मनीषा शर्मा। खेल की दुनिया में भारत का नाम रौशन करने वाली राजस्थान की बेटी और कोटा की गौरव अरुंधति चौधरी रविवार को गोल्डन वापसी के साथ अपने घर पहुंचीं। वर्ल्ड बॉक्सिंग कप फाइनल्स-2025 में 70 किलोग्राम भार वर्ग में स्वर्ण पदक जीतने के बाद वह जब कोटा जंक्शन पहुंचीं, तो उनके स्वागत में शहर उमड़ पड़ा। रेलवे स्टेशन के बाहर तालियों की गूंज, ढोल-नगाड़ों की थाप और फूलमालाओं ने माहौल को उत्साह से भर दिया। जैसे ही वह प्लेटफार्म पर उतरीं, उनके पिता सुरेश चौधरी ने उन्हें गले लगाया। परिवार से मिलते ही अरुंधति भावुक हो गईं और उनकी आंखों में खुशी के आँसू छलक उठे। यह नजारा पूरे कोटा शहर के लिए गर्व की बात थी।
गंभीर इंजरी के बाद शानदार वापसी
इस बड़ी जीत के पीछे अरुंधति की मजबूत इच्छाशक्ति छिपी है। उन्होंने बताया कि बीते दो वर्षों से वह गंभीर चोट की वजह से संघर्ष कर रही थीं। बॉक्सिंग में वेट मैनेजमेंट भी एक बड़ी चुनौती है, लेकिन इन सब बाधाओं के बावजूद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने बताया कि “देश के लिए गोल्ड जीतना मेरे लिए सबसे बड़ा सम्मान है। यह जीत काफी खास है क्योंकि इस मुकाम तक पहुंचने के लिए मुझे कई कठिनाइयों को पार करना पड़ा।” 20 नवंबर को ग्रेटर नोएडा में हुए फाइनल मुकाबले में अरुंधति ने उज्बेकिस्तान की जोकिरोवा अजीजा को 5-0 के अंतर से हराकर सोना भारत के नाम किया।
मां की खराब तबीयत के बीच मानसिक संघर्ष
अरुंधति ने खुलासा किया कि खेल के साथ-साथ उनका मानसिक संघर्ष भी जारी था। उनकी मां की तबीयत लंबे समय से ठीक नहीं थी, जिसके चलते वह भावनात्मक रूप से दबाव में थीं। उन्होंने कहा, “मां की बीमारी ने मुझे बहुत परेशान किया। कई बार मनोबल टूटता था, लेकिन परिवार और कोच ने हमेशा मुझे आगे बढ़ने की प्रेरणा दी। अंततः मेरी मेहनत रंग लाई।”
खुली जीप में 9 किलोमीटर लंबा विजय जुलूस
रेलवे स्टेशन से अरुंधति को खुली जीप में शहर के विभिन्न मार्गों से होते हुए जुलूस के रूप में घर पहुंचाया गया। जुलूस लगभग 9 किमी लंबा रहा जिसमें जगह-जगह पुष्प वर्षा और सत्कार कार्यक्रम आयोजित किए गए। कोच अशोक गौतम के अनुसार जुलूस का रूट था – नयापुरा, रामपुरा, चार खंबे की छतरी, सब्जी मंडी, सुभाष सर्किल, कैथुनी पोल, टिपटा, कोटा बैराज रोड, सकतपुरा और फिर कुन्हाड़ी स्थित उनके घर तक। रास्ते भर लोग उनकी एक झलक पाने के लिए उत्साहित दिखाई दिए।
भारतीय सेना में हवलदार, अगला लक्ष्य एशियाई खेल
अरुंधति वर्तमान में भारतीय सेना में हवलदार के पद पर कार्यरत हैं। सेना की ओर से ही उन्हें अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लेने का मौका मिलता है। सेना में उनकी यह उपलब्धि सभी के लिए प्रेरणा है। अरुंधति ने कहा, “मेरा अगला लक्ष्य एशियाई खेल 2026 में भारत के लिए गोल्ड मेडल जीतना है। मैं लगातार तैयारी में जुटी हूं और देश का तिरंगा फिर ऊंचा करने का संकल्प लेकर आगे बढ़ रही हूं।”
बॉक्सिंग में उभरती हुई स्टार
सिर्फ वर्ल्ड बॉक्सिंग कप ही नहीं, बल्कि अब तक अरुंधति कई अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भारत के लिए मेडल जीत चुकी हैं। उनकी फुर्ती, ताकत और रणनीतिक खेल शैली उन्हें भविष्य में ओलिंपिक पदक की दावेदार बनाती है।
कोटा की खेल प्रतिभा का नया अध्याय
वैसे तो कोटा शिक्षा के लिए पूरी दुनिया में पहचाना जाता है, लेकिन अरुंधति की सफलता ने यह भी साबित कर दिया कि यहां खेल प्रतिभा की भी कोई कमी नहीं। उनकी इस उपलब्धि से राजस्थान और भारत के लाखों युवा खिलाड़ियों को प्रेरणा मिलेगी।


