शोभना शर्मा। बाड़मेर जिले में आयोजित जिला परिषद की बैठक उस समय चर्चा का विषय बन गई, जब सांसद उम्मेदाराम बेनीवाल अफसरों के गोलमोल जवाबों पर भड़क उठे। बैठक का उद्देश्य जिला विकास योजनाओं, खनन स्थिति, सड़क निर्माण और जल संकट से जुड़े मुद्दों की समीक्षा करना था, लेकिन अधिकारियों के अस्पष्ट उत्तरों ने सांसद के गुस्से को भड़का दिया। कलेक्टर टीना डाबी से टांका रिपोर्ट पर भी जवाब मांगा, जिस पर उन्होंने सहमति जताई।
माइनिंग और पीडब्ल्यूडी अधिकारियों पर सांसद का गुस्सा
बैठक में सबसे पहले अवैध खनन का मुद्दा उठा। सांसद बेनीवाल ने माइनिंग विभाग से अवैध खनन की स्थिति पर सवाल किया तो अधिकारी ने साफ कह दिया कि उनके क्षेत्र में ऐसा कोई मामला नहीं है। इस दावे पर सांसद ने नाराजगी जताते हुए कहा कि कई शिकायतें उनके पास मौजूद हैं और अवैध खनन स्थलों तक पक्की सड़कें तक बनी हुई हैं। जब इस सड़क के बारे में पीडब्ल्यूडी से सवाल किया गया, तो उन्होंने भी जानकारी से इनकार कर दिया। दोनों विभागों के विरोधाभासी जवाबों ने सांसद को और अधिक नाराज कर दिया। उन्होंने कहा कि “अगर किसी अधिकारी को कुछ पता ही नहीं है तो इस बैठक का क्या मतलब? सिर्फ चाय-समोसा खाने के लिए आते हो क्या?” सांसद की इस तीखी टिप्पणी से बैठक में बैठे अधिकारियों में सन्नाटा पसर गया। कई अधिकारी सिर झुकाए बैठे नजर आए।
कलेक्टर टीना डाबी भी सांसद से सहमत दिखीं
इस दौरान सांसद ने कलेक्टर टीना डाबी से जल संरक्षण से जुड़ी ‘टांका निर्माण रिपोर्ट’ पर भी जवाब मांगा। सांसद ने हाल ही में राष्ट्रपति द्वारा जिला प्रशासन को जल संचय कार्यों के लिए मिले पुरस्कार की बधाई देते हुए पूछा कि टांका निर्माण पर लगी रोक हटाने के लिए रिपोर्ट भेजी गई है या नहीं। कलेक्टर टीना डाबी ने बताया कि रिपोर्ट जल्द भेजी जाएगी। इस पर सांसद ने तंज करते हुए कहा— “क्या आपको दोबारा सम्मानित नहीं होना? जब रिपोर्ट ही नहीं भेजोगे, तो जल संकट बढ़ेगा। जनता पानी के लिए तरस जाएगी तो आंकड़े कहाँ से लाओगे?” सांसद की बात पर कलेक्टर टीना डाबी ने सिर हिलाकर सहमति जताई और अधिकारियों को दिशा-निर्देश दुरुस्त करने के लिए कहा।
बैठक में सवालों पर नहीं मिले सही जवाब
बैठक के दौरान कई ऐसे मौके आए जब अधिकारी किसी भी सवाल का स्पष्ट उत्तर नहीं दे सके। विकास कार्यों की समीक्षा के दौरान अधिकारियों के पास डेटा अधूरा था। सांसद ने इस लापरवाही को गंभीरता से लेते हुए कलेक्टर से संबंधित अधिकारियों पर कार्रवाई करने को कहा। उन्होंने कहा कि जिस विभाग का काम है वही जानकारी न दे सके तो आमजन की समस्याएँ कैसे हल होंगी? सांसद ने चेतावनी देते हुए कहा कि भविष्य में ऐसी लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
टांका निर्माण की रिपोर्ट पर जोर
बाड़मेर जैसे जल-संकट वाले जिले में टांका निर्माण योजनाएँ पानी संरक्षण की रीढ़ मानी जाती हैं। सांसद ने बताया कि अगर रिपोर्ट समय पर नहीं भेजी गई तो टांका निर्माण पर लगी रोक हट नहीं पाएगी, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में पानी का संकट और बढ़ जाएगा। सांसद ने कहा कि “जल संचय के लिए जो भी कार्य जरूरी हैं, उन्हें समय पर पूरा करना प्रशासन की जिम्मेदारी है। देरी से पूरे जिले का जल संकट गहरा सकता है।”
अधिकारियों पर कार्रवाई की चेतावनी
बैठक के अंत में सांसद ने दोहराया कि जिला प्रशासन को विकास कार्यों में तेजी लानी होगी। उन्होंने साफ कह दिया कि लापरवाही या गलत रिपोर्टिंग करने वाले अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई होगी। कलेक्टर टीना डाबी ने भी बैठक में मौजूद अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे सभी लंबित रिपोर्टें समय पर तैयार करके भेजें और जमीनी स्तर पर कार्यों की वास्तविक स्थिति का अपडेट दें।


