शोभना शर्मा। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा 5 दिसंबर को श्रीगंगानगर दौरे पर रहेंगे और इस दौरान 647 करोड़ रुपये की लागत से फिरोजपुर फीडर के पुनर्निर्माण कार्य का शिलान्यास करेंगे। यह परियोजना गंगनहर प्रणाली को मजबूत बनाने की दिशा में राज्य का सबसे बड़ा कदम मानी जा रही है। सरकार के अनुसार इस कार्य के पूरा होने के बाद वर्षभर गंगनहर में पर्याप्त पानी की सतत आवक सुनिश्चित की जा सकेगी, जिससे रबी और खरीफ दोनों सीजन में सिंचाई के लिए किसानों को बेहतरीन सुविधा प्राप्त होगी।
पंजाब और राजस्थान की संयुक्त हिस्सेदारी
परियोजना के लिए पंजाब की हिस्सेदारी 379.12 करोड़ रुपये और राजस्थान की हिस्सेदारी 268.50 करोड़ रुपये तय की गई है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने इस योजना के लिए वर्ष 2024–25 के राज्य बजट में 200 करोड़ रुपये का प्रावधान किया था। डीपीआर तैयार होने के बाद हाल ही में केंद्रीय जल आयोग से इसकी औपचारिक मंजूरी मिली, जिसके बाद शिलान्यास की तारीख तय की गई है।
नहरी तंत्र को मजबूत बनाने के लिए बड़े पैमाने पर कार्य
फिरोजपुर फीडर पुनर्निर्माण के तहत अनेक महत्वपूर्ण निर्माण और मरम्मत कार्य किए जाएंगे। योजना में आरडी शून्य से 168.230 तक सीसी लाइनिंग, दो हैड रेगुलेटरों का पुनर्निर्माण, एक नए हेड रेगुलेटर का निर्माण, एक क्रॉस रेगुलेटर का पुनर्निर्माण, 19 वीआरबी और डीआरबी का पुनर्निर्माण शामिल है। इसके अतिरिक्त तीन रेलवे क्रॉसिंग ब्रिज भी पुनर्निर्मित किए जाएंगे। इन कार्यों का उद्देश्य जल हानि कम करना, जल प्रवाह को स्थिर बनाना और अधिक मात्रा में पानी को गंगनहर तक पहुंचाना है।
किसानों को मिलेगा सीधा लाभ
पुनर्निर्माण के बाद हरिके बैराज से मिलने वाला अतिरिक्त पानी फिरोजपुर फीडर के माध्यम से सुचारू रूप से गंगनहर में पहुंचेगा। इससे लगभग 3.14 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की स्थिति बेहतर होगी। सरकार का दावा है कि अधिक जल उपलब्धता से किसानों की फसल उत्पादन क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी और कृषि लागत में कमी आएगी।
गंगनहर के 100 वर्ष पूरे होने पर ऐतिहासिक कदम
गंगनहर की शुरुआत को 5 दिसंबर 2025 को 100 वर्ष पूरे हो रहे हैं। ठीक एक सदी पहले 5 दिसंबर 1925 को स्वर्गीय महाराजा गंगा सिंह ने गंगनहर का शिलान्यास किया था। इसी विशेष अवसर पर मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा फिरोजपुर फीडर के पुनर्निर्माण का शिलान्यास करने जा रहे हैं, जिसे ऐतिहासिक और दूरगामी महत्व का निर्णय माना जा रहा है। सरकार का कहना है कि यह परियोजना नहरी तंत्र की क्षमता बढ़ाने के साथ प्रदेश के लाखों काश्तकारों को प्रत्यक्ष आर्थिक लाभ पहुंचाएगी।


