शोभना शर्मा। रबी सीजन के बीच यूरिया खाद की कमी ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है और इसी संकट को लेकर बुधवार को कांग्रेस ने सीएफसीएल गड़ेपान पर जोरदार प्रदर्शन किया। इस व्यापक विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व अन्ता से कांग्रेस विधायक प्रमोद जैन भाया ने किया। प्रदर्शन में बड़ी संख्या में किसान, पार्टी पदाधिकारी और स्थानीय कार्यकर्ता शामिल हुए। कांग्रेस का आरोप है कि बारां जिले और हाड़ोती क्षेत्र के किसानों को पर्याप्त यूरिया उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है, जबकि उनकी फसलें खाद की मांग के चरम पर हैं।
विधायक प्रमोद भाया की चेतावनी: 15 दिसंबर तक खाद नहीं मिली तो आमरण अनशन
धरने के दौरान मीडिया को संबोधित करते हुए विधायक प्रमोद जैन भाया काफी आक्रामक रुख में दिखाई दिए। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि यदि 15 दिसंबर तक किसानों को पर्याप्त मात्रा में यूरिया उपलब्ध नहीं करवाया गया, तो वे स्वयं आमरण अनशन पर बैठ जाएंगे। उन्होंने चेतावनी दी कि सरकार किसानों की मजबूरी को कमजोरी समझने की भूल न करे, क्योंकि किसान खाद के अभाव में अपनी मेहनत और फसल दोनों जोखिम में डालने को विवश हैं। भाया ने कहा कि “हमने बार-बार सरकार का ध्यान इस गंभीर संकट की ओर आकर्षित किया, परंतु हालात सुधरने के बजाय और बिगड़ते जा रहे हैं। किसानों को खाद की थैलियों के बदले लाठियां मिल रही हैं, जो दुर्भाग्यपूर्ण और अपमानजनक है। यदि सरकार ने अभी भी स्थिति नहीं सुधारी तो यह आंदोलन और अधिक उग्र रूप लेगा।”
कांग्रेस का आरोप: हाड़ोती के किसानों को सबसे अधिक नुकसान
प्रमोद जैन भाया ने कहा कि सीएफसीएल गड़ेपान से निकलने वाले यूरिया पर पहला अधिकार हाड़ोती क्षेत्र के किसानों का होना चाहिए, परंतु वितरण व्यवस्था ऐसी है कि स्थानीय किसानों को लाइन में भटकना पड़ रहा है जबकि ट्रकों की खेप अन्य क्षेत्रों में पहले भेजी जा रही है। कांग्रेस का दावा है कि प्रशासन और सरकार की उदासीनता के चलते दिन-रात कठिन परिश्रम करने वाले किसानों की फसलें खतरे में पड़ गई हैं। खाद संकट ने सिंचाई और बुवाई के समय को प्रभावित कर दिया है। किसानों को डिपो पर लंबी कतारों, भीड़ और तनाव का सामना करना पड़ रहा है।
धरने में वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी, सरकार को अंतिम चेतावनी
सीएफसीएल गड़ेपान पर हुए धरने के दौरान पूर्व विधायक पानाचंद मेघवाल, कांग्रेस जिला अध्यक्ष रामचरण मीणा, धर्मराज मेहरा सहित कई वरिष्ठ नेता भी शामिल रहे। मंच से नेताओं ने किसानों के साथ हो रहे व्यवहार पर नाराजगी व्यक्त की और कहा कि राजस्थान सरकार किसानों के हितों की बात केवल कागजों में कर रही है, जबकि जमीनी हकीकत बिल्कुल अलग है। कांग्रेस नेताओं ने यह भी कहा कि खाद वितरण प्रणाली में पारदर्शिता की कमी है और कई स्थानों पर डीलरों और एजेंसियों की मनमानी किसानों को परेशान कर रही है। उन्होंने मांग की कि खाद की आपूर्ति नियमित और पर्याप्त की जाए, और यदि आवश्यक हो तो अतिरिक्त कोटा जारी किया जाए ताकि रबी सीजन में फसलें प्रभावित न हों।
किसान बोझ तले दबे – खाद की कमी के बीच महंगी फसल लागत
धरना स्थल पर मौजूद किसानों ने बताया कि फसलों की लागत पहले ही पिछले वर्षों की तुलना में काफी बढ़ गई है। डीजल, बिजली, बीज, कीटनाशक और मजदूरी खर्च के बीच यदि खाद उपलब्ध नहीं होगी तो किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ेगा। किसानों का कहना है कि सरकारें बड़ी-बड़ी घोषणाएं तो करती हैं, लेकिन वास्तविक जरूरत के समय किसान खुद को अकेला और असहाय पाते हैं। कई किसानों ने बताया कि पिछले कई दिनों से खाद प्राप्त करने के लिए वे सुबह से शाम तक लाइन में लग रहे हैं, फिर भी कई बार डिपो से खाली हाथ लौटना पड़ रहा है। किसानों का कहना है कि यह संकट अगर थोड़ा और जारी रहा तो फसल उत्पादन और उसकी गुणवत्ता दोनों पर नकारात्मक असर पड़ेगा।
कांग्रेस की रणनीति: आंदोलन को आगे बढ़ाने की तैयारी
धरने के दौरान कांग्रेस नेताओं ने खुलकर कहा कि यह सिर्फ प्रतीकात्मक विरोध नहीं है, बल्कि किसानों के अधिकारों की लड़ाई है। यदि सरकार ने जल्द समाधान नहीं निकाला तो आंदोलन जिला स्तर से बढ़कर प्रदेश स्तर पर किया जाएगा। इसके साथ ही विधानसभा घेराव, राज्यपाल को ज्ञापन और राजधानी में प्रदर्शन जैसे विकल्पों पर भी विचार किया जा रहा है। नेताओं ने कहा कि कांग्रेस किसानों के साथ खड़ी है और यदि स्थिति नहीं सुधरी तो आन्दोलन अगले चरण में प्रवेश करेगा। प्रमोद जैन भाया के आमरण अनशन की चेतावनी ने आंदोलन को और गंभीर स्वरूप प्रदान कर दिया है।


