शोभना शर्मा। राजस्थान में निकाय और पंचायत चुनावों को लेकर जारी चर्चाओं के बीच नगरीय विकास एवं आवासन मंत्री (UDH) झाबर सिंह खर्रा ने राज्य सरकार की स्थिति एकदम स्पष्ट कर दी है। मंगलवार को सीकर जिले के लक्ष्मणगढ़ में अपने एक दिवसीय दौरे के दौरान उन्होंने कहा कि “ओबीसी आरक्षण सुनिश्चित किए बिना किसी भी सूरत में नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव नहीं करवाए जा सकते।” उनके इस बयान ने प्रदेश की चुनावी राजनीति में नई गर्मी ला दी है, क्योंकि हाल के दिनों में चुनावों की संभावित देरी को लेकर विपक्ष लगातार सरकार पर सवाल उठा रहा था।
लक्ष्मणगढ़ में सरदार पटेल जयंती के कार्यक्रम में दिया बयान
मंत्री झाबर सिंह खर्रा लक्ष्मणगढ़ के रामलीला मैदान में आयोजित सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती पर एकता पदयात्रा में मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे। उन्होंने पदयात्रा को हरी झंडी दिखाई जो शहर के प्रमुख मार्गों से होते हुए भगवानदास तोदी महाविद्यालय तक पहुंची। अपनी सभा में उन्होंने सरदार पटेल के राष्ट्रनिर्माण में योगदान का उल्लेख करते हुए कहा कि उनकी नीतियां आज भी प्रेरणा देती हैं। लेकिन उनके भाषण का मुख्य फोकस राजस्थान में OBC आरक्षण और चुनावी प्रक्रिया को लेकर फैल रही राजनीतिक चर्चाओं पर रहा।
चुनावी प्रक्रिया पर सरकार का स्टैंड: दो कार्य लंबित, इसलिए देरी
खर्रा ने कहा कि कांग्रेस बार-बार चुनाव कराने में देरी का आरोप लगा रही है, जबकि हकीकत यह है कि दो महत्वपूर्ण प्रक्रियाएं पूरी होना बाकी हैं—
राज्य पिछड़ा आयोग द्वारा ओबीसी आबादी का डेटा संग्रह:
आरक्षण सुनिश्चित करने के लिए आयोग का यह कार्य आवश्यक है। जब तक आयोग अंतिम आंकड़े नहीं देता, OBC आरक्षण को कानूनी रूप से लागू नहीं किया जा सकता।राज्य निर्वाचन विभाग द्वारा मतदाता सूची का अंतिम रूप:
नई परिसीमन और निर्वाचन क्षेत्रों के अनुसार मतदाता सूची का अपडेट होना जरूरी है। कई क्षेत्रों की प्रक्रिया अभी अधूरी है।मंत्री ने कहा कि सरकार ने सितंबर में ही चुनाव संबंधी नोटिफिकेशन जारी कर दिया था, लेकिन OBC आरक्षण और मतदाता सूची के लंबित रहने के कारण चुनाव की तारीख आगे खिसक रही है। उन्होंने स्पष्ट किया कि जैसे ही दोनों प्रक्रियाएं पूरी होंगी, नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव एक साथ करवाए जाएंगे।
“कांग्रेस चाहती है बिना OBC आरक्षण चुनाव हो जाए” – खर्रा का आरोप
अपने संबोधन में मंत्री ने कांग्रेस पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि विपक्ष OBC वर्ग के अधिकारों के साथ खिलवाड़ कर रहा है और बिना आरक्षण प्रक्रिया पूरी किए चुनाव करवाने का दबाव बना रहा है। मंत्री ने कहा, “कांग्रेस चाहती है कि ओबीसी आरक्षण को नजरअंदाज कर चुनाव कराए जाएं, लेकिन बीजेपी सरकार ऐसा किसी भी हाल में नहीं होने देगी। हम पिछड़े वर्ग के अधिकारों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं।” खर्रा के अनुसार, सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि चुनाव पूरी तरह संवैधानिक दायरे में हों, ताकि बाद में किसी प्रकार का कानूनी विवाद पैदा न हो।
राजनीतिक गलियारों में बढ़ी हलचल
मंत्री के इस स्पष्ट बयान ने प्रदेश की राजनीति में नई हलचल पैदा कर दी है। विपक्ष पहले ही सरकार पर “जानबूझकर चुनाव टालने” का आरोप लगा रहा था। अब इस बयान से यह साफ हो गया है कि—
सरकार चुनाव कराने के लिए तैयार है
लेकिन OBC आरक्षण सुनिश्चित करना प्राथमिकता है
कानूनी प्रक्रिया पूरी हुए बिना चुनाव संभव नहीं
इससे यह भी प्रतीत होता है कि निकाय और पंचायत चुनाव 2025 की शुरुआत तक खिंच सकते हैं, यदि आयोग और निर्वाचन विभाग अपना काम समय पर पूरा नहीं कर पाते।
लक्ष्मणगढ़ दौरे का राजनीतिक संदेश
लक्ष्मणगढ़, जो ओबीसी समुदाय की बड़ी हिस्सेदारी वाला क्षेत्र है, में इस बयान का राजनीतिक महत्व भी है। इस मंच से झाबर सिंह खर्रा ने यह संदेश देने की कोशिश की है कि—
सरकार OBC हितों के प्रति संवेदनशील है
चुनावों में देरी के लिए विपक्ष पर दोष नहीं मढ़ा जाना चाहिए
आरक्षण प्रक्रिया को लेकर सरकार पारदर्शी और प्रतिबद्ध है
आगे का रास्ता: ओबीसी आरक्षण रिपोर्ट पर टिकी चुनावी घोषणा
राजस्थान में अब निकाय और पंचायत चुनावों की घोषणा पिछड़ा आयोग की अंतिम रिपोर्ट पर निर्भर है। आयोग की रिपोर्ट आने और मतदाता सूची के पूर्ण होने के बाद ही सरकार चुनाव कार्यक्रम घोषित करेगी। साफ है कि OBC आरक्षण की संवैधानिक प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही राज्य में चुनाव होंगे।


