शोभना शर्मा। जयपुर के प्रतिष्ठित नीरजा मोदी स्कूल में 9 साल की स्टूडेंट अमायरा की असमय मौत ने पूरे शहर को हिला दिया है। इस मामले में CBSE की जांच रिपोर्ट सामने आने के बाद जो तथ्य सामने आए हैं, उन्होंने स्कूल प्रशासन और टीचिंग स्टाफ की गंभीर लापरवाही को स्पष्ट कर दिया है। रिपोर्ट में बताया गया है कि अमायरा को लगातार डेढ़ साल से बुलिंग का सामना करना पड़ रहा था। स्कूल द्वारा समय रहते कार्रवाई न किए जाने ने बच्ची की मानसिक स्थिति को गहरा प्रभावित किया। CBSE जांच कमेटी 3 नवंबर को सरप्राइज निरीक्षण के लिए स्कूल पहुंची थी। इसके बाद तैयार की गई रिपोर्ट के आधार पर स्कूल को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। रिपोर्ट ने स्कूल की संवेदनशीलता की कमी और शिकायतों की उपेक्षा को सीधे तौर पर जिम्मेदार माना है।
डेढ़ साल से चल रही थी बुलिंग
रिपोर्ट में दर्ज तथ्यों के अनुसार अमायरा को उसकी क्लास के कुछ बच्चे लंबे समय से परेशान कर रहे थे। 2 मई 2024 को अमायरा की मां ने स्कूल में शिकायत भी दी थी जिसमें बताया गया था कि क्लास के एक लड़के ने अमायरा के साथ अभद्र इशारा किया। इस घटना के बावजूद स्कूल ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया। 25 जुलाई 2024 को भी वही लड़का फिर से अमायरा को परेशान करता पाया गया। यह लगातार होने वाली बुलिंग बच्ची के भीतर डर और असुरक्षा की भावना को बढ़ाती रही।
क्लास में मारपीट और घर लौटकर रोना
CBSE रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि 25 जुलाई को एक बच्चे ने अमायरा को स्कूल में मारा था। घटना के बाद वह रोते हुए घर पहुंची और अपने माता-पिता से गुहार लगाती हुई बोली कि वह स्कूल नहीं जाना चाहती। परिजनों ने जांच में वह ऑडियो भी सब्मिट किया जिसमें अमायरा रोते हुए कह रही थी कि उसे दूसरे स्कूल में एडमिशन दिलाया जाए क्योंकि क्लासमेट्स उसे लगातार परेशान करते हैं। मगर स्कूल प्रशासन और क्लास टीचर द्वारा इस गंभीर शिकायत को भी नज़रअंदाज़ कर दिया गया।
क्लास टीचर ने समस्या को न समझा, अमायरा को ही सुझाव दिए
सितंबर 2025 में पेरेंट्स-टीचर मीटिंग के दौरान अमायरा के पिता ने एक लड़के द्वारा लगातार बुलिंग की शिकायत की थी। लेकिन क्लास टीचर ने समस्या समाधान की बजाय अमायरा को ही यह कहकर समझाया कि उसे अन्य बच्चों के साथ एडजस्ट करना सीखना चाहिए। यह प्रतिक्रिया न सिर्फ असंवेदनशील थी बल्कि उसने बच्ची की स्थिति को और अधिक कमजोर कर दिया।
10 अक्टूबर की घटना बनी सबसे दर्दनाक
10 अक्टूबर को क्लास के एक बच्चे ने अमायरा के बारे में गलत बात फैलाई। इसके बाद क्लास के कई बच्चे उसे चिढ़ाने लगे। स्लेट पर भी एक ऐसी बात लिखी गई जिससे वह बहुत व्यथित हो गई। उसने बार-बार बच्चों से वह बात मिटाने और चिढ़ाना बंद करने की रिक्वेस्ट की, लेकिन बच्चों ने उसकी बात नहीं मानी। अमायरा ने खुद को घिरा हुआ, असहाय और शर्मिंदा महसूस किया। इस दौरान 45 मिनट में वह पाँच बार क्लास टीचर के पास अपनी समस्या लेकर गई, मगर टीचर ने किसी भी स्तर पर हस्तक्षेप नहीं किया।
टीचर ने माना—अमायरा ने कई बार शिकायत की थी
CBSE रिपोर्ट में दर्ज शिक्षक के बयान में यह स्वीकार किया गया है कि अमायरा बार-बार शिकायत करती थी। उसने बताया कि अमायरा ने क्लासमेट्स द्वारा गालियों और बुरे शब्दों के इस्तेमाल की शिकायत भी दर्ज कराई थी। वह लंच भी नहीं कर पाई थी, जो इस बात का संकेत था कि बच्ची मानसिक तनाव से गुजर रही थी। रिपोर्ट ने स्पष्ट रूप से माना कि अगर टीचर ने समय रहते हस्तक्षेप किया होता तो स्थिति इतनी गंभीर नहीं बनती।
CBSE ने माना—टीचरों की लापरवाही ने बढ़ाई समस्या
रिपोर्ट के अंत में CBSE ने कहा कि अमायरा की लगातार शिकायतों को नजरअंदाज करना, बुलिंग पर रोक न लगाना और संवेदनशीलता की कमी स्कूल प्रशासन की गंभीर जिम्मेदारी बनती है। बच्ची की समस्याओं को समझा नहीं गया और न ही उसे सुरक्षित वातावरण दिया गया। यही लापरवाही अमायरा के मानसिक तनाव का बड़ा कारण बनी, जिसकी परिणति उसकी असामयिक मौत के रूप में सामने आई।


