शोभना शर्मा। भारत सरकार ने साइबर सुरक्षा को मजबूत करने और मोबाइल धोखाधड़ी पर रोक लगाने के लिए बड़ा कदम उठाया है। अब देश में बिकने वाले हर नए स्मार्टफोन में केंद्र सरकार का साइबर सिक्योरिटी ऐप ‘संचार साथी’ पहले से इंस्टॉल होगा। कोई भी कंपनी फोन को बाजार में ऐसे नहीं बेच सकेगी जिसमें यह ऐप शामिल न हो। इस ऐप को यूजर न तो डिलीट कर सकेगा और न ही डिसेबल कर सकेगा।
सरकार का यह आदेश फिलहाल सार्वजनिक नहीं किया गया है, बल्कि चुनिंदा मोबाइल कंपनियों को निजी रूप से भेजा गया है। इस आदेश के अनुसार, ऐपल, सैमसंग, वीवो, ओप्पो और शाओमी सहित सभी कंपनियों को 90 दिन के भीतर आदेश लागू करना होगा। पुराना फोन इस्तेमाल करने वाले यूजर्स के लिए यह ऐप सॉफ्टवेयर अपडेट के जरिए इंस्टॉल किया जाएगा।
साइबर फ्रॉड और चोरी के फोन की समस्या बनी बड़ी चुनौती
भारत दुनिया का सबसे बड़ा मोबाइल मार्केट है, जहां 1.2 अरब से अधिक मोबाइल यूजर्स हैं। लेकिन इसी के साथ साइबर फ्रॉड, फिशिंग, धोखाधड़ी वाले कॉल और चोरी के फोन की कालाबाज़ारी भी तेजी से बढ़ रही है। इसकी सबसे बड़ी वजह फर्जी यानी डुप्लिकेट IMEI नंबर है।
IMEI एक 15 अंकों का यूनिक कोड होता है, जो हर स्मार्टफोन की पहचान सुनिश्चित करता है। अपराधी चोरी के फोन का IMEI बदलकर उन्हें ट्रैकिंग से बचाते हैं और ब्लैक मार्केट में बेचते हैं। इससे साइबर अपराधियों को पकड़ना मुश्किल हो जाता है। सरकार का मानना है कि संचार साथी ऐप चोरी के फोन को ब्लॉक करने और फर्जी IMEI की पहचान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। DoT के अनुसार, सितंबर 2024 तक 22.76 लाख चोरी या फर्जी मोबाइल डिवाइस ट्रेस किए जा चुके हैं, जो इस सिस्टम के सफल प्रभाव को दिखाते हैं।
संचार साथी ऐप क्या करता है और यूजर्स को कैसे फायदा देगा
संचार साथी ऐप 17 जनवरी 2025 को लॉन्च किया गया था। फिलहाल यह गूगल प्ले स्टोर और ऐप स्टोर पर वॉलंटरी डाउनलोड के लिए उपलब्ध है, लेकिन अब इसे अनिवार्य बनाया जा रहा है। ऐप के मुख्य फीचर –
संदिग्ध कॉल, संदेश या व्हॉट्सऐप चैट को रिपोर्ट करने की सुविधा
फोन चोरी या खो जाने पर IMEI नंबर के आधार पर डिवाइस ब्लॉक
ब्लॉक किए गए फोन की रिकवरी पर अनब्लॉक की प्रक्रिया
नेटवर्क का दुरुपयोग और स्कैम कॉल पर निगरानी
सरकार का दावा है कि यह ऐप साइबर सुरक्षा को नया आयाम देगा और टेलीकॉम सेक्टर में सुरक्षित डिजिटल इकोसिस्टम स्थापित करेगा।
कंपनियों में चिंता, खासकर Apple मुश्किल में
उद्योग विश्लेषकों के अनुसार, यह आदेश अचानक भेजे जाने से कंपनियों में असहजता है। सबसे बड़ी चुनौती Apple के लिए उत्पन्न हो रही है क्योंकि कंपनी की नीति में सरकारी या थर्ड-पार्टी ऐप्स को प्री-इंस्टॉल करने पर प्रतिबंध है। अतीत में भी Apple और भारतीय नियामकों के बीच एंटी-स्पैम ऐप को लेकर विवाद हुआ था। उद्योग विशेषज्ञों का मानना है कि Apple दो विकल्पों में से किसी एक पर विचार कर सकती है:
सरकार से इस नियम पर बातचीत
उपयोगकर्ताओं को वॉलंटरी इंस्टॉलेशन के लिए प्रॉम्प्ट देने का सुझाव
अभी तक किसी भी मोबाइल कंपनी ने आदेश पर आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है।
प्राइवेसी को लेकर उठ सकते हैं सवाल
भले ही ऐप का उद्देश्य सुरक्षा बढ़ाना है, लेकिन डिलीट न कर सकने वाले सरकारी ऐप को लेकर प्राइवेसी संगठनों द्वारा सवाल उठाए जा सकते हैं। उनका तर्क है कि यूजर की डिवाइस पर नियंत्रण कम होगा और भविष्य में सरकारी एप्लिकेशन के दायरे में बढ़ोतरी भी हो सकती है। सरकारी अधिकारी इस तर्क को खारिज करते हैं और कहते हैं कि ऐप सिर्फ सुरक्षा उद्देश्यों के लिए है और यूजर्स की निजी जानकारी तक अनधिकृत पहुंच नहीं रखेगा।
यूजर्स के लिए फायदे और भविष्य के बदलाव
सरकार के अनुसार, यूजर्स को तुरंत फायदे मिलेंगे जैसे:
चोरी का फोन तुरंत ब्लॉक किया जा सकेगा
स्कैम कॉल और साइबर ठगी कम होगी
नेटवर्क दुरुपयोग पर लगाम लगेगी
इसके अलावा भविष्य में ऐप में AI आधारित फ्रॉड डिटेक्शन और लोकेशन-आधारित ट्रैकिंग जैसे फीचर भी जोड़े जा सकते हैं।


