मनीषा शर्मा। राजस्थान के नए मुख्य सचिव बनाए गए वी. श्रीनिवास एक ऐसे प्रशासनिक अधिकारी हैं जिनका करियर केवल परंपरागत प्रशासनिक ढांचे तक सीमित नहीं रहा है। वे नवाचार, तकनीक-आधारित सुशासन और तेज निर्णय प्रक्रिया के लिए जाने जाते हैं। केंद्र सरकार में बतौर सचिव, उन्होंने कई ऐसे प्रयोग किए जिनका सीधा लाभ आम नागरिकों तक पहुंचा। अब राजस्थान के शीर्ष प्रशासनिक पद पर उनकी नियुक्ति यह संकेत देती है कि राज्य में डिजिटल प्रशासन, जवाबदेही और तेज मॉनिटरिंग को नई गति मिलने वाली है।
केंद्र में सुधारों से मिली पहचान
सचिव रहते हुए उन्होंने “वन नेशन, वन पोर्टल” के माध्यम से शिकायत निस्तारण की प्रणाली में बड़ा बदलाव किया। इसके तहत किसी भी विभाग की शिकायत दो से तीन सप्ताह में समाधान की समय-सीमा तय की गई। कॉल ऑडिट सिस्टम, शिकायतकर्ता की भाषा में जवाब और फीडबैक प्रणाली ने सरकारी सिस्टम के प्रति भरोसा बढ़ाया।
पेंशनरों को राहत देते हुए उन्होंने जीवित प्रमाण पत्र की अनिवार्यता को डिजिटल बनाया। इससे बुजुर्गों को हर साल बैंक जाने की बाध्यता से मुक्ति मिली और लाखों पेंशनरों को सुविधा मिली।
राजस्थान में अब उनकी प्रमुख प्राथमिकताएं
मुख्य सचिव की भूमिका में उनकी प्राथमिकता प्रशासनिक दक्षता, पारदर्शिता और समयबद्ध मॉनिटरिंग को मजबूत करना होगी। राजस्थान जैसे बड़े राज्य में यह चुनौतीपूर्ण भी है और महत्वपूर्ण भी।
1. स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट्स को गति
राजस्थान के जयपुर, उदयपुर, अजमेर और कोटा जैसे शहरों में स्मार्ट सिटी परियोजनाएं धीमी गति से आगे बढ़ती रही हैं। नई तकनीक, स्मार्ट मैनेजमेंट और प्रभावी मॉनिटरिंग के साथ इन परियोजनाओं को पूरा करने की चुनौती उनके सामने होगी।
2. स्वास्थ्य और डिजिटल मिशन का विस्तार
एम्स नई दिल्ली में डिजिटल हेल्थ मॉडल लागू करने का उनका अनुभव राजस्थान को विशेष लाभ दे सकता है। टेलीमेडिसिन, डिजिटल मेडिकल रिकॉर्ड और स्वास्थ्य सेवाओं की कनेक्टिविटी में सुधार उनकी प्राथमिकताओं में रहेगा।
3. अवैध खनन पर सख्त कार्रवाई
राजस्थान अवैध खनन की समस्याओं से लंबे समय से जूझ रहा है। तकनीक-आधारित निगरानी, जीआईएस मैपिंग और सतत मॉनिटरिंग के माध्यम से इस पर नियंत्रण उनकी सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक होगा।
4. कानून-व्यवस्था में तकनीकी सुधार
सीसीटीएनएस, इंटीग्रेटेड कमांड कंट्रोल सेंटर और डिजिटल रिकॉर्ड सिस्टम को मजबूत कर कानून-व्यवस्था को बेहतर बनाना उनका लक्ष्य होगा।
5. एक वर्ष का संभावित रोडमैप तैयार करना
मुख्यमंत्री और मंत्रिमंडल की प्राथमिकताओं को ध्यान में रखते हुए राज्य प्रशासन का एक स्पष्ट, चरणबद्ध और क्रियान्वयन-योग्य रोडमैप बनाना उनकी जिम्मेदारी है।
6. फाइल मूवमेंट टाइम आधा करने का प्रयास
सरकारी विभागों में फाइलों की धीमी गति प्रशासन की बड़ी समस्या रही है। डिजिटल नोटिंग और ई-ऑफिस को मजबूत कर फाइल मूवमेंट टाइम आधा करना उनकी बड़ी प्राथमिकता होगी।
7. विभागीय परफॉर्मेंस इंडेक्स में सुधार
विभागों की कार्यप्रणाली का नियमित आकलन और प्रदर्शन आधारित रैंकिंग से जवाबदेही बढ़ाने की दिशा में वे महत्वपूर्ण कदम उठा सकते हैं।
8. बजट घोषणाओं की समयबद्ध मॉनिटरिंग
राज्य की बजट घोषणाएं अक्सर समय पर पूरी नहीं होतीं। तकनीक की मदद से इनकी ट्रैकिंग और निगरानी को मजबूती देना होगा।
9. रिफाइनरी और जल परियोजनाओं में तेजी
राजस्थान रिफाइनरी, रामजल सेतु लिंक और प्रमुख जल परियोजनाएं उनकी प्राथमिक निगरानी में रहेंगी। इन परियोजनाओं से प्रदेश के विकास को नई रफ्तार मिलने की उम्मीद है।
10. जिला योजनाओं की डिजिटल ट्रैकिंग
जिला-स्तर पर योजनाएं अक्सर मॉनिटरिंग के अभाव में प्रभावित होती हैं। डिजिटल ट्रैकिंग से पारदर्शिता बढ़ेगी और काम की गति भी सुधरेगी।
23 वर्ष की उम्र में बने IAS
1 सितंबर 1966 को जन्मे श्रीनिवास आंध्र प्रदेश के रहने वाले हैं। उस्मानिया विश्वविद्यालय से केमिकल इंजीनियरिंग में बीटेक और एमटेक करने के बाद उन्होंने 1989 में सिविल सेवा परीक्षा उत्तीर्ण की और मात्र 23 वर्ष की उम्र में IAS बने।
अंतरराष्ट्रीय पहचान और दायित्व
वे “G-20: द रोडमैप टू द इंडियन प्रसीडेंसी” पुस्तक के लेखक हैं और 2025 में उन्हें राजभाषा कीर्ति पुरस्कार भी मिला। वर्तमान में वे आइआइएएस (IIAS) के अध्यक्ष हैं, जिसका मुख्यालय ब्रुसेल्स में है, और उनका कार्यकाल 2028 तक रहेगा।


