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राजस्थान में मोबाइल बांटना रोका, बिहार में वोटिंग से पहले पेंशन बढ़ गई: अशोक गहलोत

राजस्थान में मोबाइल बांटना रोका, बिहार में वोटिंग से पहले पेंशन बढ़ गई: अशोक गहलोत

शोभना शर्मा। राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बुधवार को जयपुर में कांग्रेस मुख्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर चुनाव आयोग की निष्पक्षता और उसके निर्णयों पर गंभीर सवाल उठाए। गहलोत ने आरोप लगाया कि आयोग ने राजस्थान और बिहार के चुनावों में बिल्कुल अलग मानदंड अपनाए, और यह तय करने में दोहरा दृष्टिकोण दिखाया कि कौन सी योजना “मतदाताओं को प्रभावित करने वाली” है और कौन सी नहीं।

गहलोत ने कहा कि राजस्थान में उनकी सरकार द्वारा शुरू की गई कई जनकल्याणकारी योजनाओं को चुनाव से ठीक पहले रोक दिया गया, जबकि बिहार में मतदान से एक दिन पहले तक ऐसी योजनाएं लागू कर दी गईं, जिनका सीधा प्रभाव वोटरों पर पड़ सकता था। उन्होंने दावा किया कि चुनाव आयोग ने राजस्थान में कड़ी कार्रवाई की, लेकिन बिहार में “गंभीर अनियमितताओं” पर कोई रोक नहीं लगाई।

राजस्थान में मोबाइल वितरण योजना रोकने पर गहलोत नाराज़

गहलोत ने सबसे पहले महिलाओं को मोबाइल फोन देने की योजना का उदाहरण दिया। उन्होंने बताया कि मार्च 2022 के बजट में घोषित योजना के तहत 1 करोड़ 25 लाख महिलाओं को स्मार्टफोन देने की पहल की गई थी। गहलोत के मुताबिक, “अब तक केवल 30 से 40 प्रतिशत महिलाओं को मोबाइल मिल पाए थे। बाकी वितरण की प्रक्रिया चल ही रही थी कि दिसंबर 2023 में चुनाव आते ही अचानक इस योजना को रोक दिया गया।”

उन्होंने कहा कि यह योजना शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षा से जुड़ी थी, लेकिन आयोग ने इसे “मतदाताओं को प्रभावित करने वाली” बताकर रोक दिया। गहलोत ने आरोप लगाया कि मोबाइल रोकने के साथ ही पेंशन वितरण प्रणाली पर भी रोक लगा दी गई, जिससे लाखों बुजुर्गों, महिलाओं और दिव्यांग जनों को असुविधा हुई।

बिहार में वोटिंग से एक दिन पहले पेंशन बढ़ोतरी पर क्यों नहीं रोक?

गहलोत ने इसके बाद बिहार चुनाव का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां चुनाव प्रचार खत्म होने के बाद, यानी मतदान से एक दिन पहले, राज्य सरकार ने पेंशन राशि में बड़ी बढ़ोतरी की। उन्होंने कहा कि 400 रुपये की पेंशन को बढ़ाकर 1100 रुपये किया गया और इसका सीधा लाभ मतदाताओं के खातों में भेजा गया।

गहलोत ने कहा, “अगर पोलिंग कल है और आज मेरे खाते में 10 हजार रुपये आते हैं, तो यह किसका फायदा है? क्या यह मतदाताओं को प्रभावित करने का तरीका नहीं है?” उन्होंने आरोप लगाया कि बिहार में महिलाओं को 10 हजार रुपये तक ट्रांसफर किए गए, लेकिन चुनाव आयोग ने इस पर कोई रोक नहीं लगाई।

गहलोत का कहना था कि जब राजस्थान में उनकी सरकार की योजनाओं पर कड़ी कार्रवाई की जा सकती है, तो बिहार में वोटिंग से कुछ घंटे पहले तक आर्थिक योजनाएं चलने देना निष्पक्षता पर सवाल खड़ा करता है।

SIR विवाद और आयोग की भूमिका पर भी सवाल

गहलोत ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में SIR (State Interest Registry) मुद्दे को भी उठाया। उन्होंने कहा कि SIR के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका विचाराधीन है, इसके बावजूद चुनाव आयोग ने 12 राज्यों में इसे लागू करने की घोषणा कर दी। गहलोत के अनुसार, “यह पूरा मामला ही संदेह पैदा करता है कि आयोग निष्पक्ष तरीके से काम नहीं कर रहा है।”

उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग जैसी संवैधानिक संस्था से देश को निष्पक्षता और समान व्यवहार की उम्मीद रहती है, लेकिन हाल के फैसले इस भरोसे को कमजोर करते हैं।

गहलोत ने कहा– जनता को सच जानना चाहिए

प्रेस कॉन्फ्रेंस के अंत में गहलोत ने कहा कि यह मुद्दा केवल राजस्थान या बिहार का नहीं है, बल्कि यह लोकतंत्र की पारदर्शिता से जुड़ा हुआ है। उन्होंने कहा कि देश में सभी राज्यों में एक समान मानदंड लागू होने चाहिए। उन्होंने मांग की कि चुनाव आयोग अपने फैसलों पर पुनर्विचार करे और यह स्पष्ट करे कि अलग-अलग राज्यों में चुनावी आचार संहिता का पालन अलग तरीके से क्यों कराया गया।

गहलोत ने कहा कि उनकी सरकार की योजनाएं जनता के हित में थीं और उन पर रोक लगाकर लाखों लोगों को नुकसान हुआ, जबकि बिहार में मतदान से पहले आर्थिक लाभ देकर मतदाताओं को प्रभावित करने वाली योजनाओं को अनुमति देना लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है।

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