शोभना शर्मा। नागौर जिले की जोधियासी ग्राम पंचायत में महाराजा सूरजमल की प्रतिमा स्थापना को लेकर विवाद एक बार फिर तेज हो गया है। सोमवार देर रात मूर्ति लगाने की जानकारी मिलते ही गांव के दो पक्ष आमने-सामने आ गए और मंगलवार को स्थिति तनावपूर्ण हो गई। विवाद बढ़ने के साथ ही पथराव की घटनाएं भी सामने आईं, जिसके बाद प्रशासन ने इलाके में भारी पुलिस बल तैनात कर दिया। बढ़ते तनाव को देखते हुए दो महीने के लिए धारा-163 लागू कर दी गई है।
तनाव के बीच दोनों पक्षों का आमना-सामना, पुलिस ने संभाला मोर्चा
सोमवार रात मूर्ति स्थापित किए जाने की जानकारी फैलते ही एक पक्ष ने इसका विरोध शुरू कर दिया। पुलिस को तत्काल मौके पर तैनात किया गया। मंगलवार सुबह तनाव और बढ़ गया जब एक पक्ष की ओर से धरना स्थल पर टेंट बढ़ाया गया, जिस पर दूसरे पक्ष ने आपत्ति जताई। इसके बाद नारेबाज़ी और पथराव की घटनाएं हुईं।
पुलिसकर्मियों ने मोर्चा संभालते हुए भीड़ को नियंत्रित किया। दिनभर दोनों पक्षों और अधिकारियों के बीच कई दौर की वार्ता चलती रही। कई बार प्रशासन ने अलग-अलग बैठकों में समाधान निकालने की कोशिश की, लेकिन दोनों पक्ष अपनी-अपनी मांगों पर अड़े रहे।
मूर्ति की जगह बदलने पर असहमति, दो सप्ताह का समय मांगा
मूर्ति लगाने वाले पक्ष ने साफ कहा कि प्रतिमा की जगह किसी भी कीमत पर नहीं बदली जाएगी। दूसरी तरफ विरोधी पक्ष का कहना था कि उन्हें मूर्ति लगाने पर आपत्ति नहीं, लेकिन मौजूदा स्थान बस स्टैंड और सरकारी इमारतों के समीप है, इसलिए इसे किसी दूसरी जगह लगाया जाना चाहिए।
लंबी चर्चा के बाद विरोधी पक्ष ने महाराणा प्रताप की मूर्ति लगाने का सुझाव दिया। इस पर प्रशासन ने दो सप्ताह में उचित स्थान तय करने और प्रस्ताव पर निर्णय लेने का भरोसा दिया। इसी आश्वासन के बाद एक पक्ष ने धरना समाप्त कर दिया, हालांकि दूसरा पक्ष अभी भी मूर्ति लगाने वालों पर कानूनी कार्रवाई की मांग कर रहा था।
धारा-163 लागू, गांव में भारी पुलिस बल तैनात
विवाद की गंभीरता को देखते हुए प्रशासन ने दो महीने के लिए धारा-163 लागू कर दी है। इसके तहत गांव में जुलूस, लाउडस्पीकर और किसी भी तरह के हथियार लेकर सार्वजनिक स्थल पर चलना प्रतिबंधित रहेगा। रायफल, रिवॉल्वर, तलवार, भाला, चाकू और लाठी ले जाना पूरी तरह वर्जित होगा।
भड़काऊ भाषण, पोस्टर, पर्चे या सोशल मीडिया पर उत्तेजक संदेश साझा करने पर भी रोक रहेगी। उल्लंघन करने वालों पर भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 223 के तहत कार्रवाई की जाएगी। गांव में पुलिस, RAC और दस थानों की फोर्स तैनात की गई है।
एक साल से चल रहा विवाद, अनुमति अब तक लंबित
ग्राम पंचायत प्रतिनिधि दयालराम मुंड के अनुसार, महाराजा सूरजमल की मूर्ति लगाने का प्रस्ताव ग्राम सभा में सर्वसम्मति से पारित हुआ था और इसे जिला कलक्टर के माध्यम से संभागीय आयुक्त को भेजा गया था, लेकिन अब तक औपचारिक स्वीकृति नहीं मिली।
उधर, विरोध कर रहे लोगों का कहना है कि उन्हें मूर्ति स्थापना पर आपत्ति नहीं है, लेकिन मौजूदा स्थान उपयुक्त नहीं है, क्योंकि यहां बस स्टैंड और सरकारी भवन स्थित हैं।
यह विवाद नया नहीं है। इससे पहले भी इसी स्थान पर मूर्ति स्थापित करने की कोशिश हुई थी, लेकिन विरोध के चलते प्रशासन को हस्तक्षेप करना पड़ा।
प्रशासनिक अधिकारियों ने दी प्रतिक्रिया
जिला कलक्टर अरुण कुमार पुरोहित ने कहा कि प्रस्ताव प्रक्रिया में है और अभी अंतिम अनुमति नहीं मिली। उन्होंने बताया कि दोनों पक्षों को समझाने के लिए एडीएम, एसडीएम और एसएसपी को मौके पर भेजा गया है।
एसपी मृदुल कच्छावा ने कहा कि तीन महापुरुषों की मूर्तियां लगाने का प्रस्ताव था, लेकिन उनमें से एक मूर्ति रात में स्थापित कर दी गई, जिसके कारण विवाद शुरू हुआ। उन्होंने बताया कि शांति बनाए रखने के लिए पुलिस बल लगातार निगरानी कर रहा है।
कौन थे महाराजा सूरजमल?
महाराजा सूरजमल 18वीं शताब्दी के महान जाट राजा थे, जिन्होंने भरतपुर राज्य की स्थापना की। वे अपनी युद्धनीति, प्रशासनिक कौशल और वीरता के लिए प्रसिद्ध थे। उन्होंने 80 से अधिक युद्ध लड़े और 1761 में मुगलों को परास्त कर आगरा किले पर अधिकार किया। भरतपुर का प्रसिद्ध लोहागढ़ किला भी उनके शासनकाल की देन है।


