शोभना शर्मा। जयपुर स्थित राजस्थान यूनिवर्सिटी में बुधवार को उस समय माहौल तनावपूर्ण हो गया जब रिवैल्युएशन फीस और गलत मार्किंग के आरोपों को लेकर छात्रों ने बड़ा प्रदर्शन किया। यूनिवर्सिटी प्रशासन के खिलाफ दर्ज किए जा रहे विरोध ने देखते ही देखते उग्र रूप ले लिया। स्थिति बिगड़ते देख पुलिस ने लाठीचार्ज कर प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर किया। इस कार्रवाई में छात्र नेता नीरज खीचड़, शुभम रेवाड़ समेत कई छात्रों को हिरासत में लिया गया है।
छात्रों का आरोप है कि यूनिवर्सिटी लगातार रिवैल्युएशन फीस के नाम पर छात्रों को मानसिक रूप से परेशान कर रहा है और जानबूझकर गलत मार्किंग कर उन्हें बैक दे रहा है।
नोटों की माला पहनकर यूनिवर्सिटी प्रशासन के खिलाफ अनोखा विरोध
प्रदर्शन कर रहे छात्रों ने इस बार विरोध का अनूठा तरीका अपनाया। वे यूनिवर्सिटी परिसर में नोटों की माला पहनकर पहुंचे और कहा कि यह माला वे यूनिवर्सिटी प्रशासन को सौंपना चाहते हैं, क्योंकि प्रशासन का लक्ष्य सिर्फ फीस वसूलना है।
छात्रों ने आरोप लगाया कि एक-दो नंबर से जानबूझकर उन्हें फेल दिखाया जा रहा है ताकि रिवैल्युएशन फीस जमा करवाई जा सके। कई छात्रों ने बताया कि उन्हें अगले सेमेस्टर में प्रमोट भी नहीं किया जा रहा, जिससे उनका शैक्षणिक भविष्य खतरे में पड़ गया है।
कई दिनों से छात्र इसी मुद्दे पर यूनिवर्सिटी प्रशासन के खिलाफ विरोध कर रहे थे। मंगलवार रात भी वे कुलगुरु कार्यालय के बाहर धरने पर बैठे रहे थे।
भीड़ बढ़ने पर पुलिस की एंट्री, लाठीचार्ज से बढ़ा तनाव
बुधवार को प्रदर्शनकारी छात्रों की संख्या काफी बढ़ गई और उन्होंने विश्वविद्यालय परिसर का घेराव करने की कोशिश की। स्थिति को देखते हुए पुलिस ने हस्तक्षेप किया और भीड़ को हटाने के लिए लाठीचार्ज किया।
लाठीचार्ज के दौरान छात्र-छात्राओं और पुलिस के बीच धक्का-मुक्की भी हुई। कई छात्रों के घायल होने की सूचना है, हालांकि पुलिस प्रशासन की ओर से इस पर कोई आधिकारिक बयान अभी नहीं दिया गया है।
पुलिसकर्मियों पर अभिभावकों और छात्राओं के गंभीर आरोप
प्रदर्शन के दौरान मौजूद कुछ अभिभावकों और छात्राओं ने पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए। उनका कहना था कि पुलिस ने यह देखे बिना कि सामने लड़कियां हैं या लड़के, अंधाधुंध लाठीचार्ज किया।
छात्राओं ने आरोप लगाया कि मौके पर पर्याप्त महिला पुलिसकर्मी मौजूद नहीं थीं, इसके बावजूद पुरुष पुलिस कर्मियों ने उन्हें धक्का दिया और बदसलूकी की।
परिवार वालों का कहना है कि प्रशासन छात्रों की आवाज सुनने के बजाय दमनकारी रवैया अपना रहा है।


