शोभना शर्मा। राजस्थान में वायु प्रदूषण लगातार खतरनाक स्तर पर पहुंचता जा रहा है। सप्ताह की शुरुआत में राज्य के कई बड़े शहरों में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) गंभीर स्थिति में दर्ज किया गया। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के ताज़ा आंकड़ों के अनुसार, टोंक में हवा की गुणवत्ता राजस्थान में सबसे खराब पाई गई, जहां AQI 500 तक पहुंच गया। यह स्तर ‘सीवियर’ श्रेणी में आता है, जो सांस संबंधी समस्याओं को गंभीर रूप से बढ़ा सकता है।
भिवाड़ी में AQI 431 दर्ज हुआ, जबकि जयपुर, श्रीगंगानगर, बीकानेर, कोटा, डूंगरपुर और भरतपुर समेत कई शहरों में एक्यूआई 300 से ऊपर रहा, जिससे हवा ‘वेरी पुअर’ श्रेणी में चली गई। जयपुर में AQI 372, बीकानेर में 328, श्रीगंगानगर में 416, कोटा में 302, डूंगरपुर में 300, सीकर में 321 और झालावाड़ में 308 दर्ज किया गया। इन आंकड़ों से साफ है कि राज्य के ज्यादातर शहरी इलाकों में हवा लोगों की सेहत के लिए गंभीर खतरा बन चुकी है।
मौसम विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, अगले कुछ दिनों तक प्रदेश में मौसम शुष्क रहने वाला है और हवा की दिशा में भी कोई बड़ा बदलाव नहीं होगा। इससे प्रदूषण स्तर में राहत मिलने की उम्मीद कम है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि हालात नहीं सुधरे, तो राजस्थान भी दिल्ली-एनसीआर की तरह श्वसन और फेफड़ों की बीमारियों का केंद्र बन सकता है।
बढ़ते प्रदूषण से बढ़ रहा स्वास्थ्य संकट
वायु प्रदूषण में मौजूद महीन और जहरीले कण सीधे फेफड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं। हाल ही में जयपुर में इंडियन चेस्ट सोसाइटी (ICS) द्वारा आयोजित श्वसन रोग सम्मेलन में डॉक्टरों ने चेतावनी दी कि देश में वायु प्रदूषण मौतों का दूसरा बड़ा कारण बन चुका है। विशेषज्ञ डॉ. नितिन जैन के अनुसार, प्रदूषण बच्चों और बुजुर्गों को सबसे ज्यादा प्रभावित करता है, क्योंकि उनकी रोग-प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। बच्चों में फेफड़ों का विकास रुक सकता है, जबकि बुजुर्गों में अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, स्ट्रोक और हृदय रोगों का खतरा बढ़ जाता है।
प्रदूषण के कारण व्यक्ति की औसत आयु पर भी असर पड़ रहा है। लंबे समय तक पॉल्यूटेड एयर में सांस लेने से शरीर की स्वास्थ्य क्षमता घटती जाती है, जिससे गंभीर बीमारियों का जोखिम बढ़ जाता है।
राजस्थान में सीओपीडी और टीबी के मामले चिंताजनक
राज्य में सीओपीडी (क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज) और टीबी जैसी श्वसन बीमारियां पहले से ही बड़ी चुनौती बनी हुई हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, वैश्विक स्तर पर सीओपीडी मौतों का दूसरा प्रमुख कारण है। राजस्थान में सीओपीडी से होने वाली मौतों की दर राष्ट्रीय औसत से भी अधिक है।
विशेषज्ञों का मानना है कि लगातार बढ़ता वाहन प्रदूषण, उद्योगों का धुआं, धूलभरी हवा और युवाओं में धूम्रपान की आदत इन बीमारियों के तेजी से फैलने में योगदान दे रही है।


