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राजस्थान घूमर महोत्सव ने बनाया एशिया रिकॉर्ड, 6 हजार महिलाओं ने किया सामूहिक घूमर

राजस्थान घूमर महोत्सव ने बनाया एशिया रिकॉर्ड, 6 हजार महिलाओं ने किया सामूहिक घूमर

मनीषा शर्मा। राजस्थान में पर्यटन विभाग द्वारा आयोजित भव्य घूमर महोत्सव ने एक नया इतिहास रच दिया। पहली बार राज्य के सातों संभाग मुख्यालयों पर एक साथ घूमर नृत्य उत्सव आयोजित हुआ, जिसमें लगभग 6 हजार महिलाओं और युवतियों ने सामूहिक रूप से घूमर प्रस्तुत की। इतनी बड़ी संख्या में एक साथ हुआ यह प्रदर्शन एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज हो गया, जिसे राजस्थान की सांस्कृतिक पहचान के लिए बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है।

जयपुर में डिप्टी सीएम दिया कुमारी ने किया आगाज

राज्य स्तरीय मुख्य कार्यक्रम का आयोजन जयपुर के विद्याधर नगर स्टेडियम के फुटबॉल ग्राउंड में किया गया। उप मुख्यमंत्री दिया कुमारी ने नगाड़ा बजाकर महोत्सव का शुभारंभ किया। हजारों महिलाओं ने पारंपरिक वेशभूषा में पहुंचकर राजस्थान की सांस्कृतिक गरिमा को प्रदर्शित किया, जिससे पूरा परिसर लोक-संस्कृति की रंगत में डूब गया।

दिया कुमारी मैदान में उपस्थित कलाकारों के बीच पहुंचीं और प्रतिभागियों का उत्साह बढ़ाया। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि राजस्थान की लोक संस्कृति, कला और विरासत को नई पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए बड़े और नियमित आयोजनों की आवश्यकता है। उन्होंने यह भी घोषणा की कि घूमर महोत्सव हर साल बड़े पैमाने पर आयोजित किया जाएगा।

सांस्कृतिक संरक्षण को बढ़ावा देने पर जोर

उप मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि राजस्थान की सांस्कृतिक परंपराओं को जनभागीदारी और नवाचार के साथ जोड़कर एक स्थायी मॉडल विकसित किया जाएगा। इससे राज्य के पर्यटन को नई दिशा और नई पहचान मिलेगी। उन्होंने बताया कि सरकार की प्राथमिकता पारंपरिक कलाओं को संरक्षित कर उन्हें वैश्विक मंच तक पहुंचाना है।

कार्यक्रम में घूमर की प्राचीन शैली पर आधारित ‘‘एक बार हो पिया जयपुर शहर पधार जो…’’ गीत की प्रस्तुति ने दर्शकों को विशेष रूप से आकर्षित किया। इसकी खूबसूरती ने कार्यक्रम के माहौल को और भी जीवंत बना दिया।

पदमश्री गोवरधन कुमारी को श्रद्धांजलि

महोत्सव के दौरान राजस्थान के लोकनृत्यों में महत्वपूर्ण योगदान देने वाली स्वर्गीय पदमश्री गोवरधन कुमारी को श्रद्धांजलि दी गई। उन्होंने जीवनभर घूमर सहित कई पारंपरिक नृत्यों के संरक्षण और संवर्धन के लिए कार्य किया था।

सरकार इस महोत्सव को लंबे समय तक राज्य की सांस्कृतिक पहचान के रूप में स्थापित करने की योजना बना रही है। इसे आगे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सांस्कृतिक कैलेंडर में शामिल करवाने के प्रयास भी किए जाएंगे।

लोकनृत्यों की आकर्षक प्रस्तुतियां

कार्यक्रम की शुरुआत गणगौर डांस अकादमी की प्रस्तुति ‘‘लंजो… म्हारौ आलाजी लेता आइजो…’’ से हुई। इस गीत में एक विवाहित महिला द्वारा अपने पति से रत्नजड़ित श्रृंगार सामग्री लाने का आग्रह दर्शाया गया है। वहीं ‘‘जलाल–बिलाला’’ प्रस्तुति में विरह की पीड़ा झेलती नायिका अपने पति को सम्मानपूर्वक वापस भेजने का अनुरोध करती है।

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