मनीषा शर्मा। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) को लेकर देशभर में उठ रहे विवादों पर चुनाव आयोग और केंद्र सरकार दोनों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। जयपुर में प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में इंदिरा गांधी की जयंती पर श्रद्धांजलि देने के बाद मीडिया से बातचीत करते हुए गहलोत ने कहा कि SIR के कारण पैदा हुआ अविश्वास चुनाव आयोग की “बेवकूफी और खराब नीयत” का परिणाम है।
उन्होंने कहा कि पूरे देश में SIR को लेकर विवाद बढ़ते जा रहे हैं और यह हालात इसलिए बने हैं क्योंकि आयोग ने पारदर्शिता नहीं दिखाई। गहलोत ने कहा कि यह कहना गलत नहीं होगा कि चुनाव आयोग की प्रक्रिया शुरुआत से ही संदिग्ध थी और इसमें भाजपा सरकार की मिलीभगत साफ दिखाई देती है।
“आयोग की नीयत खराब, बिना वजह कंट्रोवर्सी पैदा की”
गहलोत ने कहा कि SIR पर आज देशभर में सवाल उठ रहे हैं, जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए था। यदि चुनाव आयोग शुरुआत से ही सभी राजनीतिक दलों को विश्वास में लेकर यह प्रक्रिया चलाता, तो विवाद की कोई स्थिति बनती ही नहीं।
उन्होंने कहा कि पारदर्शी तरीके से मतदाता सूची बनाने का दावा किया गया, लेकिन असलियत में फर्जी नामों की शिकायतें बढ़ीं और सही मतदाताओं के नाम हटाने की घटनाएँ सामने आईं।
गहलोत के अनुसार आयोग ने “जानबूझकर ऐसा माहौल बनाया जिससे आम जनता और विपक्ष में शक पैदा हो।” उन्होंने कहा कि मुख्य निर्वाचन आयुक्त का व्यवहार विपक्ष के प्रति पहले कभी ऐसा नहीं देखा गया।
राहुल गांधी के प्रयासों को बताया सराहनीय, जनता को सड़कों पर आने की अपील
गहलोत ने बिहार चुनाव का उल्लेख करते हुए आरोप लगाया कि वहां धनबल के सहारे चुनाव जीता गया और महिलाओं के खातों में बीच चुनाव पैसे डालने जैसे कदमों पर आयोग ने कोई कार्रवाई नहीं की।
उन्होंने कहा कि विपक्ष केवल बोल सकता है, लेकिन बदलाव जनता ही ला सकती है।
गहलोत ने कहा, “राहुल गांधी अकेला क्या करेगा? जनता को आगे आना पड़ेगा। हम लोग अहिंसा के मार्ग पर चलते हैं, लेकिन ये लोग हिंसा में विश्वास करते हैं। इसलिए लोकतंत्र बचाने के लिए जनता को सड़क पर उतरना पड़ेगा।”
“SIR से आत्महत्या तक की नौबत, आयोग ने जताई अनदेखी”
गहलोत ने SIR प्रक्रिया के कारण उत्पन्न तनाव और मानसिक दबाव की बात भी उठाई। उन्होंने कहा कि अब तक तीन आत्महत्याओं की खबरें आ चुकी हैं और बंगाल जैसे राज्यों में 20 से ज्यादा मौतों की रिपोर्टें सामने आई हैं।
उन्होंने सवाल उठाया कि ऐसी त्रासदी क्यों हुई? इसका कारण आयोग की लापरवाही और गैर-जिम्मेदाराना रवैया है।
गहलोत के अनुसार, “राहुल गांधी ने मेहनत कर गड़बड़ी के सबूत दिए, लेकिन कार्रवाई करने के बजाय आयोग उल्टे उन्हीं से एफिडेविट मांगने लगा। जांच करना आयोग की जिम्मेदारी थी, लेकिन उसने अपनी जिम्मेदारी से बचना चुना।”
आयोग और सरकार पर मिलीभगत का आरोप
गहलोत ने आरोप लगाया कि मुख्य निर्वाचन आयुक्त का व्यवहार सरकार की ओर झुका हुआ है और विपक्ष की शिकायतों पर उचित कार्रवाई नहीं हो रही। उन्होंने कहा कि यह पहली बार है जब चुनाव आयोग पर इस स्तर का अविश्वास देखने को मिल रहा है।
गहलोत के अनुसार, “आयोग अगर निष्पक्ष रहता और सरकार से मिलीभगत नहीं करता, तो यह माहौल नहीं बनता। यह स्थिति चुनाव आयोग की गलती से बनी है, इसमें संकोच की कोई बात नहीं।”


