मनीषा शर्मा। रिश्वतखोरी के आरोप में बारां एसीबी की गिरफ्त में आए तिलम संघ कोटा के महाप्रबंधक (जीएम) रमेशचंद बैरागी की जांच में बड़ा खुलासा हुआ है। एसीबी को आरोपी के घर से करोड़ों की अघोषित संपत्ति मिली है, जो उनके आय के ज्ञात स्रोतों से स्पष्ट रूप से अधिक है। हाउस सर्च के दौरान जमीन, दुकानें, प्लॉट, कीमती धातुओं, नगदी और निवेश के कई महत्वपूर्ण दस्तावेज बरामद किए गए। यह बरामदगी बताती है कि बैरागी ने अपने पद का दुरुपयोग कर भारी मात्रा में अवैध धन अर्जित किया। एसीबी कोटा के एडिशनल एसपी विजय स्वर्णकार ने बताया कि सम्पत्ति की प्राथमिक अनुमानित कीमत लगभग 1 करोड़ 60 लाख रुपए से अधिक है। जांच अधिकारियों का कहना है कि दस्तावेजों की विस्तृत जांच के बाद यह आंकड़ा और भी बढ़ सकता है।
संपत्ति का बड़ा खुलासा
एसीबी की टीम को बैरागी के घर से जो संपत्ति मिली है, उसमें शामिल हैं:
चार दुकानें
एक मकान
एक फ्लैट
तीन प्लॉट
तीन जगहों पर कुल 28 बीघा जमीन
1760 ग्राम चांदी
250.41 ग्राम सोना
11 एफडी जिनकी कुल राशि 40 लाख 32 हजार 500 रुपए
19 बचत खातों में 3 लाख 33 हजार रुपए
तीन बीमा पॉलिसियां
4 लाख 6 हजार रुपए नकद
दो कारें जिनकी कीमत लगभग 13 लाख रुपए
एक बाइक और एक एक्टिवा
संपत्ति का यह पैमाना बताता है कि आरोपी लंबे समय से भ्रष्टाचार में संलिप्त रहा है। एसीबी अधिकारी आगे इन संपत्तियों की वैधता की जांच करेंगे।
कोर्ट में पेश, 10 दिसंबर तक ज्यूडिशियल कस्टडी
एसीबी टीम ने गुरुवार को रमेशचंद बैरागी को कोटा एसीबी कोर्ट में पेश किया, जहां अदालत ने उन्हें 10 दिसंबर तक न्यायिक अभिरक्षा (ज्यूडिशियल कस्टडी) में भेजने के आदेश दिए। एडिशनल एसपी बारां एसीबी कालूराम ने बताया कि प्रारंभिक जांच के बाद आरोपी को जेल भेज दिया गया है और आगे की पूछताछ तथा संपत्ति की जांच जारी रहेगी।
कैसे पकड़ा गया बैरागी?
बुधवार को बारां एसीबी टीम ने बैरागी को 30 हजार रुपए की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा था। शिकायतकर्ता ने बताया कि जीएम बैरागी ने एमएसपी (समर्थन मूल्य) के सेंटर रिन्युअल के बदले 1.45 लाख रुपए की रिश्वत की मांग की थी। परेशान होकर परिवादी ने एसीबी को शिकायत दी, जिसके बाद ट्रेप योजना बनाई गई और बैरागी को पकड़ लिया गया। गौरतलब है कि रमेशचंद बैरागी इसी साल मार्च में रिटायर हो चुका है लेकिन तिलम संघ में अस्थायी (टेम्परेरी) आधार पर सेवाएं दे रहा था। जांच अधिकारियों का कहना है कि रिटायरमेंट के बाद भी वह अपने पद का प्रभाव इस्तेमाल कर भ्रष्टाचार में लिप्त था।
भ्रष्टाचार पर बड़ा सवाल
रिश्वतखोरी और अवैध संपत्ति बरामद होने के बाद इस मामले ने तिलम संघ और सरकारी महकमों के कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। जहां एक तरफ अवैध कमाई का जाल सामने आया है, वहीं दूसरी ओर यह भी स्पष्ट हुआ है कि भ्रष्टाचार के लिए पद या रिटायरमेंट कोई मायने नहीं रखता। राज्य में एसीबी लगातार ऐसे मामलों पर सख्त कार्रवाई कर रही है और यह गिरफ्तारी उनकी बड़ी सफलता मानी जा रही है। अधिकारियों का कहना है कि आगे की जांच में और भी संपत्तियां सामने आ सकती हैं।


