मनीषा शर्मा। बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन को मिली करारी हार के बाद राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप तेज हो गए हैं। इसी कड़ी में राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के सीनियर ऑब्जर्वर अशोक गहलोत ने बेहद गंभीर आरोप लगाए हैं। जयपुर में मीडिया से बात करते हुए गहलोत ने कहा कि बिहार में इस बार जो चुनाव हुआ, वह लोकतंत्र के इतिहास में एक खुली लूट और चुनाव प्रणाली का दुरुपयोग है।
उन्होंने दावा किया कि यह चुनाव धनबल, सत्ता के दुरुपयोग और प्रशासनिक सहयोग से हाईजैक किया गया। गहलोत के अनुसार, एनडीए ने चुनाव आयोग के साथ मिलकर ऐसा माहौल तैयार किया जिसने विपक्ष को हार स्वीकारने के लिए मजबूर कर दिया।
‘कैश फॉर वोट’ का नया मॉडल—1 करोड़ से अधिक महिलाओं को 10-10 हजार रुपए
गहलोत ने सबसे गंभीर आरोप लगाया कि आचार संहिता लागू होने के बाद बिहार में एक करोड़ से अधिक महिलाओं के खातों में 10-10 हजार रुपए ट्रांसफर किए गए। उन्होंने इसे सीधे-सीधे ‘कैश फॉर वोट’ बताया।
गहलोत ने कहा कि जब चुनाव के दौरान इस तरह की धनराशि बांटी जाती है तो यह वोट खरीदने जैसा है, जो पूरी तरह गैरकानूनी है। लेकिन हैरानी की बात यह है कि चुनाव आयोग इस पूरे मामले पर मौन बना रहा और किसी तरह की कार्रवाई नहीं की।
उनका कहना था कि यह तरीका वोट चोरी का एक नया और खतरनाक संस्करण है, जिसमें वोट सीधे खरीदने की कोशिश की गई और प्रशासनिक स्तर पर इसे नजरअंदाज किया गया।
राजस्थान में योजनाएं रोकी गईं, बिहार में चुनाव के बीच पैसे बांटे गए
गहलोत ने राजस्थान की तुलना करते हुए कहा कि 2023 में राजस्थान में महिलाओं को स्मार्टफोन देने की योजना पर चुनाव आयोग ने रोक लगा दी थी, जबकि यह योजना बजट घोषणा का हिस्सा थी और पात्र महिलाओं को पहले ही 30% स्मार्टफोन दिए जा चुके थे।
उन्होंने आरोप लगाया कि इसके उलट बिहार में चुनाव से कुछ दिन पहले शुरू की गई योजना के तहत महिलाओं के खाते में 10 हजार रुपए ट्रांसफर किए गए और चुनाव के दौरान भी राशि भेजी गई।
यही नहीं, गहलोत ने कहा कि महाराष्ट्र में भी वोटिंग से पहले महिलाओं को 7500–7500 रुपए बांटे गए थे, जिससे यह पैटर्न साफ हो रहा है कि सरकारें चुनावी फायदे के लिए योजनाओं का दुरुपयोग कर रही हैं।
SIR के माध्यम से लाखों वोट काटे गए—निर्वाचन आयोग भी बना सहभागी
गहलोत ने एक और गंभीर मुद्दा उठाया—SIR (Standardised Indian Register) के माध्यम से वोटों की कथित ढेरों कटौती।
उनका कहना था कि बिहार चुनाव से पहले सभी राजनीतिक दलों को विश्वास में लिए बिना, SIR के जरिए लाखों मतदाताओं के नाम हटा दिए गए, जिनमें बड़ी संख्या में विपक्षी समर्थक थे।
उन्होंने बताया कि SIR से संबंधित मामला फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, फिर भी इसे 12 राज्यों में लागू कर दिया गया है।
गहलोत ने कहा कि ऐसे प्रशासनिक कदमों के कारण चुनाव आयोग भी एनडीए की जीत का ‘सहभागी’ बन गया है, और यह चुनाव परिणाम देश के लोकतंत्र के लिए चिन्ता का विषय है।
“लोकतंत्र बचाने का समय आ गया है” — गहलोत
गहलोत ने कहा कि बिहार और महाराष्ट्र के चुनाव परिणाम लोकतंत्र की स्थिति पर सवाल खड़े करते हैं। यदि वोट बैंक प्रबंधन, धन ट्रांसफर और वोट कटौती जैसे तरीकों से चुनाव प्रभावित किए जाएंगे, तो लोकतांत्रिक ढांचे पर बड़ा खतरा उत्पन्न हो जाएगा।
उन्होंने कहा कि देशवासियों को अब यह तय करना होगा कि वे किस तरह का लोकतंत्र चाहते हैं—पारदर्शी या पैसे और सत्ता आधारित। गहलोत ने जनता से अपील की कि लोकतंत्र को बचाने के लिए सामूहिक संकल्प लेने की आवश्यकता है।


