मनीषा शर्मा। जल जीवन मिशन (JJM) में हुए कथित घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में गिरफ्तार राजस्थान के पूर्व जलदाय मंत्री महेश जोशी को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिल गई है। करीब 7 महीने की न्यायिक हिरासत के बाद बुधवार सुबह शीर्ष अदालत ने उन्हें जमानत दे दी। इस फैसले के बाद अब उनकी जेल से रिहाई का मार्ग साफ हो गया है।
जोशी को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 24 अप्रैल 2025 को मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों में गिरफ्तार किया था। उनसे पहले राजस्थान हाईकोर्ट ने 26 अगस्त को उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी, जिसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
सुप्रीम कोर्ट ने क्यों दिया जमानत का आदेश?
जस्टिस एजी मसीह और जस्टिस दीपांकर दत्ता की दो- सदस्यीय बेंच ने जोशी की गिरफ्तारी और उनके खिलाफ दर्ज आरोपों की परिस्थितियों का विस्तृत अध्ययन किया। कोर्ट ने पाया कि महेश जोशी लगभग 7 महीने से जेल में बंद हैं और मामले में ट्रायल शुरू होने की भी कोई संभावना जल्द नजर नहीं आ रही।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी नोट किया कि इस मामले में सभी सह–अभियुक्तों को पहले ही जमानत मिल चुकी है। ऐसे में समानता के सिद्धांत (Principle of Parity) के आधार पर जोशी को भी जमानत मिलनी चाहिए।
जोशी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा और विवेक जैन ने तर्क दिए कि जब सभी अन्य आरोपी जमानत पर हैं, तो जोशी को हिरासत में रखने का कोई ठोस आधार नहीं रह जाता। कोर्ट ने उनके तर्कों को स्वीकार किया और जमानत मंजूर कर दी।
महेश जोशी की दलीलें: “रिश्वत नहीं, लोन था”
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान जोशी के वकीलों ने ED द्वारा लगाए गए आरोपों का कड़ा विरोध किया। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) की मूल FIR में जोशी का नाम तक नहीं है।
ED का कहना था कि जोशी ने ₹2.01 करोड़ की रिश्वत ली और उनके बेटे की फर्म में ₹50 लाख का संदिग्ध लेनदेन हुआ। रक्षा पक्ष ने स्पष्ट किया कि यह पूरा लेनदेन लोन के रूप में लिया गया था, जिसे बाद में वापस चुका दिया गया।
वकीलों ने सवाल उठाया कि अगर यह राशि रिश्वत की होती, तो इसे वापस क्यों किया जाता? इससे स्पष्ट है कि ED के आरोप ठोस आधार पर नहीं टिकते। इन सभी बिंदुओं पर विचार करने के बाद कोर्ट ने उनकी दलीलों को मानते हुए जमानत प्रदान की।
अब दोपहर बाद शुरू होगी रिहाई की प्रक्रिया
सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद अब महेश जोशी की रिहाई की प्रक्रिया शुरू होनी है। संभावना है कि दोपहर बाद विस्तृत आदेश की कॉपी जेल प्रशासन को भेज दी जाएगी, जिसके बाद कानूनी औपचारिकताएं पूरी की जाएंगी। इस प्रक्रिया के पूर्ण होते ही जोशी जेल से बाहर आ जाएंगे।
जल जीवन मिशन घोटाला क्या है?
राजस्थान में जल जीवन मिशन के तहत पाइपलाइन बिछाने, पानी की सप्लाई और अन्य परियोजनाओं में भारी अनियमितताओं की शिकायतें सामने आई थीं। ED का आरोप है कि अधिकारियों, ठेकेदारों और कुछ राजनीतिक हस्तियों की मिलीभगत से लगभग ₹979.45 करोड़ का घोटाला किया गया।
जांच एजेंसी का दावा है कि उस समय जोशी जलदाय मंत्री थे और परियोजनाओं के आवंटन में उनकी भूमिका संदिग्ध रही। इन्हीं आरोपों के आधार पर उन्हें मनी लॉन्ड्रिंग के तहत गिरफ्तार किया गया था। यह मामला राज्य की राजनीति में उस समय बड़ा मुद्दा बन गया था और कई गिरफ्तारियां भी हुई थीं।


