मनीषा शर्मा। पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में बुधवार को एक बार फिर इतिहास रचते हुए जनता दल (यूनाइटेड) के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार ने बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। यह उनके राजनीतिक करियर का 10वां शपथ ग्रहण है, जिसने उन्हें देश के उन चुनिंदा नेताओं में शामिल कर दिया है जिन्होंने बार-बार जनादेश और गठबंधन की जटिलताओं के बीच सत्ता संभाली है।
शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा और एनडीए के कई दिग्गज नेता मौजूद रहे। मंच पर राष्ट्रीय राजनीति की सबसे बड़ी हस्तियों की मौजूदगी ने इस आयोजन को विशेष बना दिया। इसी के साथ राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, उप मुख्यमंत्री दिया कुमारी, उप मुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा और विधायक कुलदीप धनकड़ भी समारोह में शामिल रहे, जिससे कार्यक्रम की गरिमा और बढ़ गई।
बिहार को टॉप-10 स्टेट्स में शामिल करने का सपना
जेडीयू नेता राजीव रंजन प्रसाद ने नीतीश कुमार के नेतृत्व में बनने वाली एनडीए सरकार की योजनाओं और लक्ष्यों पर विस्तार से बात की। उन्होंने कहा कि पार्टी का संकल्प स्पष्ट है कि आने वाले वर्षों में बिहार को भारत के शीर्ष 10 विकसित राज्यों की श्रेणी में शामिल किया जाए। उनके अनुसार, राज्य में पिछले दो दशकों में विकास की एक निरंतर धारा रही है, और नई सरकार इस यात्रा को नए आयाम तक ले जाने का प्रयास करेगी।
केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने भी बिहार के उज्ज्वल भविष्य की उम्मीद जताते हुए कहा कि आने वाले समय में बिहार, विकसित भारत के वृद्धि इंजन के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। उन्होंने कहा कि राज्य में नई सरकार के गठन से स्थिरता और तेज विकास की उम्मीद फिर से मजबूत हुई है।
नीतीश कुमार के नेतृत्व की राजनीतिक यात्रा
नीतीश कुमार की राजनीतिक यात्रा बिहार की राजनीति में स्थिरता, बदलाव और गठबंधन की जटिलताओं का अद्भुत उदाहरण है। वे पहली बार वर्ष 2000 में राज्य के मुख्यमंत्री बने, हालांकि उनकी सरकार केवल 8 दिनों में ही गिर गई थी। लेकिन 2005 से 2014 तक उनका नेतृत्व लगातार कायम रहा और उन्होंने बिहार की सियासत में अपनी सशक्त भूमिका स्थापित की।
2014 के लोकसभा चुनाव में जेडीयू के कमजोर प्रदर्शन की जिम्मेदारी लेते हुए उन्होंने मुख्यमंत्री पद छोड़ दिया था, लेकिन कुछ ही समय बाद वे फिर से सत्ता में लौट आए। जनवरी 2024 में उन्होंने पुनः मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, जब जेडीयू ने एनडीए में वापसी का निर्णय लिया।
शपथ समारोह में सुरक्षा और प्रबंधन की कड़ी व्यवस्था
शपथ ग्रहण स्थल पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे। राज्य पुलिस, केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों, और विशेष सुरक्षा दलों ने पूरे कार्यक्रम को व्यवस्थित और सुरक्षित बनाया। बड़ी भीड़ और वीवीआईपी मूवमेंट के कारण एयरपोर्ट से लेकर गांधी मैदान तक सुरक्षा तंत्र हाई अलर्ट पर रहा।


