शोभना शर्मा। देश की ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री के सामने तेजी से बदलते वैश्विक बाजार, बढ़ती प्रतिस्पर्धा और तकनीकी विस्तार की चुनौतियाँ मौजूद हैं। ऐसे माहौल में कर ढांचे, आयात-निर्यात प्रणाली और अंतरराष्ट्रीय साझेदारी में बड़े सुधार महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसी कड़ी में एक नई रिपोर्ट ने यह संकेत दिया है कि भारत का जीएसटी 2.0 सुधार, कस्टम ड्यूटी में कटौती और भारत-जापान फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) मिलकर ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री के भविष्य को नई दिशा देने वाले हैं। ग्रांट थॉर्नटन भारत और इंडो-जापान चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (IJCCI) द्वारा जारी इस रिपोर्ट में कहा गया है कि सितंबर 2024 में लागू जीएसटी 2.0 देश के ऑटोमोबाइल सेक्टर के लिए परिवर्तनकारी कदम साबित होगा।
नए GST 2.0 सुधार से कीमतों में कमी और मांग में इजाफा
रिपोर्ट के अनुसार, जीएसटी 2.0 का सबसे बड़ा प्रभाव वाहन की कीमतों में आई कमी के रूप में देखा जा रहा है। नई दरों के तहत छोटी कारों और 350 सीसी तक की मोटरसाइकिलों पर 18 प्रतिशत जीएसटी लागू किया गया है, जो पहले 28 प्रतिशत टैक्स और सेस मिलाकर काफी अधिक था।
नई कर दरों के बाद कई लोकप्रिय मॉडलों के दामों में एक लाख रुपये तक की कमी दर्ज की गई है। इससे स्मॉल कार और कम्यूटर बाइक की खरीदारी में तेजी आई है, जिससे इस सेगमेंट में बुकिंग वॉल्यूम में 50 प्रतिशत तक बढ़ोतरी हुई है।दूसरी तरफ एसयूवी, हाई-एंड मोटरसाइकिलों और प्रीमियम वाहनों पर 40 प्रतिशत जीएसटी लागू है, जबकि इलेक्ट्रिक वाहनों पर मात्र 5 प्रतिशत कर रखा गया है। इससे सरकार की इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को बढ़ावा देने की नीति को और मजबूती मिलेगी।
GDP का महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका है ऑटो सेक्टर
भारतीय ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री देश के जीडीपी में 7.1 प्रतिशत का योगदान देती है। वहीं मैन्युफैक्चरिंग जीडीपी में इसकी हिस्सेदारी 50 प्रतिशत से अधिक है। वर्ष 2024 में भारत ने कुल 28 मिलियन वाहनों का उत्पादन किया, जो पिछले वर्ष की तुलना में 8 प्रतिशत अधिक रहा। ये आंकड़े इस बात के संकेत हैं कि देश की आर्थिक प्रगति में ऑटोमोबाइल सेक्टर एक प्रमुख स्तंभ बन चुका है।
कस्टम ड्यूटी में कटौती और FTA से बढ़ेगा विदेशी निवेश
ग्रांट थॉर्नटन भारत के सोहराब बरारिया का कहना है कि जीएसटी 2.0 के साथ कस्टम ड्यूटी में की गई कमी और लक्षित कस्टम इंसेंटिव्स से भारत जापानी वाहन निर्माताओं के लिए एक आकर्षक मैन्युफैक्चरिंग और निर्यात केंद्र के रूप में उभरेगा।
सरल कर ढांचा, आयात शुल्क में कमी और आपूर्ति श्रृंखला पर केंद्रित रियायतें भारत की लागत प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाएंगी। इससे न केवल घरेलू निवेश में वृद्धि होगी, बल्कि जापान सहित वैश्विक कंपनियों के लिए भारत उत्पादन का केंद्र बन जाएगा।भारत-जापान फ्री ट्रेड एग्रीमेंट के मजबूत होने से ऑटो पार्ट्स और इवी तकनीक के क्षेत्र में सहयोग तेजी से बढ़ने की उम्मीद है। इससे वाहन निर्माण, इलेक्ट्रिक मोबिलिटी, बैटरी तकनीक और उन्नत विनिर्माण सिस्टम में निवेश बढ़ेगा।
EV सेगमेंट में बढ़ेगा रुझान
नई कर संरचना और कस्टम राहतों का सबसे बड़ा लाभ इलेक्ट्रिक वाहनों को मिलने की संभावना है। कम जीएसटी दर, विदेशी तकनीकी सहयोग और सस्ती बैटरी कीमतों के कारण इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद में उपभोक्ताओं की रुचि लगातार बढ़ेगी।
रिपोर्ट के अनुसार आने वाले वर्षों में भारत में EV की मांग कई गुना बढ़ सकती है, जिससे ऑटोमोबाइल सेक्टर में एक नई क्रांति आएगी।
निवेश और औद्योगिक साझेदारी को मिलेगा नया आयाम
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि इन सुधारों से भारत-जापान की औद्योगिक साझेदारी मजबूत होगी और मोबिलिटी तथा उन्नत विनिर्माण के क्षेत्र में अनुसंधान और निवेश बढ़ेगा। साथ ही सरकारी नीतियां विदेशी कंपनियों को भारत में विनिर्माण इकाइयाँ स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित करेंगी, जिससे रोजगार और निर्यात दोनों बढ़ेंगे।


