मनीषा शर्मा। राजस्थान के सवाईमाधोपुर जिले के खंडार उपखंड के बहरावड़ा खुर्द गांव में बुधवार सुबह हुए घटनाक्रम ने पूरे क्षेत्र को स्तब्ध कर दिया। बूथ लेवल अधिकारी (BLO) हरिओम बैरवा की अचानक हार्ट अटैक से मौत हो गई, जिसके बाद गांव में तनाव और आक्रोश फैल गया। परिजनों ने अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए हैं और कहा है कि SIR (स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन) के काम को लेकर बनाया गया मानसिक दबाव ही मौत की असली वजह है।
परिवार ने बताया—छह दिनों से तनाव में था हरिओम
हरिओम के पिता बृजमोहन बैरवा और भाइयों ने बताया कि पिछले छह दिनों से हरिओम बेहद तनाव में था। घर पर वह किसी से ठीक से बात भी नहीं करता था। परिवार का कहना है कि एसआईआर कार्य को लेकर एसडीएम और तहसीलदार लगातार फोन कर रहे थे और काम जल्द पूरा करने का दबाव बना रहे थे।
परिजनों ने आरोप लगाया कि यह दबाव सिर्फ काम की गति बढ़ाने के लिए नहीं, बल्कि जानबूझकर उत्पन्न किया जा रहा था जिससे हरिओम मानसिक रूप से टूट गया।
तहसीलदार के फोन के 5 मिनट बाद आई हार्ट अटैक की खबर
परिवार के अनुसार, बुधवार सुबह तहसीलदार का फोन आया था। फोन पर क्या बात हुई, यह किसी को पता नहीं, लेकिन बातचीत खत्म होने के लगभग पांच मिनट बाद ही हरिओम को हार्ट अटैक आ गया।
घरवाले कहते हैं कि अगर वह रोज़ाना की तरह सामान्य दबाव की स्थिति होती तो शायद ऐसा नहीं होता। वे इसे “मानसिक प्रताड़ना” बताकर अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
गुस्साए परिजनों ने बहरावड़ा खुर्द पुलिस चौकी में एसडीएम और तहसीलदार दोनों के खिलाफ लिखित शिकायत दर्ज कराई है। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ काम का दबाव नहीं, बल्कि अनुचित व्यवहार और निरंतर दवाब था, जिसकी वजह से हरिओम की जान गई।
क्षेत्र में तनाव, भीड़ जमा—लोगों में गुस्सा
घटना जैसे ही गांव में फैली, सैकड़ों लोग मौके पर जमा हो गए। कई लोग अधिकारियों के खिलाफ नारेबाजी करते दिखाई दिए। गांव में हालात तनावपूर्ण हो गए और पुलिस को स्थिति नियंत्रित करनी पड़ी।
स्थानीय लोगों का कहना है कि चुनावी और प्रशासनिक कार्यों के नाम पर कर्मचारियों पर अत्यधिक तनाव डाला जाता है, जिसका खामियाजा अक्सर निचले स्तर के कार्यकर्ताओं को भुगतना पड़ता है।
तहसीलदार का जवाब—“कोई दबाव नहीं था, निर्देश ही बताए थे”
लगाए गए आरोपों पर तहसीलदार जयप्रकाश रोलन ने सफाई देते हुए कहा कि हरिओम बैरवा मेहनती और ईमानदार BLO था।
उन्होंने कहा कि सुबह उन्होंने सिर्फ वही निर्देश बताए थे जो ऊपर से मिले थे, और उनमें किसी तरह का दबाव नहीं था।
तहसीलदार ने कहा कि हार्ट अटैक कैसे आया, यह उन्हें भी समझ नहीं आ रहा। उन्होंने दावा किया कि हरिओम से उनकी बातचीत बिल्कुल सामान्य थी और किसी भी तरह की कड़वी बात नहीं हुई।
हालांकि, इस घटना पर अन्य अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं। कोई भी खुलकर प्रतिक्रिया देने को तैयार नहीं है, जिससे संदेह और विवाद दोनों बढ़ते जा रहे हैं।
प्रशासन पर सवाल, SIR कार्य प्रणाली पर उठी बहस
घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि SIR जैसे कार्यों में निचले स्तर के कर्मचारियों पर अत्यधिक दबाव क्यों बनाया जाता है। कई शिक्षक, BLO और फील्ड कर्मचारी पहले भी बता चुके हैं कि उन्हें लगातार फोन, चेतावनी और मानसिक दबाव झेलना पड़ता है।
हरिओम की मौत के बाद सोशल मीडिया पर भी लोगों ने प्रशासनिक व्यवहार और SIR प्रेशर पर सवाल उठाए हैं। कई लोगों ने इसे एक “प्रशासनिक विफलता” बताया है।
परिजन मांग रहे न्याय, जांच की मांग तेज
हरिओम के परिवार ने स्पष्ट कहा है कि जब तक अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं होती, वे पीछे नहीं हटेंगे।
उन्होंने पोस्टमार्टम रिपोर्ट की पारदर्शी जांच और अधिकारियों की भूमिका की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है।


