मनीषा शर्मा। संसद के शीतकालीन सत्र की शुरुआत से ठीक पहले राज्यसभा सचिवालय ने सदस्यों को संसदीय शिष्टाचार और अनुशासन को लेकर नया बुलेटिन जारी किया है। इसमें स्पष्ट चेतावनी दी गई है कि सदन में चेयर यानी सभापति के निर्णय की आलोचना, चाहे सीधे रूप में हो या परोक्ष रूप में, सदन के अंदर या बाहर कहीं भी नहीं की जानी चाहिए। यह निर्देश इसलिए भी अधिक महत्व रखता है क्योंकि उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन के राज्यसभा सभापति के रूप में यह पहला संसद सत्र होगा। बुलेटिन में सांसदों को याद दिलाया गया कि सभापति सदन की मान्य संसदीय परंपराओं और नियमों के आधार पर फ़ैसले लेते हैं, इसलिए उनका सम्मान किया जाए।
नारेबाजी पूरी तरह प्रतिबंधित
बुलेटिन में कहा गया है कि सदन की गरिमा और गंभीरता बनाए रखना प्राथमिकता है। इसलिए सदन के अंदर किसी भी प्रकार की—
नारेबाजी
‘जय हिंद’
‘वंदे मातरम्’
‘थैंक यू’ या ‘थैंक्स’ जैसे वाक्य
का प्रयोग स्वीकार्य नहीं होगा।
संसदीय परंपराओं का हवाला देते हुए कहा गया कि सदन में अभिव्यक्ति शालीन और नियमबद्ध होनी चाहिए, ताकि चर्चा की गुणवत्ता बनाई रखी जा सके।
तख्तियां दिखाने पर भी रोक
पिछले कई सत्रों में विपक्ष द्वारा पोस्टर और तख्तियां दिखाने की घटनाएँ सामने आई थीं। इसे ध्यान में रखते हुए फिर से स्पष्ट किया गया कि—
सदन में तख्तियां, बैनर या पोस्टर दिखाना
किसी तरह का विरोध प्रदर्शन करना
पूरी तरह असंसदीय आचरण है और इसकी अनुमति नहीं दी जाएगी।
आलोचना कर बाहर चले जाना: शिष्टाचार का उल्लंघन
राज्यसभा सचिवालय ने यह भी कहा कि— यदि कोई सांसद किसी मंत्री या सदस्य के खिलाफ टिप्पणी करता है, तो जवाब सुनने के लिए सदन में उपस्थित रहना आवश्यक है। ऐसा न करना संसदीय शिष्टाचार का उल्लंघन माना जाएगा। यह निर्देश पिछले कुछ सत्रों में विपक्ष की अनुपस्थिति से उपजे विवादों के संदर्भ में देखा जा रहा है।
चेयर की गरिमा सर्वोपरि
बुलेटिन में यह जोर देकर कहा गया—
सभापति के फ़ैसले नियमों और परंपराओं के अनुरूप होते हैं
इसलिए उनकी सार्वजनिक आलोचना से संसदीय गरिमा को ठेस पहुंचती है
अनुशासनहीन व्यवहार से सदन की कार्यवाही बाधित होती है, जो अस्वीकार्य है
विपक्ष और चेयर के रिश्तों की पृष्ठभूमि
पिछले कुछ वर्षों में राज्यसभा सभापति और विपक्षी सांसदों के बीच टकराव कई बार चर्चा में रहा। हालात इतने बिगड़े कि विपक्ष ने तत्कालीन सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव तक ला दिया था, जिसे उपसभापति ने अस्वीकार कर दिया था। इसी इतिहास के चलते इस बार का बुलेटिन अधिक राजनीतिक संवेदनशील माना जा रहा है।
राधाकृष्णन के पहले सत्र में सबकी नजर रहेगी
उपराष्ट्रपति और राज्यसभा सभापति बनने के बाद यह सीपी राधाकृष्णन का पहला सत्र है। इसलिए राजनीतिक जानकारों की नजर इस बात पर रहेगी कि—
विपक्ष उनका किस तरह सामना करता है
सदन की अनुशासन प्रणाली कितनी प्रभावी होती है
क्या कार्यवाही सुचारू रूप से चल पाती है
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यदि विपक्ष टकरावपूर्ण रुख अपनाता है तो स्थिति फिर तनावपूर्ण हो सकती है।
1 से 19 दिसंबर तक चलेगा शीतकालीन सत्र
इस बार संसद का शीतकालीन सत्र—
1 दिसंबर से 19 दिसंबर 2024 तक
कुल 15 बैठकें निर्धारित
इस दौरान कई महत्त्वपूर्ण विधेयकों और नीतिगत विषयों पर चर्चा प्रस्तावित है।
सत्र की मर्यादा सर्वोच्च: संदेश स्पष्ट
इस बुलेटिन का उद्देश्य स्पष्ट है —
संसद को व्यवस्थित ढंग से चलाना
जनहित के मुद्दों पर बैहतर चर्चा
टकराव की राजनीति की बजाय संवाद की परंपरा को प्राथमिकता देना
राज्यसभा सचिवालय का संदेश साफ है कि— सदन की गरिमा, संसदीय परंपराओं और सभापति की प्रतिष्ठा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए।


