विमान से जयपुर पहुंचे। बताया जा रहा है कि विवाह में प्रदेश और देश के कई दिग्गज नेता, संत और बॉलीवुड सेलिब्रिटीज शामिल हो सकते हैं। सबसे खास 50 मेहमानों की सूची में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी, अनिरुद्धाचार्य, देवकीनंदन ठाकुर और वृंदावन के कई संतों के नाम शामिल बताए जा रहे हैं।

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