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उदयपुर में अरबपति की शाही शादी में पहुँचा आमेर का हाथी ‘बाबू’

उदयपुर में अरबपति की शाही शादी में पहुँचा आमेर का हाथी ‘बाबू’

मनीषा शर्मा। राजस्थान के उदयपुर में आयोजित एक भव्य अंतरराष्ट्रीय शादी इस समय चर्चाओं में है। जगमंदिर आइलैंड पैलेस में 21 से 24 नवंबर तक चल रहे इस रॉयल वेडिंग समारोह में भारतीय संस्कृति, कला और राजसी परंपराओं का भव्य प्रदर्शन देखने को मिल रहा है। अरबपति बिजनेसमैन रामा रुडिसा मंटेना की बेटी की शादी वामसी गादिराजू के साथ हो रही है, और समारोह में देश-विदेश के मेहमान शामिल हो रहे हैं। इसी बीच आकर्षण का केंद्र बना है आमेर के मशहूर हाथी गांव से विशेष रूप से बुलाया गया हाथी ‘बाबू’।

रॉयल बारात में शाही सवारी बनेगा ‘बाबू’

हाथी के मालिक बब्लू खान ने बताया कि ‘बाबू’ को विशेष बुलावे के साथ जयपुर से उदयपुर लाया गया है। उन्होंने कहा कि यह हमारे लिए गर्व की बात है कि भारतीय परंपरा का यह प्रतीक इतनी खास शादी का हिस्सा बन रहा है। हाथी मालिक विकास समिति के अध्यक्ष बल्लू खान के अनुसार, ‘बाबू’ विश्व के सबसे बड़े जीव हाथियों में से एक है और उसे उदयपुर तक सुरक्षित रूप से ट्रक द्वारा पहुंचाया गया।

सिल्वर ज्वेलरी और पारंपरिक श्रृंगार से संवारा गया

‘बाबू’ को शाही बारात के लिए खास तरीके से सजाया गया है। प्राकृतिक चॉक पाउडर और रंगीन कलात्मक डिजाइनों से उसके शरीर पर फूल-पत्ती की सुंदर पेंटिंग की गई है। उसके ऊपर लाल झूल, कंठा और सजावटी वस्त्र पहनाए गए हैं। दूल्हे के लिए मेटल का मजबूत हौदा लगाया गया है, जिससे बारात का दृश्य और भी विस्मयकारी होगा।

हाथी के सिर पर लगाया जाएगा विशेष ‘श्री’ आभूषण, जो शुभता और राजसी प्रतिष्ठा का प्रतीक है। मालिक के अनुसार, इसमें सिल्वर पॉलिश का प्रयोग किया गया है ताकि भारतीय परंपरागत शाही रौनक का संपूर्ण अनुभव दिया जा सके।

बॉलीवुड और विदेशी मेहमानों की मौजूदगी, पर्यटन को बढ़ावा

इस रॉयल इवेंट में कई बॉलीवुड सेलिब्रिटी और विदेशी हाई-प्रोफाइल मेहमानों के आने की संभावना है। इससे न केवल इस शादी का ग्लैमर बढ़ेगा, बल्कि राजस्थान के पर्यटन और सांस्कृतिक पहचान को भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक बार फिर नई पहचान मिलेगी। आयोजन समिति का कहना है कि यह शादी भारतीय संस्कृति का शानदार प्रदर्शन होगी, जिसमें शाही बारात, संगीत और पारंपरिक रस्मों का अद्भुत संगम शामिल है।

भारतीय परंपरा को जीवंत रखने की पहल

हाथी मालिकों का कहना है कि इस प्रकार की शादियों में हाथियों की उपस्थिति केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि पीढ़ियों से चली आ रही संस्कृति को जीवित रखने का माध्यम है। उनका मानना है कि हाथी भारतीय रियासतों की पहचान रहे हैं और आज भी उनके सम्मान की परंपरा जारी है।

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