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आसाराम की जमानत रद्द करने सुप्रीम कोर्ट पहुंची पीड़िता

आसाराम की जमानत रद्द करने सुप्रीम कोर्ट पहुंची पीड़िता

मनीषा शर्मा। नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे आसाराम बापू की जमानत पर एक बार फिर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। राजस्थान और गुजरात हाईकोर्ट द्वारा स्वास्थ्य कारणों के आधार पर दी गई 6 महीने की अंतरिम जमानत के खिलाफ पीड़िता सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है। पीड़िता ने अपनी याचिका में मांग की है कि आसाराम की जमानत तुरंत रद्द की जाए, क्योंकि उनका जेल से बाहर होना न केवल उसके लिए बल्कि पूरे मामले की निष्पक्षता के लिए खतरा पैदा कर सकता है।

पीड़िता का तर्क: आसाराम बाहर हुआ तो खतरा बढ़ेगा

पीड़िता की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि आसाराम का प्रभाव अत्यधिक व्यापक है और जेल से बाहर रहते हुए वे गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं। याचिका में यह भी कहा गया कि जिस गंभीर अपराध में उसे सजा मिली है, सिर्फ मेडिकल ग्राउंड पर उसे इतनी लंबी अवधि के लिए राहत देना उचित नहीं है।

पीड़िता की ओर से यह चिंता भी जताई गई है कि आसाराम के समर्थकों का प्रभाव अब भी बड़े पैमाने पर है, और बाहरी दुनिया में रहकर आसाराम इस प्रभाव का उपयोग अपने पक्ष में कर सकते हैं। याचिका में यह भी बताया गया कि जमानत मिलने के बाद से वह उपचार कराने के बजाय विभिन्न शहरों में घूम रहा है, जो शर्तों का उल्लंघन है।

हाईकोर्ट से मिली थी अंतरिम राहत

29 अक्टूबर को राजस्थान हाईकोर्ट ने बढ़ती उम्र और स्वास्थ्य स्थितियों को देखते हुए आसाराम को छह महीने की अंतरिम जमानत दी थी। इसके बाद 6 नवंबर को गुजरात हाईकोर्ट ने भी एक अन्य मामले में उन्हें जमानत प्रदान की। हालांकि गुजरात हाईकोर्ट ने कड़ी शर्तें लगाई थीं—उनके साथ तीन पुलिसकर्मियों की तैनाती और समूह में अनुयायियों से मुलाकात पर रोक।

गुजरात हाईकोर्ट ने सोमवार को एक मामूली राहत देते हुए तीन पुलिसकर्मियों की अनिवार्यता हटाई, लेकिन आसाराम की यह मांग खारिज कर दी कि उन्हें प्रवचन देने और समूह में मिलने की अनुमति दी जाए।

पीड़िता का दावा: जमानत लेकर घूम रहे शहर-शहर

पीड़िता के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि आसाराम अंतरिम जमानत मिलने के बाद अपनी गतिविधियों पर लगाई गई शर्तों का पालन नहीं कर रहे। उनके अनुसार, आसाराम पहले जोधपुर आश्रम में रहे, फिर बाड़मेर और अब अहमदाबाद में हैं। यह बताता है कि उन्हें जमानत सिर्फ इलाज हेतु दी गई थी, लेकिन वे इसका दुरुपयोग कर रहे हैं। ऐसे में जमानत का जारी रहना पीड़िता और गवाहों के लिए जोखिम है।

इलाज और सजा के बीच जारी विवाद

आसाराम को नाबालिग से रेप के मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई गई है और वे करीब 12 वर्षों से जेल में हैं। उनकी मेडिकल रिपोर्ट में दिल की बीमारी सहित कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का उल्लेख किया गया, जिसे आधार बनाकर अदालत ने मानवीय आधार पर राहत प्रदान की थी। लेकिन अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या जमानत का उद्देश्य केवल उपचार था या वह इसका अन्य गतिविधियों में उपयोग कर रहे हैं।

जोधपुर में सजा स्थगन पर सुनवाई भी जारी

इसी बीच, आज जोधपुर हाईकोर्ट में आसाराम की ओर से दायर सजा स्थगन और जमानत विस्तार की याचिका पर भी सुनवाई निर्धारित थी। यह सुनवाई उम्रकैद की सजा को अस्थायी रूप से रोकने से जुड़ी थी। हालांकि इस पर फिलहाल कोई आदेश जारी नहीं किया गया है।

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